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गोड्डा : 17 मिलियन टन कोयला उत्पादन लक्ष्य से राजमहल परियोजना अभी कोसों दूर

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राजमहल कोल परियोजना लगातार कोयला उत्पादन में पिछड़ रही है. कंपनी पिछले दो वित्तीय वर्ष लगातार अपने उत्पादन लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाई है.

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देश के सबसे बड़े ओपेन कोल माइंस राजमहल कोल परियोजना के कोयला खनन को लेकर निर्धारित लक्ष्य 17 मिलियन टन को पूरा कर पाने में बड़ी चुनौती दिख रही है. कंपनी के वर्ष 2023-24 के लक्ष्य में इसीएल का उत्पादन लक्ष्य 17 मिलियन टन निर्धारित किया गया है. इस दौरान कंपनी 20 मार्च तक उत्पादन 10 मिलियन टन ही पूरा कर सकी है. जिस रफ्तार से कोयले का उत्पादन हो रहा है, उस पर गौर किया जाये तो 17 मिलियन टन का लक्ष्य पूरा करने के लिए कंपनी के पास मात्र दस दिनों का ही समय बचा है. सात मिलियन टन के उत्पादन को लेकर कंपनी मेहनत कर रही है. बताया जाता है कि इसीएल प्रतिदिन 7 हजार टन कोयले का उत्पादन कर रही है.

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लगातार लक्ष्य से पीछे है इसीएल राजमहल कोल परियोजना

पिछले तीन वर्षों से लगातार उत्पादन के लक्ष्य से काफी पीछे चल रही है. पिछले 2021-22 में परियोजना की ओर से 05 मिलियन टन का उत्पादन किया गया था. उक्त वर्ष कंपनी का लक्ष्य 17 मिलियन टन था. वर्ष 2022-23 में भी कोयले का उत्पादन 05 मिलियन टन से भी पीछे था. इस बार भी लक्ष्य 17 मिलियन टन बताया गया था. जबकि 2020-21 में कंपनी ने रिकार्ड उत्पादन कर अपना लक्ष्य 17 मिलियन टन खड़ा कर सकी थी.

कम खनन की क्या रही वजह

कंपनी की मानें तो पिछले दो-दो वित्तीय वर्ष में कोयले का खनन जमीन की कमी की वजह से नहीं हो पायी थी. कंपनी के पास इसीएल के राजमहल कोल परियोजना के समीप ही कुछ एकड़ जमीन में ही कोयले के उत्पादन से संतोष करना पड़ रहा था. जमीन की वजह से परियोजना में हाय तौबा मचा हुआ था. मामले को लेकर कंपनी के हेड ऑफिस से पदाधिकारियों का लगातार गोड्डा राजमहल कैंपेनिंग होता रहा. लगातार प्रशासन से मदद की गुहार लगायी गयी. पिछले वर्ष जनवरी माह में ही कंपनी को जिला प्रशासन की मदद से तालझारी साइड में इसीएल के अधिग्रहित जमीन पर कब्जा कर कोयले का खनन आरंभ कराया गया था.

हुर्रासी में भी पिछले वर्ष 2023 में ही हुआ शुरू कोयले के उत्पादन का सबसे महत्वपूर्ण केंद्र हुर्रासी परियोजना जो करीब 10 सालों से ठंडा पड़ा था. उसे भी वर्ष 2023 में चालू कराया गया. इसे प्राइवेट कंपनी माेंटे कार्लो नामक आउट सोर्सिंग को देकर कंपनी ने उत्पादन आरंभ कराया.

कोयला उत्पादन के लिए अब जमीन उपलब्ध

इसीएल के पास पिछले वर्ष दो स्थान तालझारी एवं हुर्रासी में काेयला खनन के लिए जमीन उपलब्ध हो जाने के बाद दो स्थानों में कोयले की खुदाई आरंभ हो गयी. इस दौरान दिन-रात लगातार कोयले का खनन होने लगा. खनन मार्च माह से शुरू हो जाने के बाद कंपनी की परेशानी कोयला व जमीन को लेकर दूर होने लगी. इधर लगातार दो स्थानों तालझारी व हुर्रासी में मिट्टी कटाई के बाद कोयले का उत्पादन आरंभ हो गया. कंपनी की बड़ी-बड़ी मशीनें इस काम में रात दिन लगी हुई है. देखा जाये, तो कंपनी के पास जमीन की कमी का बहाना भी कम पड़ा जा रहा है. स्थानीय लोगों की मानें तो कंपनी की ओर से पिछले वर्ष ही इस बात को पूरी तरह से तय कर लिया गया था कि फिलहाल उत्पादन बेहतर रहेगा. मगर कंपनी की ओर से उत्पादन के लिए ढुलमुल व्यवस्था के कारण लक्ष्य से काफी पीछे रह गया है. हालांकि वर्ष 2023 में दो से तीन बार अत्यधिक बारिश की वजह से उत्पादन व प्रेषण में कमी आयी थी. कई दिनों तक कार्य बाधित रहा था. मार्च माह के 19 व 20 को एक बार पुन: बंगाल से आये साइक्लोन की वजह से बारिश ने उत्पादन को प्रभावित किया है. मगर जानकारों की मानें तो इस तरह की बारिश का बड़ा असर उत्पादन के बढ़े समय अंतराल तक प्रभावित नहीं कर सकता है. कंपनी की करोडों की मशीन व कर्मियों पर होने वाले खर्च की तुलना भी की जाये तो बड़े मुनाफे की बात नहीं बतायी जा सकती है.

क्या कहना है परियोजना के मैनेजर का

‘मार्च का महीना वित्तीय वर्ष का अंतिम महीना है. कोयला उत्पादन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रबंधन पूरा जोर लगाती है. लेकिन प्रबंधन के कोयला उत्पादन की गति को लगातार वर्षा होने से प्रभाव डाला है. उत्पादन लगभग ठप हो गया है. वर्षा की वजह से खनन क्षेत्र के अंदर हॉल रोड में फिसलन से डंपर के आवागमन में परेशानी होती है. मशीन को भी मिट्टी काटने व कोयला खनन करने में परेशानी होती है. सुरक्षा को ध्यान में देखते हुए कोयला उत्पादन बंद करना पड़ता है. वर्षा खत्म होने के बाद परियोजना अपने कोयला उत्पादन की गति में तेजी लाएगी एवं निर्धारित लक्ष्य को अवश्य पूरा करेगी.

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