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राजकीय बुनियादी विद्यालय में सुविधाओं का अभाव

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बगोदर बाजार में 1952 से संचालित राजकीय बुनियादी विद्यालय मूलभूत सुविधाओं से जूझ रहा है. इस विद्यालय में सरकार द्वारा स्वीकृत पर 16 हैं, लेकिन वर्तमान में प्रधानाध्यापक मंगल महतो के अलावा चार सहायक अध्यापक प्रतिनियुक्त हैं. सबसे अहम बात यह है कि यहां बच्चों की संख्या भी काफी कम है.

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बच्चों की संख्या में भी पहले के मुकाबले काफी कम

बगोदर.

बगोदर बाजार में 1952 से संचालित राजकीय बुनियादी विद्यालय मूलभूत सुविधाओं से जूझ रहा है. इस विद्यालय में सरकार द्वारा स्वीकृत पर 16 हैं, लेकिन वर्तमान में प्रधानाध्यापक मंगल महतो के अलावा चार सहायक अध्यापक प्रतिनियुक्त हैं. सबसे अहम बात यह है कि यहां बच्चों की संख्या भी काफी कम है. फिलहाल यहां 160 बच्चे ही नामांकित हैं. विद्यालय में ना ही बच्चों को समय पर मध्याह्न भोजन मिलता है और नहीं कॉपी-किताब. यह विद्यालय दो एकड़ दो एकड़ 10 डिसमिल जमीन पर फैला हुआ है. पेड़-पौधों से हरा भरा विद्यालय है. लेकिन, यहां बच्चों को पीने के लिए पानी की व्यवस्था नहीं है. इसी कैंपस में महिला शिक्षण प्रशिक्षण महाविद्यालय हैं. इसके पास एक खंडहर रूपी कुआं में बच्चे अपनी प्यास बुझाते हैं. प्रधानाध्यापक ने कई बार विभाग के बड़े अधिकारियों को इस विद्यालय में पानी की व्यवस्था व चहारदीवारी को लेकर पत्र लिख चुके हैं, लेकिन अभी तक कोई पहल नहीं हुई है. जीटी रोड किनारे इस विद्यालय की भूमि का अतिक्रमण ठेला व खोमचा वालों ने कर रखा है. शिक्षकों के अभाव में यहां बच्चे खेलते दिख सकते हैं. प्रधानाध्यापक मंगल महतो ने बताया कि इस विद्यालय में वहीं एकमात्र सरकारी शिक्षक हैं. वहीं, चार पर सहायक अध्यापक हैं. नामांकित बच्चों की कुल संख्या 160 है. मध्याह्न भोजन के बारे में प्रधानाध्यापक ने बताया कि शिक्षा विभाग के नियमावली जटिल नहीं है, लेकिन व्यवस्था की मार हम लोगों को झेलना पड़ रहा है. विद्यालय में चावल व कोयला नहीं है. सरिया रोड के एक जाने-माने डीलर से सामंजस्य बना कर चावल विद्यालय लाते हैं, जिससे बच्चों को नियमित यह भोजन मिलता है. इस विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या पहले के मुकाबने कम है. इस विद्यालय में 13 नये कमरे हैं. पुराने भवन की मरम्मत को लेकर शिलाव्यास किया गया है.

गौरवशाली रहा है इतिहास

बगोदर बाजार के हृदय नगरी में बस इस विद्यालय का इतिहास गौरवशाली रहा है. एक दशक पूर्व विद्यालय शिक्षा का दीप जलाने में आगे थे, लेकिन विद्यालय की स्थिति काफी खराब हो गया है. इस पर स्थानीय जनप्रतिनिधियों का भी ध्यान नहीं जाता है. ग्राम शिक्षा समिति के अध्यक्ष रामदेव ने कहा कि शिक्षा विभाग की उदासीनता के कारण आधे से अधिक बच्चे सिर्फ स्कॉलरशिप लेने के लिए नाम लिखवा लेते हैं.बच्चे गैर सरकारी शिक्षण में गैर सरकारी विद्यालयों में पढ़ाई करते हैं. तीन चापाकल है जिसमें दो खराब है. एक चापाकल बच्चों के प्यास नहीं बुझा पाता है. आसपास के होटल संचालक भी बच्चों को पानी नहीं देते हैं. बच्चों की संख्या नाममात्र की है. इस विद्यालय पर राज्य सरकार को ध्यान देना चाहिए.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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