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धुंध से पटना एयरपोर्ट पर हर दिन रद्द हो रहे विमान, जाने क्यों नहीं हो रहा एप्रोच लाइट का इंस्टॉलेशन

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पर्यावरण मंजूरी नहीं मिलने के कारण यह इंस्टॉलेशन अब तक नहीं पूरा हो सका है और दिसंबर-जनवरी के घने धुंध वाले मौसम में कम दृश्यता के कारण विमानों के रद्द, डायवर्ट और देर होने की समस्या बनी हुई है.

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अनुपम कुमार, पटना. केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की मंजूरी के इंतजार में पटना जू में एप्रोच लाइट का इंस्टॉलेशन दो साल से रुका है. पटना एयरपोर्ट पर कम विजिबिलिटी में भी विमानों को उतरने लायक बनाने के लिए वर्ष 2020-21 में इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम को फिर से बिछाने और इससे जुड़े 720 मीटर कैट वन एप्रोच लाइट को लगाने का निर्णय लिया गया.

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पर्यावरण मंजूरी नहीं मिलने के कारण रुका है काम

इस एप्रोच लाइट के लगने के बाद पटना एयरपोर्ट पर विमानों के सुरक्षित लैंडिंग के लिए निर्धारित दृश्यता की सीमा 300 मीटर घट जायेगी और वर्तमान एक हजार मीटर की जगह यह 700 मीटर की दृश्यता पर भी लैंड कर सकेगी. लेकिन पर्यावरण मंजूरी नहीं मिलने के कारण यह इंस्टॉलेशन अब तक नहीं पूरा हो सका है और दिसंबर-जनवरी के घने धुंध वाले मौसम में कम दृश्यता के कारण विमानों के रद्द, डायवर्ट और देर होने की समस्या बनी हुई है.

जू के भीतर लगना है 360 मीटर एप्रोच लाइट

पटना एयरपोर्ट के रनवे किनारे से लेकर जू के गेट नंबर दो तक 720 मीटर एप्रोच लाइट एक सीधी रेखा में लगाना है. इसमें 360 मीटर कैट वन एप्रोच लाइट पटना एयरपोर्ट परिसर और उससे जुड़े पीर अली पथ वाले हिस्से में लगे सामान्य एप्रोच लाइट को बदलकर लगाना है जबकि 360 मीटर कैट वन एप्रोच लाइट जू के भीतर लगाना है. लेकिन पर्यावरण मंत्रालय ने पटना जू में एप्रोच लाइट लगाने की अनुमति नहीं दी क्योंकि इसकी तीखी रौशनी के कारण जू में रहने वाले जानवरों के सेहत पर खराब असर पड़ने की आशंका है. लिहाजा आज दो साल बाद भी यह प्रोजेक्ट पूरा नहीं हो पाया है.

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मुख्य सचिव देख रहे मामले को

आइएलएस को फिर से लगाने का काम हमलोगों ने पिछले महीने ही पूरा कर लिया है. पटना जू में एप्रोच लाइट लगाने पर पर्यावरण मंत्रालय की आपत्ति से यह रुका है. संबंधित मामले को हमलोगों ने उठाया है. इसे मुख्य सचिव के स्तर पर देखा जा रहा है और उन्होंने केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के समक्ष इसे उठाया है . मंजूरी मिलते ही हम पूरे एप्रोच लाइट को नये सिरे से लगाने और पटना जू के गेट नंबर दो तक इसे ले जाने का काम शुरू कर देंगे.

– अंचल प्रकाश, निदेशक पटना एयरपोर्ट

दरभंगा एयरपोर्ट के लिए 1400 मीटर की दृश्यता जरुरी

दरभंगा एयरपोर्ट पर उतरने वाले विमान वहां एयरफोर्स बेस स्टेशन के रनवे का इस्तेमाल करते हैं जहां आइएलएस कैट वन नहीं लगा है और न ही अत्याधुनिक एप्रोच लाइट लगे हैं. इसके कारण वहां विमानों के उतरने के लिए 1400 मीटर की दृश्यता जरुरी है. इससे कई बार कम धुंध में भी विमान वहां लैंड नहीं कर पाते और उन्हें पटना डायवर्ट होकर आना पड़ता है.

गया में भी लैंडिंग के लिए चाहिए 1000 मीटर की दृश्यता

गया में आइएलएस कैट वन लगा है. साथ ही एप्रोच लाइट भी लगे हैं लेकिन उनके अत्याधुनिक नहीं होने के कारण वहां विमान उतरने के लिए 1000 मीटर की दृश्यता जरुरी है.

देवघर में लग रहा आइएलएस कैट वन

देवघर में वर्तमान में आइएलएस नहीं लगा है जिसके कारण वहां भी विमान उतरने के लिए 1400 मीटर की दृश्यता चाहिए. लेकिन आइएलएस कैट वन लगाने के प्रोजेक्ट पर वहां काम चल रहा है जिसके पूरा हो जाने के बाद वहां भी 1000 मीटर की दृश्यता पर विमान उतर सकेंगे. रांची में भी लगा है आइएलएस कैट वन आइएलएस कैट वन रांची में भी लगा है जिससे वहां एक हजार मीटर की दृश्यता में अभी विमान उतर सकते हैं. एप्रोच लाइट की लंबाई बढ़ा देने और वर्तमान एप्रोच लाइट को अत्याधुनिक एप्रोच लाइट से बदल देने पर वहां भी 700 मीटर की दृश्यता पर विमान लैंड हो सकेंगे.

बनारस में लगा है कैट टू इंस्टृूमेंट लैंडिंग सिस्टम

बनारस एयरपोर्ट पर कैट टू इंस्टूमेंट लैँडिंग सिस्टम लगाया गया है. इसके कारण यहां 650 मीटर की दृश्यता पर ही विमान उतर सकते हैं.

सात बड़े एयरपोर्ट पर महज 100 मीटर की दृश्यता पर भी उतर सकते विमान

देश के सात बड़े एयरपोर्ट पर आइएलएस कैट 3 सिस्टम लगा है. इनमें दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरू, अहमदाबाद और हैदराबाद एयरपोर्ट शामिल हैं. इनमें विमान के उतरने के लिए महत 100 मीटर की दृश्यता चाहिए. यही वजह है कि घने धुंध की स्थिति में भी यहां विमानों को उतरने में परेशानी नहीं होती है.

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