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मयूरहंड के करकरा गांव का नहीं हुआ समुचित विकास

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शिक्षा के लिए दूसरी जगह जााना होता है

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: आंगनबाड़ी केंद्र, प्राथमिक व मध्य विद्यालय की सुविधा नहीं

मयूरहड. प्रखंड के करकरा गांव का आज तक समुचित विकास नहीं हुआ है. यह गांव प्रखंड मुख्यालय से दो किमी दूरी पर स्थित है. गांव की आबादी लगभग 300 है. यहां भुईयां जाति के 50, यादव जाति के 15 व कहार जाति का एक घर है. मतदाताओं की संख्या 125 है. गांव में शिक्षा, सड़क, स्वास्थ्य, रोजगार की सुविधा नही है. आंगनबाड़ी केंद्र, प्राथमिक व मध्य विद्यालय नहीं हैं. यहां के बच्चे बगल के पपरो गांव के आंगनबाड़ी केेंद्र, मध्य विद्यालय सेवाल व उच्च शिक्षा ग्रहण करने चार किमी दूर करमा स्थित उच्च विद्यालय जाते हैं. प्राथमिक उपचार कराने लोग करमा जाते है. यहां के लोग दूसरे प्रदेश में मजदूरी कर अपने व अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं. प्रखंड मुख्यालय से गांव तक पहुंचने के लिए पहुंच पथ नही है. ग्रामीण जंगल व पगडंडी के रास्ते पैदल व दो पहिया वाहन के सहारे गांव पहुंचते हैं. चार पहिया वाहन से गांव पहुंचने के लिए दो किमी की जगह 14 किमी की दूरी तय कर पचमो, करमा के रास्ते जाना होता है. गांव में मतदान केंद्र नहीं है. मतदाता मतदान करने चोरहा स्थित मध्य विद्यालय जाते हैं. मतदाताओं ने कहा कि विकास के लिए मुखिया, विधायक व सांसद को चुनाव में वोट देते हैं. लेकिन सांसद व विधायक गांव नही आते हैं.

क्या कहते हैं ग्रामीण

तारा देवी ने कहा कि गांव में शिक्षा का कोई साधन नही है. यहां के बच्चों काे पढ़ाई के लिए दूसरी जगह जाना होता है. शांति देवी ने कहा कि प्रखंड मुख्यालय से गांव तक पहुंचने के लिए पहुंच पथ नहीं है. पगडंडी व जंगल के रास्ते खाद्यान्न लाने दूसरे गांव चोरहा जाना पड़ता है. फुलवा देवी ने कहा कि गांव में सरकारी योजना आवास, कुआं, चापानल का लाभ जरूरतमंद लोगों को नही मिलता है. बिचौलिया लाभ ले लेते हैं. सरिता देवी ने कहा कि जरूरत के अनुसार चापानल नहीं होने के कारण गांव में पेयजल की किल्लत है. राजकुमार भुईयां, पिंटू यादव ने कहा कि मनरेगा ही सहारा है, लेकिन रोजगार व मजदूरी कम मिलती है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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