अंकित कुमार, मुजफ्फरपुर
Braille script अब दृष्टि बाधित और दिव्यांग स्टूडेंट्स भी आसानी से उच्च शिक्षा प्राप्त करेंगे. इसको लेकर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने विशेष नीति तैयार की है. सामान्य कोर्स का संचालन करने वाले विश्वविद्यालय से लेकर तकनीकी शिक्षण संस्थानों में भी दिव्यांगों और ट्रांसजेंडर को विशेष सुविधा दी जायेगी. अब दिव्यांगों को नामांकन से लेकर पठन-पाठन और असाइनमेंट तैयार करने के लिए विशेष छूट मिलेगी.
आयोग के निर्देश के अनुसार अब यूजी, पीजी व तकनीकी पाठ्यक्रमों के लिए सिलेबस की डिजिटल काॅपी, हार्ड कॉपी, लार्ज प्रिंट, तस्वीर और बैकग्राउंड आवाज, ब्रेल, साइन लैंग्वेज व विभिन्न रंगों का प्रयोग कर तैयार किया जायेगा. दिव्यांगों को पढ़ने में असुविधा नहीं हो इसके लिए उन्हें ऐसा रिफ्रेंस मेटेरियल और टेक्सटबुक उपलब्ध कराया जायेगा, जिसमें विजुअल के साथ ही आवाज भी रहेगा. इसमें स्क्रीन रीडर की सुविधा भी होगी.
विद्यार्थियों की पाठ्यक्रम की ओर रूचि और वे सामान्य स्टूडेंट की तरह सिलेबस को कवर कर सकें इसके लिए शिक्षकों की एक टीम गठित की जायेगी. यदि कोई दिव्यांग स्टूडेंट कक्षा में पढ़ाई के दौरान पिछड़ रहा हो तो उसके लिए उसकी सुविधानुसार ऑफलाइन या ऑनलाइन मोड में पढ़ाई की सुविधा उपलब्ध कराना है. बता दें कि जिले में बीआरए बिहार विश्वविद्यालय, एमआइटी, पॉलिटेक्निक समेत दर्जनों उच्च शिक्षण संस्थान संचालित हैं. यहां दिव्यांगों के लिए फिलहाल कोई विशेष व्यवस्था नहीं है. ऐसे में आयोग की इस पहल से विद्यार्थियों को लाभ मिलेगा.
नामांकन के लिए सिर्फ टेक्स्ट नहीं वीडियो फार्मेट में जारी करना होगा नोटिफिकेशन
दिव्यांगों को केंद्रित करते हुए संस्थानों अब सिर्फ टेक्स्ट फार्मेट में नोटिफिकेशन जारी नहीं कर सकते. उन्हें वीडियो, ऑडियो-विजुअल के साथ ही अलग-अलग कलर कॉम्बिनेशन के साथ नामांकन की अधिसूचना जारी करनी होगी. अपने अधिकार क्षेत्र में जागरूकता कार्यक्रम के माध्यम से दिव्यांग विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा के लिए जागरूक करना है. नामांकन से लेकर परीक्षा और परिणाम तक विभिन्न फॉर्मेट में जारी किये जायेंगे. इसकी सूचना बड़े आकार का प्रिंट और ऑडियो-वीडियो के साथ ही ब्रेल में भी जारी करनी होगी
परीक्षा से पहले और बाद में रोजगार के लिए की जायेगी काउंसलिंग
दिव्यांग विद्यार्थियों के नामांकन से उनके प्लेसमेंट तक के लिए फुलप्रूफ प्लान तैयार किया गया है. परीक्षा से पहले उन्हें मानसिक रूप से तैयार करने के लिए काउंसलिंग की जायेगी. वहीं बाद में नौकरी व रोजगार के लिए तैयार किया जायेगा. इसको लेकर संस्थानों में एक विशेष कमेटी गठित की जायेगी. दिव्यांगों को प्रमाणपत्र के लिए संस्थान में भटकना नहीं पड़े इसके लिए एक सेल का गठन किया जायेगा. इसकी मदद से समय-समय पर उन्हें मिलने वाले फेलोशिप और छात्रवृत्ति के बारे में भी जानकारी दी जायेगी.
कोर्स लोड को कम करने के लिए मिलेगा विकल्प
दिव्यांग विद्यार्थियों पर कोर्स लोड कम करने के लिए उन्हें विकल्प दिया जायेगा. उन्हें पाठ्यक्रम से अलग गतिविधियों में शामिल कर पाठ्यक्रम के समरूप लाने की व्यवस्था की जायेगी. कक्षाओं में उपस्थिति और समय-सारिणी में भी दिव्यांगों को छूट दी जायेगी. उनके लिए पार्किंग की अलग व्यवस्था होगी. कक्षाओं के शेड्यूल में परिवर्तन या छात्रावास में कमरा बदलने की स्थिति में दिव्यांग विद्यार्थियों को पहले इसकी सूचना देनी होगी. किसी आपदा के समय दिव्यांगों के लिए नजदीकी निकास और संसाधन उपलब्ध कराने होंगे.