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नदियों के सूखने से जल समस्या बढ़ी, जनजीवन प्रभावित

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भीषण गर्मी का आगाज हो चुका है. इधर जिले की लगभग सभी नदियां सुख चुकी है. जिले की सीमा से लगी तीन प्रमुख नदियां सोन, कायेल एवं कनहर की स्थिति भी अच्छी नहीं है. इन नदियों में पानी या तो लोगों की पहुंच से दूर है या ये भी सूखने के कगार पर हैं. ऐसे में पानी की समस्या बढ़ रही है. गर्मी के दिनों में सबको साफ व स्वच्छ पानी उपलब्ध कराना एक बड़ी चुनौती है. सरकार सालों भर पानी जैसी बुनियादी जरूरत पूरे करने में विफल रही है. चाहे शहरी पेयजलापूर्ति योजना हो, ग्रामीणी क्षेत्रों में नल जल योजना हो, सोलर जलमीनार हो या डोभा और तालाब का निर्माण हो. ये सभी पानी की जरूरत पूरी करने के लिए अपर्याप्त व कमतर साबित हो रहे हैं.

क्या है परेशानी : नदियों के सूखने और जलस्तर नीचे जाने के कारण जन जीवन प्रभावित होने लगा है. नदियों और अन्य जलाशयों के सुख जाने से जानवरों को पीने के पानी की भारी किल्लत होने लगी है. अब ऐसे में लोग खुद के पीने की पानी की व्यवस्था करें या जानवरों की, यह एक बड़ा सवाल है. वहीं नदियों के सूखने से इससे जुड़े पेयजल स्त्रोत भी प्रभावित हो रहे हैं. इससे लोगों की परेशानी बढ़ने लगी है.

पानी रोकने का नहीं हुआ उपाय : जिले की नदियां बरसात के दिनों में उफनती रहती हैं. पानी बहकर चला जाता है. अगर सरकार इन नदियों का पानी रोकने का ठोस उपाय करे, तो जिले में पेयजल के साथ-साथ खेतीबारी के लिए होनेवाली जल समस्या को खत्म किया जा सकता है.

जिले की प्रमुख नदियां : गढ़वा जिले की सीमा से लगी तीन प्रमुख और बड़ी नदियां हैं. लेकिन गर्मी में इनसे पानी नहीं मिल पाता. इनमें सोन, कनहर एवं कोयल नदी शामिल है. इसके अलावे दानरो, बांकि, पंडा, सरस्वतिया, यूरिया, तहले नदी तथा अन्नराज जैसी नदियां भी जिले में बहती हैं. इनके अलावा कई छोटी नदियांं भी हैं.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

भीषण गर्मी का आगाज हो चुका है. इधर जिले की लगभग सभी नदियां सुख चुकी है. जिले की सीमा से लगी तीन प्रमुख नदियां सोन, कायेल एवं कनहर की स्थिति भी अच्छी नहीं है. इन नदियों में पानी या तो लोगों की पहुंच से दूर है या ये भी सूखने के कगार पर हैं. ऐसे में पानी की समस्या बढ़ रही है. गर्मी के दिनों में सबको साफ व स्वच्छ पानी उपलब्ध कराना एक बड़ी चुनौती है. सरकार सालों भर पानी जैसी बुनियादी जरूरत पूरे करने में विफल रही है. चाहे शहरी पेयजलापूर्ति योजना हो, ग्रामीणी क्षेत्रों में नल जल योजना हो, सोलर जलमीनार हो या डोभा और तालाब का निर्माण हो. ये सभी पानी की जरूरत पूरी करने के लिए अपर्याप्त व कमतर साबित हो रहे हैं.

क्या है परेशानी : नदियों के सूखने और जलस्तर नीचे जाने के कारण जन जीवन प्रभावित होने लगा है. नदियों और अन्य जलाशयों के सुख जाने से जानवरों को पीने के पानी की भारी किल्लत होने लगी है. अब ऐसे में लोग खुद के पीने की पानी की व्यवस्था करें या जानवरों की, यह एक बड़ा सवाल है. वहीं नदियों के सूखने से इससे जुड़े पेयजल स्त्रोत भी प्रभावित हो रहे हैं. इससे लोगों की परेशानी बढ़ने लगी है.

पानी रोकने का नहीं हुआ उपाय : जिले की नदियां बरसात के दिनों में उफनती रहती हैं. पानी बहकर चला जाता है. अगर सरकार इन नदियों का पानी रोकने का ठोस उपाय करे, तो जिले में पेयजल के साथ-साथ खेतीबारी के लिए होनेवाली जल समस्या को खत्म किया जा सकता है.

जिले की प्रमुख नदियां : गढ़वा जिले की सीमा से लगी तीन प्रमुख और बड़ी नदियां हैं. लेकिन गर्मी में इनसे पानी नहीं मिल पाता. इनमें सोन, कनहर एवं कोयल नदी शामिल है. इसके अलावे दानरो, बांकि, पंडा, सरस्वतिया, यूरिया, तहले नदी तथा अन्नराज जैसी नदियां भी जिले में बहती हैं. इनके अलावा कई छोटी नदियांं भी हैं.

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