25.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

पलामू लोकसभा में राजघराने से लेकर पिछड़े तबके, टॉप पुलिस अफसर व शीर्ष माओवादी तक बने हैं सांसद

Advertisement

देश की आजादी के बाद पलामू में लोकसभा की दो सीटें थीं. एक सुरक्षित सीट और दूसरी सामान्य. वर्ष 1952 में दोनों सीटों पर कांग्रेस का कब्जा रहा.

Audio Book

ऑडियो सुनें

- Advertisement -

चंद्रशेखर सिंह, मेदिनीनगर : पलामू लोकसभा क्षेत्र के मतदाताओं ने अपने क्षेत्र से हर तरह के लोगों को सांसद बनाने का काम किया है. यहां की जनता ने हमेशा ही कांग्रेस, झामुमो, राजद, भाजपा, स्वतंत्र पार्टी, जनता पार्टी का साथ दिया है. आनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित सीट के मतदाताओं ने 1952 में जेठन सिंह खरवार (कांग्रेस) को सांसद बनाया. वह महादलित परिवार से ताल्लुक रखते थे. वहीं राजघराने की राजमाता शशांक मंजरी को 1962 में स्वतंत्र पार्टी से विजयी बनाया. इसके अलावा 2009 में झामुमो के टिकट पर कामेश्वर बैठा सांसद बने. किसी समय उनका नाम शीर्ष माओवादी में शुमार होता था. इसके बाद 2014 और 2019 में लगातार दो बार भाजपा की सीट पर झारखंड पुलिस के शीर्ष अधिकारी (डीजीपी) रहे वीडी राम ने जीत हासिल की है.

देश की आजादी के बाद पलामू में लोकसभा की दो सीटें थीं. एक सुरक्षित सीट और दूसरी सामान्य. वर्ष 1952 में दोनों सीटों पर कांग्रेस का कब्जा रहा. सुरक्षित सीट से कांग्रेस के जेठन सिंह खरवार और सामान्य सीट से गजेंद्र प्रसाद सिन्हा सांसद बने. वर्ष 1957 में सुरक्षित सीट समाप्त होने पर सामान्य सीट से गजेंद्र प्रसाद सिन्हा भी सांसद बने. इसके बाद स्वतंत्र पार्टी की उम्मीदवार व राजघराने से ताल्लुक रखने वाली शशांक मंजरी को 1962 में सांसद बनने का मौका मिला. फिर इस सीट को 1967 में अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित कर दिया गया. तब भी कांग्रेस की उम्मीवार कमला कुमारी सांसद चुनी गयीं. 1971 में भी कमला कुमारी फिर सांसद बनीं.

1977 में जेपी लहर में यह सीट कांग्रेस के हाथ से निकल गयी और जनता पार्टी के उम्मीदवार रामदेनी राम सांसद बने. उसके बाद लगातार दो बार चुनाव में कांग्रेस की कमला कुमारी चुनीं गयी. 1989 में जनता दल के जोरावर राम को सांसद बनने का मौका मिला. 1991 में यहां भाजपा की इंट्री हुई और रामदेव राम यहां से सांसद बने. फिर 1999 तक भाजपा का कब्जा रहा. बीच में एक बार राजद के मनोज भुइयां और घुरन राम, झामुमो के कामेश्वर बैठा सांसद बने, लेकिन वर्ष 2014 के बाद से इस पद पर भाजपा के वीडी राम काबिज हैं.

सिंचाई-पेयजल की समस्या अब तक बरकरार

पलामू संसदीय क्षेत्र में अब भी सिंचाई और पेयजल का मुद्दा खड़ा है. यहां मंडल डैम निर्माण का मामला अब भी लटका हुआ है. सिंचाई नहीं होने से जीविकोपार्जन के लिए लोगों का पलायन हो रहा है.सभी का मानना है कि अगर मंडल डैम बन जाता, तो पलामू में सिंचाई का बड़ा काम हो जाता. लोग काम से जुड़ते. पलामू और गढ़वा के बड़े इलाके में जमीन के अंदर पानी में फ्लोराइड की मात्रा मिल रही है. इसका व्यापक असर लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है. वर्षों के प्रयास के बाद भी इससे निजात नहीं पाया जा सका है. पानी पीने लायक नहीं है. पूरा पलामू क्षेत्र पानी के संकट से गुजर रहा है. हर साल यहां सूखा पड़ता है. सूखा पड़ने का असर होता है कि किसान काफी पीछे चले जाते हैं. यह मुद्दा कोई नया नहीं है, बल्कि दशकों से यहां खड़ा है. पर सिंचाई की व्यवस्था और पेयजल व्यवस्था पर कुछ नहीं हो पा रहा है. अब फिर लोकसभा चुनाव आ गया है. इस चुनाव में भी यह मुद्दा खड़ा रहेगा.

पलामू लोकसभा का राजनीतिक समीकरण

पलामू लोकसभा में छह विधानसभा क्षेत्र आते हैं. छह विधानसभा सीटों में से चार पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है. पलामू जिले के अंतर्गत डालटनगंज, छतरपुर, हुसैनाबाद और विश्रामपुर विधानसभा हैं. वहीं गढ़वा जिले के अंतर्गत गढ़वा और भवनाथपुर विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं. डालटनगंज, छतरपुर, विश्रामपुर और भवनाथपुर भाजपा के खाते में है. वहीं हुसैनाबाद में एनसीपी का कब्जा है, जबकि गढ़वा विधानसभा की सीट पर झामुमो के विधायक हैं.

उद्योग व हवाई मार्ग शुरू करना प्राथमिकता

पलामू सांसद विष्णु दयाल राम (वीडी राम) ने कहा कि अपने 10 वर्षों के कार्यकाल से बिल्कुल संतुष्ट हूं. पलामू संसदीय क्षेत्र में आने वाले पलामू एवं गढ़वा जिले का पिछले 10 वर्षों में चहुंमुखी विकास हुआ है. 2014 में जब पहली बार चुनाव लड़ रहा था, तब पलामू की समस्याओं से गहनता से रूबरू हुआ. जनता के आशीर्वाद से चुनाव जीतकर जब सांसद बना, तब उन्होंने दोनों जिलों में बिजली, पेयजल, सिंचाई, सड़क, स्वास्थ्य एवं रोजगार से जुड़ी समस्याओं को दूर करने की दिशा में लगातार प्रयास किया. अपनी क्षमता का भरपूर उपयोग करके समस्याओं का बहुत हद तक निवारण करने में जन सहयोग से सफलता पायी. बिजली समस्या के निदान के लिए पलामू के लहलहे में नेशनल पावर ग्रिड व गढ़वा के भागोडीह में ग्रिड की स्थापना करायी. पेयजल एवं सिंचाई की समस्या का निदान के लिए गढ़वा में सोन-कनहर पाइपलाइन सिंचाई योजना को धरातल पर उतारा. इसका करीब 70 प्रतिशत काम हो चुका है. पलामू में सोन कोयल औरंगा पाइपलाइन सिंचाई योजना का शिलान्यास हो चुका है. दोनों परियोजनाओं के पूर्ण होने से जनता को पेयजल एवं सिंचाई की समस्याओं से बहुत हद तक निजात मिल सकेगी. रोड इंफ्रास्ट्रक्चर का बहुत तेजी से विकास हुआ है. दो राष्ट्रीय राजमार्ग 139 (पुराना-98) और 39 (पुराना-75) फोरलेन बन रहे हैं. इससे जुड़े आठ बाइपास सड़क गढ़वा, डालटनगंज, सतबरवा, पोलपोल, छतरपुर, हरिहरगंज, रमना एवं नगर उंटारी में बन रहे है.

खेतों तक पानी पहुंचाने में नाकाम रहे सांसद

पलामू संसदीय क्षेत्र से बसपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ी अंजना भुइंया 2019 में तीसरे स्थान पर रही थीं. उनका कहना है कि पलामू संसदीय क्षेत्र में विकास का दीप नहीं जला है. शोषित, पीड़ित, दलित व गरीबों का विकास नहीं हुआ. पलामू व गढ़वा की जनता पेयजल की समस्या से जूझ रही है. किसानों के खेतों तक पानी नहीं पहुंचाया गया. सांसद सिंचाई की व्यवस्था करने में नाकाम रहे हैं. जिले के अधिकारी सिर्फ विकास का डाटा तैयार करते हैं. उन्हें जनहित से कोई लेना-देना नहीं होता है. सरकार विकास के लिए पैसे भेजती है, लेकिन अधिकारियों को उसे धरातल पर उतारने में रुचि नहीं होती है. सांसद और विधायक सिर्फ पक्की सड़कों पर घूमते हैं. गरीबों को स्वास्थ्य सुविधा भी नहीं मिल रही है. जब किसी मंत्री अधिकारी का दौरा होता है, तो अस्पताल के बेड पर चादर बिछाये जाते हैं. अन्य दिनों में चादर नहीं होते. जनप्रतिनिधियों को जनहित में काम करना चाहिए, न कि अपने हित के लिए. जनता अगर मौका देती है, तो निश्चित रूप से राजा मेदिनी राय की तर्ज पर गरीबों की सेवा में काम करेंगी.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें