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रांची विश्‍वविद्यालय के 37वें दीक्षांत समारोह में 76 को गोल्ड मेडल, राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने दिया सफलता का मंत्र

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रांची विश्‍वविद्यालय का 37वां दीक्षांत समारोह शुक्रवार को मोरहाबादी में मनाया गया. इसमें 76 विद्यार्थियों को गोल्ड मेडल मिला. राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने इन्हें सफलता का मंत्र दिया.

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रांची: रांची विश्‍वविद्यालय का 37वां दीक्षांत समारोह शुक्रवार को मोरहाबादी परिसर स्थित दीक्षांत मंडप में संपन्‍न हुआ. इस दीक्षांत समारोह में मुख्‍य अतिथि के रूप में राज्यपाल सह कुलाधिपति सीपी राधाकृष्‍णन मौजूद थे, जबकि
विशिष्‍ट अतिथि के रूप में केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा मौजूद थे. इन्होंने पारंपरिक परिधान में उपस्थित छात्र-छात्राओं को गोल्‍ड मेडल और उपाधि प्रदान की. 76 विद्यार्थियों को गोल्ड मेडल दिया गया. दीक्षांत समारोह में कुल 4043 छात्रों को उपाधि प्रदान की गयी. राज्यपाल सीपी राधाकृष्‍णन ने कहा कि भारत के युवा अपने ज्ञान के बल पर विश्‍वभर में हर जगह अपना स्‍थान बनाए हुए हैं और मुझे पूरा विश्‍वास है कि रांची विश्‍वविद्यालय के युवा अपने माता-पिता, झारखंड और देश का नाम रोशन करेंगे. उन्‍होंने कहा कि आप अपनी उपलब्धियों से संतुष्‍ट होने के बजाय आगे निरंतर बड़े लक्ष्‍यों को तय कर उसके लिए प्रयासरत रहें, तभी हम 2027 में विकसित भारत का सपना पूरा करेंगे. इस दौरान उन्होंने विद्यार्थियों को जीवन में सफलता का मंत्र दिया.

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हमें बनाना है विकसित भारत
विशिष्‍ट अतिथि केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि दीक्षांत समारोह का मूल उद्देश्‍य हमें अपनी बौद्धिक क्षमता से विश्‍व को परिचित कराना है. 2047 में हमें विकसित भारत बनाना है. हमें अभी से ही भविष्‍य की जरूरतों के लिए प्‍लान कर काम करने की आवयश्‍यकता है. झारखंड में सीबीएसई 740 प्‍लस टू विद्यालय खोले जायेंगे. उन्‍होंने कहा कि रांची विश्‍वविद्यालय झारखंड में शिक्षा, जनजातीय भाषा से लेकर प्रत्‍येक क्षेत्र में बहुत अच्‍छा काम कर रहा है. उन्‍होंने कहा कि कई बार झारखंड के इस सबसे पुराने विश्‍वविद्यालय का नाम बदलने का प्रस्‍ताव आया, पर मैंने मना कर दिया क्‍योंकि रांची और रांची विश्‍वविद्यालय का अपना एक अलग ही स्‍पंदन है.

नयी राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने वाला पहला विश्वविद्यालय
रांची विश्वविद्यालय के कुलपति एवं विश्‍वविद्यालय के पदाधिकारियों की टीम ने परंपरागत तरीके से और शंख ध्‍वनि के साथ स्‍वागत किया गया. मुख्य अतिथि राज्यपाल डॉ सीपी राधाकृष्‍णन एवं विशिष्‍ट अतिथि अर्जुन मुंडा का द्वीप
प्रज्‍ज्वलन तथा पीएफए विभाग के छात्रों द्वारा राष्‍ट्रगान और कुलगीत प्रस्‍तुति के बाद कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ. कुलपति रांची विश्‍वविद्यालय प्रो डॉ अजीत कुमार सिन्‍हा ने कहा कि विद्यार्थी और शिक्षक विद्या प्राप्ति कर अपनी बुद्धि को तीक्ष्‍ण बनाते हुए समर्थ बनेंगे. रांची विश्‍वविद्यालय शैक्षणिक और सांस्‍कृतिक गतिविधियों के लिए प्रतिबद्ध है. रांची, खूंटी, सिमडेगा, गुमला, लोहरदगा जिलों में उच्‍च शिक्षा के दायित्‍वों को रांची विश्‍वविद्यालय पूरा कर रहा है. रांची
विश्‍वविद्यालय झारखंड का पहला विश्‍वविद्यालय है जिसने नयी राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति को लागू किया है. छात्रों की सुविधा के लिए कइ सारे कॉमन सर्विस सेंटर खोले गये हैं. साथ ही क्षेत्रीय और विदेशी भाषाओं की पढ़ाई, खेल-कूद, प्रोफेशन तथा वोकेशनल कोर्सेज के लिए देश के बड़े संस्थानों के साथ एमओयू कर हम निरंतर आगे बढ़ रहे हैं. शोध गंगा पर शोध को अपलोड किया जा रहा है ताकि बौद्धिक संपदा की चोरी न हो.

मौके पर ये थे मौजूद
दीक्षांत समारोह कार्यक्रम का संचालन रांची विश्‍विद्यालय के कुलसचिव डॉ बी नारायण एवं डिप्‍टी डायरेक्‍टर वोकेशनल डॉ स्‍मृति सिंह ने किया. इस अवसर पर रांची विश्‍वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक, सीसीडीसी, डीएसडब्‍ल्‍यू, कुलानुशासक सहित विभिन्‍न विभागों, कॉलेजों के प्राचार्य, हेड, डीन, निदेशक, प्राध्‍यापक व विद्यार्थी समेत अन्य उपस्थित थे.

रेगुलर पढ़ाई और लक्ष्य पर फोकस रखने से ही सफलता, बोले रांची यूनिवर्सिटी के टॉपर्स
रांची विवि के 37वें दीक्षांत समारोह में गोल्ड मेडलिस्टों के चेहरे की चमक उनकी सफलता की कहानी बयां कर रही थी. इस सफलता के पीछे उनका परिश्रम और सतत प्रयास शामिल था. टॉपरों ने बताया कि सफलता के लिए कैसी और किसी प्रकार की तैयारी की.

बचपन से डॉक्टर बनने का सपना था. मैं अपने माता-पिता की इकलौती संतान हूं. हमेशा मुझे अपने पिता आशु मलहोत्रा और माता अल्पना से आगे बढ़ने की प्रेरणा मिली. नियमित पढ़ाई ही सफलता की सीढ़ी है.
डॉ प्रकृति मलहोत्रा, ओवरऑल बेस्ट मास्टर इन मेडिकल

सफलता एक दिन में नहीं मिलती. इसके लिए सतत प्रयास की जरूरत होती है. मैंने हॉस्टल में रहकर यहां मैथ्स की पढ़ाई की और सफलता हासिल की. वर्तमान में नेट की तैयारी कर रही हूं और प्रोफेसर बनना लक्ष्य है.
शिल्पा महापात्रा, ओवरऑल बेस्ट मास्टर डिग्री

समर्पण और अनुशासन ही हमें सफलता दिला सकती है. अपनी सफलता का श्रेय अपने पिता डॉ अमूल रंजन और माता डॉ अर्चना को देती हूं. उनके बिना यह संभव नहीं हो पाता.
स्वेच्छा सिंह, टॉपर साइकोलॉजी

बड़े भाई शहनवाज अंसारी भी 2017 में बेस्ट ग्रेजुएट बने थे. उनको देखकर मैंने भी फिलॉसफी विषय के साथ बेहतर रिजल्ट की तैयारी शुरू की और आज परिणाम मेरे सामने है. वर्तमान में प्रतियोगिता की तैयारी कर रही हूं.
सना कैसर, बेस्ट ग्रेजुएट इन आर्ट्स

साइंटिस्ट बनने की तैयारी है और वर्तमान में आइआइटी इंदौर में रिसर्च एसोसिएट हूं. टॉपर बनने में मेरे पूरे घर का योगदान है. सफलता का कोई मानक नहीं होता है, बल्कि रेगुलर पढ़ाई से ही इसे हासिल किया जा सकता है.
श्रेया भारती, ओवरऑल बेस्ट मास्टर डिग्री, टॉपर इन बॉयोटेक्नोलॉजी

घर के काम के साथ पढ़ाई करना मुश्किल होता है, लेकिन मेरे पति तारापद महतो ने मेरा साथ दिया. जिसके बाद मैं छह से सात घंटे पढ़ाई करती थी. वर्तमान में नेट की तैयारी कर रही हूं.
शीला महाता, टॉपर इन बांग्ला

पढ़ने का कोई समय नहीं होता, बस सही दिशा और लक्ष्य के साथ पढ़ाई जरूरी होती है. वर्तमान में मैं सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रही हूं और नेट की भी तैयारी साथ में चल रही है.
आस्था कुमारी, टॉपर इन सोशियोलॉजी

इतिहास पढ़ने का पैशन होना चाहिए, इसी पैशन के तहत मैंने पढ़ाई की और रिजल्ट मेरे सामने है. वर्तमान में मैं सिविल सर्विसेज की तेयारी कर रही हूं.
अदिति सिंह, टॉपर इन हिस्ट्री

सोशल साइंस में रुचि थी, इसलिए ज्योग्राफी की पढ़ाई की. मन का विषय होने के कारण समझने में कोई परेशानी नहीं हुई और रिजल्ट मेरे सामने है. अब पीएचडी में रजिस्ट्रेशन कराने की तैयारी है.
अभय कुमार गुप्ता, टॉपर इन ज्योग्राफी

रांची विवि के आइएलएस से एलएलम किया है. वर्तमान में इंदौर हाइकोर्ट में प्रैक्टिस चल रही है. न्यायिक सेवा में जाने की तैयारी कर रही हूं.
कामिनी झा, एलएलएम डिग्री होल्डर

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