कुमार आशीष, मधेपुरा.
बात 1989 में हुए लोकसभा चुनाव की है, जब मध्यप्रदेश के जबलपुर सीट से जनता दल के राष्ट्रीय नेता शरद यादव चुनाव हार गए थे. हार से निराश हुए शरद यादव को पार्टी नेता व बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद ने बिहार का रास्ता दिखाया. लालू के कहने पर 1989 में जनता दल के टिकट पर मधेपुरा लोकसभा सीट से सांसद बने रमेंद्र कुमार रवि ने अपनी दावेदारी छोड़ दी और 1996 में हुए चुनाव में इस सीट से शरद को उतारा गया और वे 237144 मतों के लंबे अंतराल से जीत गए. इस चुनाव में शरद यादव को डाले गए कुल मतों का 61 फीसदी यानी 381190 वोट मिले थे. इनके निकटतम प्रतिद्वंदी समता पार्टी के आनंद मंडल को 144046 (23.1 प्रतिशत) मत मिले थे. जबकि 63588 (10.2 प्रतिशत) मत लाकर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के रामचंद्र प्रसाद मंडल तीसरे नंबर पर रहे थे.
![Madhepura Loksabha ... और बाहरी होने का आरोप लगते ही शरद बन गए मधेपुरा के स्थायी निवासी 1 26 Apr Mdp 64](https://www.prabhatkhabar.com/wp-content/uploads/2024/04/26-APR-MDP-64-1024x576.jpeg)
– 1998 के चुनाव में पहली बार मधेपुरा में किया था वोट-
शरद चुनाव जीतकर दिल्ली तो पहुंच गए, लेकिन यहां उनके विरोधी उन्हें बाहरी कैंडिडेट व बाहरी सांसद होने की बात बता अगले चुनाव के लिए अपनी जमीन तैयार करने में लगे थे. शरद यादव को कानोंकान लोगों के बीच शुरू हुई इस चर्चा की भनक लगी और उन्होंने बिना देरी किए मधेपुरा में जमीन तलाशना शुरू कर दिया. उसी साल 1996 में शरद यादव ने मधेपुरा जिला मुख्यालय के पूर्वी बायपास में राम प्रताप साह से 12 कट्ठे का एक प्लॉट खरीदा और गृह निर्माण कार्य शुरू करा दिया. इसी जमीन पर पूर्व में अशोक सिनेमा हुआ करता था. हालांकि घर बनने में लगभग दो साल का समय जरूर लगा, लेकिन अपने नाम से जमीन की रजिस्ट्री होने के अगले ही साल यानी 1997 में शरद यादव ने मधेपुरा शहर की मतदाता सूची में भी अपना नाम दर्ज करा लिया. 1998 में हुए लोकसभा चुनाव में शरद यादव ने पहली बार मधेपुरा के मध्य विद्यालय भिरखी में मतदान किया था.