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हेमंत सोरेन का मास्टर स्ट्रोक रहे चंपई, भाजपा ने भी हाथ नहीं जलाया, जोड़-तोड़ से रही दूर

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झामुमो विधायक सीता सोरेन, रामदास सोरेन, लोबिन हेंब्रम और चमरा लिंडा का हस्ताक्षर इसमें नहीं है. ये विधायक भी सत्ता पक्ष के साथ ही हैं. सीता सोरेन पहुंच चुकी हैं, वहीं लोबिन हेंब्रम चंपई के नाम पर मान गये हैं.

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रांची : झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने अपनी कुर्सी गंवाने के बाद झामुमो के वरिष्ठ विधायक चंपई सोरेन का नाम आगे कर अच्छा राजनीतिक दावं चला. परिवार से बाहर एक आदिवासी चेहरा को आगे कर राजनीति को साधने का प्रयास किया. पारिवारिक विवाद से लेकर पार्टी के अंदर की खलबली को शांत किया. चंपई सोरेन को मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचा कर विपक्ष को भी बहुत हमला का मौका नहीं दिया. भाजपा ने भी वर्तमान परिस्थिति में अपना हाथ जलाना मुनासिफ नहीं समझा.

इंडिया गठबंधन के पास पर्याप्त आंकड़ा था. फिलहाल सत्ता पक्ष के 47 प्लस का आंकड़ा दिख रहा है. चंपई सोरेन ने राजभवन को 43 विधायकों को समर्थन पत्र सौंपा है. झामुमो विधायक सीता सोरेन, रामदास सोरेन, लोबिन हेंब्रम और चमरा लिंडा का हस्ताक्षर इसमें नहीं है. ये विधायक भी सत्ता पक्ष के साथ ही हैं. सीता सोरेन पहुंच चुकी हैं, वहीं लोबिन हेंब्रम चंपई के नाम पर मान गये हैं. रामदास सोरेन बीमार बताये जा रहे हैं. वहीं एक मनोनीत विधायक जोसेफ ग्लेन गॉलस्टिन विधायकों के साथ हैदराबाद गये हैं. माले विधायक विनोद सिंह का भी समर्थन चंपई सोरेन को है. इधर एनडीए सत्ता के आंकड़े से दूर थी. भाजपा के पास 26, आजसू के पास तीन और निर्दलीय सरयू राय, अमित यादव और एनसीपी के कमलेश सिंह को मिला कर एनडीए के पास 32 विधायक ही हैं. भाजपा ने भी इस पूरे प्रकरण में अपने को जोड़-तोड़ से अलग रखा.

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भाजपा वेट एंड वाच की स्थिति में, अंतर्विरोध के बाद होगा हमला

रांची: भाजपा फिलहाल वेट एंड वाच की स्थिति में हैं. भाजपा ने चंपई सोरेन को सरकार बनाने का पूरा रास्ता दिया. किसी तरह की राजनीतिक चाल भाजपा ने नहीं चली. अब भाजपा की नजर इस सरकार पर होगी. सरकार के अंतर्विरोध के बाद ही हमलावर होंगे. सरकार में मंत्रिमंडल के बंटवारे से लेकर दूसरा कोई विवाद सामने आता है, तो भाजपा इस सरकार को घेरेगी.

11 महीने के लिए भाजपा ने नहीं दिखायी रुचि

रांची: वर्तमान चंपई सोरेन सरकार का कार्यकाल 11 महीने का है. इस छोटे से कार्यकाल को लेकर भाजपा ने कोई रूचि नहीं दिखायी. भाजपा आनेवाले विधानसभा चुनाव तक किसी भी राजनीतिक दावं-पेच से परहेज करती दिख रही है.

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