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गुमला के आधा दर्जन गांव के लोग करेंगे वोट बहिष्कार, जानें क्या है इसकी वजह

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सड़क नहीं होने के कारण प्रखंड मुख्यालय तक पहुंचने में लोगों को काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है. ग्रामीण बताते हैं कि जब कोई बीमार पड़ता है, तो लोग उसे खाट पर उठाकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बिशुनपुर लाते हैं.

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दुर्जय पासवान, गुमला : गुमला जिले के घोर नक्सल प्रभावित बिशुनपुर प्रखंड के पूर्वी पठार क्षेत्र के लगभग आधा दर्जन गांवों ने वोट बहिष्कार करने का फैसला लिया. इस कड़े निर्णय की बड़ी वजह सड़क नहीं बनना है. रविवार को हाड़ुप रिसापाठ उपस्वास्थ्य केंद्र के समीप गांव के ग्राम प्रधान ननकू खेरवार की अध्यक्षता में बैठक हुई. ग्रामीणों ने बताया कि आजादी के 76 वर्ष बीत जाने के बाद भी प्रखंड के पूर्वी पठार क्षेत्र के लोग बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं. वे लोग वर्षों से प्रखंड मुख्यालय से लेकर हाड़ुप होते हुए चीरोपाठ, इटकिरी से रिसापाठ एवं हिसीर से बेथड़ तक सड़क निर्माण की मांग करते आ रहे हैं. इस संबंध में कई बार ग्रामीणों ने प्रखंड कार्यालय, जिला कार्यालय एवं वन विभाग को ज्ञापन सौंप कर सड़क बनाये जाने की मांग की. लेकिन इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं हुई.

प्रखंड मुख्यालय तक पहुंचने में लोगों को होती है परेशानी

सड़क नहीं होने के कारण प्रखंड मुख्यालय तक पहुंचने में लोगों को काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है. ग्रामीण बताते हैं कि जब कोई बीमार पड़ता है, तो लोग उसे खाट पर उठाकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बिशुनपुर लाते हैं. इस वजह से कई लोगों की जान भी चली जाती है. खासकर गर्भवती महिलाओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इसके अलावा सड़क के अभाव में गांव के बच्चे स्कूल तक नहीं पहुंच पाते हैं. मौके पर रामलाल उरांव, राजबली भगत, पुरण भगत, बसंत उरांव, मंगरु खेरवार, बुद्धेश्वर उरांव, मंजू देवी सहित कई लोग उपस्थित थे.

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नेताओं के गांव में घुसने पर रोक

ग्रामीणों ने राजनीतिक दल के नेताओं को गांव नहीं घुसने की चेतावनी दी है. ग्रामीणों का कहना है कि सिर्फ चुनाव दरम्यान नेता हमारे गांव आते हैं और चिकनी चुपड़ी बातें कर अपने पक्ष में मतदान करने को कहते हैं. अगर कोई राजनीतिक दल के नेता इस बार वोट मांगने आए तो उनसे पूछा जाएगा कि आखिर अब तक सड़क निर्माण क्यों नहीं हो सका. अगर उन्होंने गुमराह करने की कोशिश की तो उन्हें बंधक बनाने का भी काम किया जाएगा.

पंचायत प्रतिनिधियों को सुनाया खरी खोटी

वोट बहिष्कार करने की सूचना के उपरांत सेरका पंचायत के कई पंचायत प्रतिनिधि बैठक में शामिल होकर ग्रामीणों को समझने का प्रयास किया कि वोट देना उनका अधिकार है. वह काम करने वाले प्रतिनिधि का चयन करें. इस पर गांव के लोग आग बबूला हो गये और जनप्रतिनिधियों को भी जमकर खरी खोटी सुनायी.

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