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वर्षों से बक्सर में खराब पड़े 177 सरकारी ट्यूबेल नहीं है किसी राजनीतिक दलों के लिए मुद्दा

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बक्सर लोकसभा चुनाव की बिसात बिछ चुकी है. सभी राजनीतिक दलों के प्रत्याशी चुनाव प्रचार में ताकत झोंक दी है.

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बक्सर. बक्सर लोकसभा चुनाव की बिसात बिछ चुकी है. सभी राजनीतिक दलों के प्रत्याशी चुनाव प्रचार में ताकत झोंक दी है. यहां सातवें चरण में चुनाव है. एनडीए और महागठबंधन समेत विभिन्न राजनीतिक पार्टियों ने बक्सर को काशी बनाने से लेकर तमाम घोषणाएं कर रहे हैं. मगर ताज्जुब देखिये बक्सर के लोगों की मुख्य आजीविका के साधन खेती-बाड़ी से जुड़ी मुद्दा किसी भी पार्टी के लिए मायने नहीं है. जबकि यहां पानी के लिए किसान परेशान हैं. आज के हालात में बक्सर जिले में वर्षों से कुल 177 सरकारी नलकूप खराब है. खराब नलकूपों की मरम्मत के लिए वित्तीय वर्ष 2018-19 से लेकर 2021-22 में सरकार ने समय-समय पर राशि भी आवंटित किया. मगर ये नलकूप अभी भी विभिन्न यांत्रिक दोष के कारण बंद हैं. जबकि जिले में अधिकतर किसान नलकूपों के सहारे ही खेती करते हैं. बताया जाता है कि कुल 344 राजकीय नलकूपों में 177 ने दम तोड़ दिया है जबकि 52 छोटी मोटी खराबी के कारण बंद पड़ा है, लिहाजा जिले में महज 148 राजकीय नलकूपों से ही किसानों को सिंचाई की सुविधा प्राप्त हो रही है. आधे से अधिक नलकूप खराब है. जिससे सिंचित होने वाले 800 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई नहीं हो पा रही है. जिसके कारण किसान खेती करने में असहज महसूस कर रहे हैं, खेती पर निर्भर किसान समय से पानी नहीं मिलने के कारण परेशान हैं. मगर यह चुनाव में ताल ठोक रहे प्रत्याशियों के चुनावी घोषणा पत्र में यह शायद ही शामिल हो. जबकि जिले की एक बड़ी आबादी पलायन कर दूसरे राज्य में मजदूरी कर रही है. ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के साधन नहीं है. मगर लोकसभा चुनाव में विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रत्याशी लोगों के दरवाजे पहुंचकर अपनी जीत के लिये वोट मांगने में गुरेज नहीं कर रहे हैं. वही मलियाबाग के पास कवई नदी पर मलई बराज योजना से लोगों के खेतों में अभी तक पानी नहीं पहुंच रहा है. जबकि मलई बराज निर्माण के लिये 2013 में टेंडर निकाला गया था. 2020 तक इससे पानी छोड़ा जाना था. जबकि 1982 में ही तत्कालीन मुख्यमंत्री बिंदेश्वरी दूबे ने इसकी आधारशिला रखी थी. मगर जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा के कारण किसानों को परेशानी झेलनी पड़ रही है. जबकि मलई बराज योजना शुरू होने पर बक्सर और भोजपुर जिले के नावानगर, केसठ, चौंगाई, डुमरांव और शाहपुर के प्रखंड के लगभग 14 हजार हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होगी. मगर आज तक यह किसी पार्टी के चुनावी घोषणा पत्र में शामिल नहीं हुआ. जबकि बक्सर लोकसभा में कुल मतदाताओं की संख्या 19 लाख 16 हजार 81 है. जिसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 10 लाख दो हजार 38 और महिला मतदाताओं की संख्या नौ लाख चौदह हजार 26 है. बक्सर लोकसभा में कुछ छह विधानसभा है. जिसमें दिनारा विधानसभा में कुल मतदाताओं की संख्या 3 लाख 82 हजार 60 और रामगढ़ विधानसभा में कुल मतदाताओं की संख्या 2 लाख छियासी हजार 765 है. वही बक्सर जिला में कुल मतदाताओं की संख्या 16 लाख सात हजार 821 है. मगर मतदाताओं की दाना-पानी का साधन उपलब्ध कराने के लिए जरूरी संसाधनों पर विभिन्न पार्टियों के प्रत्याशी बात नहीं कर रहे हैं. उनकी चुनावी सभाओं में केंद्र सरकार और राज्य सरकार की लाभकारी योजनाओं पर ही विशेष चर्चा हो रही है.

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