16.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

Dhulandi 2024 Date: क्यों और कैसे मनाया जाता है पांच दिवसीय धुलेंडी महोत्सव, जानें सही तारीख-विधि और महत्व

Advertisement

Dhulandi 2024 Date: धुलेंडी का पर्व होलिका दहन के अगले दिन से शुरू होता है. धुलेंडी पांच दिनों तक मनाया जाने वाला पर्व है. धुलेंडी हरियाणा का प्रमुख उत्सव है. वहीं इस दिन मध्यप्रदेश में गेर निकाले जाने की परंपरा है. आइए जानते है कि धुलेंडी क्यों मनाई जाती है.

Audio Book

ऑडियो सुनें

Dhulandi 2024 Date: ‘धुलेंडी’ हरियाणा में मनाया जाने वाला एक उत्सव है. यह हिन्दुओं के प्रसिद्ध त्योहार होली का ही एक नाम है. इस साल धुलंडी का पर्व 25 मार्च 2024 को मनाया जाएगा. हरियाणा में होली धुलेंडी के रूप में मनाते हैं और सूखी होली गुलाल और अबीर से खेलते हैं. बता दें कि धुलेंडी को धुलंडी, धुरड्डी, धुरखेल या धूलिवंदन जैसे नामों से भी जाना जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार हरियाणा में भाभियों को धुलेंडी के दिन पूरी छूट रहती है कि वे अपने देवरों को साल भर सताने का दण्ड दे सकें. भाभियां देवरों को तरह-तरह से सताती हैं और देवर बेचारे चुपचाप झेलते हैं, क्योंकि इस दिन तो भाभियों का दिन होता है. वहीं शाम को देवर अपनी प्यारी भाभी को उपहार देकर आशीर्वाद लेते है.

- Advertisement -

पांच दिवसीय त्योहार है धुलेंडी

धुलेंडी चैत्र मास की प्रतिपदा तिथि से शुरू होता है और पंचमी तक चलता है. धुलेंडी पांच दिवसीय त्योहार है. इस त्योहार का मुख्य उद्देश्य होली की तरह ही प्रेम, उल्लास, एकता और भाईचारा है. धुलेंडी के पांच दिनों में हर कोई अपने दोस्त, मित्र, रिश्तेदार और दुश्मन के भी घर जाकर उससे गले मिलकर, गिले-शिकवे दूर करते है और रंग-गुलाल लगाकर उनके जीवन के लिए मंगल कामनाएं करते है. धुलेंडी का पर्व इस साल 25 मार्च 2024 दिन सोमवार से शुरू होगा और चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि यानी 29 मार्च 2024 दिन शुक्रवार को समाप्त होगा.

धुलेंडी से रंगपंचमी तक की पूरी जानकारी

  • धुलेंडी पांच दिन तक प्रतिपदा तिथि से पंचमी तक चलने वाला प्रेम, उल्लास, एकता और भाईचारा का त्योहार है.
  • होलिका दहन के पश्चात्‌ प्रतिपदा को धुलेंडी पूजन कर माता-पिता से भी आशीर्वाद लिया जाता है.
  • फिर टोली बनाकर ढोलक अथवा मृदंग बजाते-गाते चल समारोह निकाला जाता है.
  • इस दौरान मित्रों, पड़ोसियों, रिश्तेदारों को रंग-गुलाल लगाकर गले मिलते है.
  • द्वितीया, तृतीया और चतुर्थी एक-दूसरे को होली की शुभकामनाएं देने तथा मिठाई खाने-खिलाने का विधान है.
  • रंग-पंचमी को फिर वही किया जाता है जैसा कि प्रतिपदा धुलेंडी को किया था।.
  • कुछ क्षेत्रों में रंग पंचमी का त्योहार ज्यादा जोर-शोर से मनाया जाता है.
  • इन पाँच दिनों में दुश्मन के घर जाकर, उससे गले मिलकर, गिले-शिकवे दूर कर उनके साथ भी होली खेली जाती है.

क्यों मनाया जाता है धुलेंडी का पर्व कथा-1

चैत्र शुक्‍ल प्रतिपदा तिथ‍ि को धुलेंडी का पर्व मनाया जाता है. धुलेंडी का त्योहार होलिका दहन के अगले दिन रंग-गुलाल लगाकर मनाया जाता है. वहीं दूसरे जगहों पर इस दिन होली मनाई जाती है. इस दिन हर कोई सब गिले-शिकवे भूलकर एक-दूसरे के रंग में रंग जाते हैं. बता दें कि धुलेंडी को धुलंडी, धुरड्डी, धुरखेल या धूलिवंदन जैसे नामों से भी जाना जाता है. धुलेंडी मनाने के पीछे दो कथाएं प्रचलित है. पहली कथा के अनुसार धलुंडी के दिन भोलेनाथ ने कामदेव को उनकी तपस्‍या भंग करने के प्रयास में भस्‍म कर दिया था. लेकिन देवी रति की प्रार्थना पर उन्‍होंने कामदेव को क्षमा दान देकर पुर्नजन्‍म दिया. महादेव ने देवी रति को यह वरदान दिया कि वह श्रीकृष्‍ण के पुत्री रूप में जन्‍म लेंगी. कामदेव के पुर्नजन्‍म और देवी रति को प्राप्‍त वरदान की खुशी में धूमधाम से मनाया जाता है.

क्यों मनाते हैं धुलेंडी कथा-2

त्रैतायुग की शुरुआत में भगवान विष्णु ने धूलि वंदन किया था, इसकी याद में धुलेंडी मनाई जाती है. धूल वंदन अर्थात लोग एक दूसरे पर धूल लगाते हैं. कई जगहों पर होली की राख को लगाने की परंपरा है. होली के अगले दिन धुलेंडी के दिन सुबह के समय लोग एक दूसरे पर कीचड़, धूल लगाते हैं. इसे धूल स्नान कहते हैं. पुराने समय में इस दिन चिकनी मिट्टी की गारा का या मुलतानी मिट्टी को शरीर पर लगाया जाता था.

Holi Bhai Dooj 2024 date: होली के बाद कब मनाई जाएगी भाई दूज, जानें सही तिथि और टीका करने का शुभ समय

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें