मधुबनी. अनाथ हो चुके बच्चों का दर्द उसके सिवा और कोई नहीं समझ सकता. जबतक ये बोल और समक्ष नहीं पाते, तबतक तो जैसे तैसे पल जाते हैं. लेकिन बोलना सीखते ही ये सबसे पहले अपने माता-पिता को खोजते हैं. ऐसे में किसी अनाथ को नया परिवार मिल जाए तो एक तरह से उसके अंधेरे जीवन में रोशनी छा जाती है. कुछ ऐसा ही हुआ की कोलकाता के एक नि:संतान दंपति को आंखों का तारा मिल गया. विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्थान मधुबनी में पश्चिमी बंगाल के कोलकाता में रहने वाले दंपति के गोद में जिला बाल संरक्षण इकाई के प्रभारी सहायक निदेशक आशीष प्रकाश अमन, सीएस डाॅ नरेश कुमार भीमसारिया ने नवजात बालक को सौंप दिया. आमतौर पर अजनबियों को देखकर रोने वाला यह बच्चा जैसे ही उनकी गोद में गया, वह खिलखिलाकर हंसने लगा. सूनी गोद भर जाने से पति-पत्नी की खुशी भी देखते ही बन रही थी. दोनों अपने साथ बच्चों के लिए ढेर सारे नये कपड़े और नया नाम लेकर आये थे. गोद लेने की प्रक्रिया के साथ बालक का नये नाम के साथ पुनर्जन्म हो गया. गोद लेने वाले माता-पिता से उसे वह सभी कानूनी अधिकार मिलेंगे, जैसे किसी बच्चे को जैविक माता-पिता से मिलते हैं. मौके पर अजय कुमार राय, भवेश कुमार झा, चिकित्सक व दत्तक ग्रहण संस्थान के कर्मी मौजूद थे. मधुबनी में यह 18 वां है एडॉप्शन 2016 से अबतक मधुबनी से दिया गया यह 18 वां एडॉप्शन है. इस बालक के माता-पिता को खोने के लिए बाल कल्याण समिति मधुबनी ने अखबारों में विज्ञापन प्रकाशित कराया था. जब अखबारों में विज्ञापन प्रकाशन के 60 वें दिनों तक कोई भी इस बालक का माता-पिता होने का दावा करने सामने नहीं आया तो जरूरी कागजी प्रक्रिया पूरा करते हुए बाल कल्याण समिति मधुबनी के बेंच ऑफ मजिस्ट्रेट द्वारा एडॉप्शन के लिए कानूनी रूप से मुक्त घोषित कर दिया गया था. फिर बालक को कोलकाता के दंपति को गोद दिया गया है. बच्चा एडॉप्शन के लिए दंपति ने 2020 में कराया था निबंधन कोलकाता के नि:संतान दंपति ने कारा सेंट्रल अडआप्श रिसोर्स आथरिटी की वेबसाइट में 2020 में बच्चा गोद लेने के लिए निबंधन कराया था. जांच एवं वांछित जरूरी कागजात के साथ प्रकिया को पूरा करते हुए प्री एडॉप्शन केयर में इस बालक को दंपति को सौंप दिया गया है. बच्चा गोद लेने को यह है जरूरी नियम कानूनी तौर पर सिंगल पेरेंट्स या शादीशुदा जोड़ा दोनों ही बच्चे को गोद ले सकते हैं. मैरिड कपल लड़का या लड़की किसी को भी गोद ले सकते हैं. सिंगल महिला लड़का या लड़की दोनों में किसी को एडाप्ट कर सकती है. लेकिन सिंगल पुरुष सिर्फ लड़के को ही गोद ले सकते हैं. मैरिड कपल बच्चे को गोद ले रहा है तो उनकी शादी को कम से कम दो साल होना चाहिए. बच्चे और गोद लेने वाले पेरेंट्स की उम्र में 25 साल का फर्क होना चाहिए. गोद लेने वाले को शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और आर्थिक रूप से सक्षम होना जरूरी है. बच्चे को गोद लेने के लिए कपल की आपसी सहमति भी जरूरी है.
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कोलकाता के नि:संतान दंपति की सूनी गोद भरी, वर्षों की मुराद मधुबनी में हुई पूरी
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विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्थान मधुबनी में पश्चिमी बंगाल के कोलकाता में रहने वाले दंपति के गोद में जिला बाल संरक्षण इकाई के प्रभारी सहायक निदेशक आशीष प्रकाश अमन, सीएस डाॅ नरेश कुमार भीमसारिया ने नवजात बालक को सौंप दिया.
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