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किसान संगोष्ठी में प्राकृतिक व मोटे अनाज की खेती को बढ़ावा देने पर बल

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कृषि विज्ञान केंद्र बलहा मकसूदन सीतामढ़ी के पूर्व अध्यक्ष सह पूर्व सांसद नवल किशोर राय की दूसरी पुण्यतिथि पर मंगलवार को मोटे अनाज व प्राकृतिक खेती विषयक किसान संगोष्ठी का आयोजन हुआ.

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पुपरी. कृषि विज्ञान केंद्र बलहा मकसूदन सीतामढ़ी के पूर्व अध्यक्ष सह पूर्व सांसद नवल किशोर राय की दूसरी पुण्यतिथि पर मंगलवार को मोटे अनाज व प्राकृतिक खेती विषयक किसान संगोष्ठी का आयोजन हुआ. इस दौरान उनके तैल्य चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गई. केंद्र के वरीय वैज्ञानिक एवं प्रधान डॉ राम ईश्वर प्रसाद ने प्राकृतिक व मोटे अनाज की खेती को बढ़ावा देने पर जोर देते हुए कहा कि रसायनिक आधारित खेती से मानव स्वास्थ्य, मिट्टी व पशु स्वास्थ्य एवं वातावरण की संरचना काफी प्रभावित हुई है. मिट्टी की उर्वरता तभी तक बनी रहती है, जब तक मिट्टी में आर्गेनिक कार्बन तीन फीसदी के आस पास रहती है. रसायनिक आधारित खेती के चलते इसकी प्रतिशत मात्र 0.3 फीसदी रह गई है. पशु चिकित्सा वैज्ञानिक डॉ किंकर कुमार, उद्यान वैज्ञानिक मनोहर पंजीकार, प्रसार वैज्ञानिक डॉ पिनाकी रॉय, गृह वैज्ञानिक डॉ सलोनी चौहान ने प्राकृतिक खेती के संबंध में कहा कि यह एक शून्य लागत की खेती है, जिसके द्वारा गुणवत्ता युक्त फसल उत्पादन होता है. प्राकृतिक खेती के माध्यम से विभिन्न प्रकार के कीटनाशक, फफूंदनाशक व पोषक तत्व का निर्माण किया जाता है. एक देशी गाय का गोबर, पेशाब, गुड़, विभिन्न पौधों की पत्तियां, पुरानी मिट्टी आदि की जरूरत होती है, जिसके द्वारा जीवमृत, दशपरनी अर्क, बीजामृत, ब्रह्मास्त्र का निर्माण किया जाता है. इसके माध्यम से कीट नियंत्रण, रोग नियंत्रण व बीज उपचार किया जाता है. कहा किसी भी फसल उत्पादन में मोटे अनाज का उत्पादन सर्वोपरि है. इसमें विभिन्न प्रकार के पोषक तत्व जैसे आयरन, कैल्शियम जैसे अतिरिक्त पोषक तत्व पाए जाते हैं. जबकि प्रोटीन, विटामिन, खनिज तत्व कि मात्रा चावल व गेहूं से दो से तीन गुणा अधिक होता है. मौके पर मत्स्य विशेषज्ञ प्रकाश चंद्रा, अंकित कुमार, छात्रधारी सिंह, रजनीश कुमार, राजीव कर्ण, चंद्रकिशोर लाल कर्ण, धर्मेन्द्र सिंह, हिमांशु सिंह समेत अन्य मौजूद थे.

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