26.1 C
Ranchi
Monday, February 10, 2025 | 08:10 pm
26.1 C
Ranchi
HomeNationalWeather Updates: क्या है अल नीनो? हिमालय में दिख रहा है इसका...

Weather Updates: क्या है अल नीनो? हिमालय में दिख रहा है इसका असर, पढ़ें यह रिपोर्ट

- Advertisment -

Weather Updates: ऊंचे पर्वतीय दर्रों पर बमुश्किल बर्फबारी, सफेद ढलानों पर स्कीइंग करने की उम्मीद कर रहे लोगों की निराशा और पर्यटकों का पहाड़ी स्थलों की यात्राएं रद्द करना…इन सबके साथ पूरे उत्तर-पश्चिम हिमालय में असामान्य रूप से शुष्क सर्दी के लिए अल नीनो प्रभाव जिम्मेदार है और निकट भविष्य में राहत मिलती नहीं दिख रही. विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) के अनुसार 2023 सबसे गर्म वर्ष दर्ज किया गया और अल नीनो का घटनाक्रम 2024 में गर्मी और बढ़ा सकता है.अल नीनो घटनाक्रम तब होता है जब समुद्र की सतह का तापमान पूर्वी उष्णकटिबंधीय प्रशांत क्षेत्र के औसत से अधिक हो और ‘ट्रेड विंड’ कमजोर हो रही हों. बर्फबारी नहीं होने से हिमपात का वार्षिक चक्र प्रभावित होता है.

कई सेक्टर में दिख सकता है असर

हिम विज्ञानी और हिमालय के अनुसंधानकर्ता एएन डिमरी ने कहा कि अगर यह सब लंबे समय तक चलता रहा तो सामाजिक-आर्थिक लाभों पर व्यापक असर हो सकता है. अगर पर्याप्त बर्फ नहीं गिरती तो पानी की कमी पूरी नहीं होती. इससे खेती पर असर पड़ता है, स्वास्थ्य पर असर पड़ता है और अंतत: आपकी अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ सकता है. सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) जो रणनीतिक रूप से 11,800 फुट की ऊंचाई पर स्थित जोजिला दर्रे को खुला रखने के लिए प्रतिकूल मौसमी परिस्थिति में बर्फ हटाने के कार्यों से जूझता है, इस साल उसके लिए यह काम आसान हो गया है.

जम जाती है बर्फ की मोटी परत

बीआरओ के पूर्व महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी ने कहा कि जोजिला दर्रा कश्मीर को लद्दाख से जोड़ता है और लद्दाख के अग्रिम क्षेत्रों में तैनात सैनिकों की खातिर आपूर्ति शृंखला बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है. सामान्य तौर पर इस समय के आसपास वहां कम से कम 30 से 40 फुट बर्फ जमा हो जाती है, लेकिन इस बार छह से सात फुट तक ही बर्फ है. उन्होंने कहा, ‘‘संभव है कि कम बर्फ की वजह से दर्रा यातायात के लिए एक सप्ताह और खुला रहे.

कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में भी तस्वीर अलग नहीं है. कश्मीर में गुलमर्ग और पहलगाम जैसे पर्यटन स्थलों पर लगभग नहीं के बराबर बर्फ पड़ी है, वहीं पहाड़ों पर औसत से कम हिमपात होने से पर्यटकों को निराश होना पड़ रहा है. यह स्थानीय लोगों के लिए भी निराशा की बात है. मौसम विज्ञान से जुड़े ‘वेदरमैन’ शुभम ने शनिवार को केदारनाथ मंदिर और आसपास की तस्वीर के साथ सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘लंबे समय तक शुष्क मौसम के कारण पहाड़ों पर अजीब शुष्क सर्दियां हैं और 9-10 जनवरी को आने वाले पश्चिमी विक्षोभ से कोई बड़ी उम्मीद नहीं है. पंजाब, हरियाणा और दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के साथ उत्तर पश्चिम मैदानी क्षेत्रों में कोहरे के साथ सर्दी तो देखी गई है, लेकिन वहां भी अभी तक ‘सर्द हवाएं’ नहीं चली हैं.

Also Read: अलास्का विमान हादसे के बाद दुनियाभर में बढ़ गई है टेंशन, जानिए मुकेश अंबानी के पास कितने हैं बोइंग प्लेन

Weather Updates: ऊंचे पर्वतीय दर्रों पर बमुश्किल बर्फबारी, सफेद ढलानों पर स्कीइंग करने की उम्मीद कर रहे लोगों की निराशा और पर्यटकों का पहाड़ी स्थलों की यात्राएं रद्द करना…इन सबके साथ पूरे उत्तर-पश्चिम हिमालय में असामान्य रूप से शुष्क सर्दी के लिए अल नीनो प्रभाव जिम्मेदार है और निकट भविष्य में राहत मिलती नहीं दिख रही. विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) के अनुसार 2023 सबसे गर्म वर्ष दर्ज किया गया और अल नीनो का घटनाक्रम 2024 में गर्मी और बढ़ा सकता है.अल नीनो घटनाक्रम तब होता है जब समुद्र की सतह का तापमान पूर्वी उष्णकटिबंधीय प्रशांत क्षेत्र के औसत से अधिक हो और ‘ट्रेड विंड’ कमजोर हो रही हों. बर्फबारी नहीं होने से हिमपात का वार्षिक चक्र प्रभावित होता है.

कई सेक्टर में दिख सकता है असर

हिम विज्ञानी और हिमालय के अनुसंधानकर्ता एएन डिमरी ने कहा कि अगर यह सब लंबे समय तक चलता रहा तो सामाजिक-आर्थिक लाभों पर व्यापक असर हो सकता है. अगर पर्याप्त बर्फ नहीं गिरती तो पानी की कमी पूरी नहीं होती. इससे खेती पर असर पड़ता है, स्वास्थ्य पर असर पड़ता है और अंतत: आपकी अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ सकता है. सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) जो रणनीतिक रूप से 11,800 फुट की ऊंचाई पर स्थित जोजिला दर्रे को खुला रखने के लिए प्रतिकूल मौसमी परिस्थिति में बर्फ हटाने के कार्यों से जूझता है, इस साल उसके लिए यह काम आसान हो गया है.

जम जाती है बर्फ की मोटी परत

बीआरओ के पूर्व महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी ने कहा कि जोजिला दर्रा कश्मीर को लद्दाख से जोड़ता है और लद्दाख के अग्रिम क्षेत्रों में तैनात सैनिकों की खातिर आपूर्ति शृंखला बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है. सामान्य तौर पर इस समय के आसपास वहां कम से कम 30 से 40 फुट बर्फ जमा हो जाती है, लेकिन इस बार छह से सात फुट तक ही बर्फ है. उन्होंने कहा, ‘‘संभव है कि कम बर्फ की वजह से दर्रा यातायात के लिए एक सप्ताह और खुला रहे.

कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में भी तस्वीर अलग नहीं है. कश्मीर में गुलमर्ग और पहलगाम जैसे पर्यटन स्थलों पर लगभग नहीं के बराबर बर्फ पड़ी है, वहीं पहाड़ों पर औसत से कम हिमपात होने से पर्यटकों को निराश होना पड़ रहा है. यह स्थानीय लोगों के लिए भी निराशा की बात है. मौसम विज्ञान से जुड़े ‘वेदरमैन’ शुभम ने शनिवार को केदारनाथ मंदिर और आसपास की तस्वीर के साथ सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘लंबे समय तक शुष्क मौसम के कारण पहाड़ों पर अजीब शुष्क सर्दियां हैं और 9-10 जनवरी को आने वाले पश्चिमी विक्षोभ से कोई बड़ी उम्मीद नहीं है. पंजाब, हरियाणा और दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के साथ उत्तर पश्चिम मैदानी क्षेत्रों में कोहरे के साथ सर्दी तो देखी गई है, लेकिन वहां भी अभी तक ‘सर्द हवाएं’ नहीं चली हैं.

Also Read: अलास्का विमान हादसे के बाद दुनियाभर में बढ़ गई है टेंशन, जानिए मुकेश अंबानी के पास कितने हैं बोइंग प्लेन

You May Like

Prabhat Khabar App :

देश, दुनिया, बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस अपडेट, टेक & ऑटो, क्रिकेट राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां.

- Advertisment -

अन्य खबरें

- Advertisment -
ऐप पर पढें