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Kamduni Murder case : सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों को नोटिस देने का दिया निर्देश

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गौरतलब है कि सात जून, 2013 को उत्तर 24 परगना जिले के बारासात के कामदूनी गांव की रहने वाली एक कॉलेज छात्रा से घर लौटते वक्त सामूहिक दुष्कर्म हुआ था. आरोपियों ने दुष्कर्म के बाद उसकी निर्ममता से हत्या कर दी गयी थी.

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सुप्रीम कोर्ट ने कामदूनी दुष्कर्म व हत्या कांड की सुनवाई अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी है. साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता से सभी पक्षों को नोटिस देने के लिए कहा है. कामदूनी कांड (Kamduni Murder case) में हाइकोर्ट के फैसले के खिलाफ मृतका के भाई ने सुप्रीम कोर्ट में अलग से एसएलपी दायर की थी. मंगलवार सुबह मामले की सुनवाई हुई और अदालत ने याचिकाकर्ता से हलफनामा मांगा. इसके बाद न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायाधीश संदीप मेहता की खंडपीठ ने मामले में सभी पक्षों को नोटिस देने का भी आदेश दिया.

उल्लेखनीय है कि कलकत्ता उच्च न्यायालय ने कामदूनी मामले में छह में से चार दोषियों को बरी कर दिया है. मौत की सजा पाए एक व्यक्ति को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया. बाकी दो दोषियों की मौत की सजा रद्द कर दी गयी है और उनको आजीवन कारावास की सजा सुनायी गयी है. इससे पहले निचली अदालत ने मामले के तीन आरोपियों को फांसी और तीन को उम्रकैद की सजा सुनायी थी. उन सभी ने निचली अदालत के फैसले के विरुद्ध कलकत्ता हाइकोर्ट का रूख किया था, जहां पिछले पांच साल से मामले पर सुनवाई चल रही थी.

Also Read: कामदुनी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से किया इंकार
क्या है मामला

गौरतलब है कि सात जून, 2013 को उत्तर 24 परगना जिले के बारासात के कामदूनी गांव की रहने वाली एक कॉलेज छात्रा से घर लौटते वक्त सामूहिक दुष्कर्म हुआ था. आरोपियों ने दुष्कर्म के बाद उसकी निर्ममता से हत्या कर दी गयी थी. छात्रा का खून से लथपथ शव बरामद हुआ था. मृतका के भाई और परिवार के सदस्य व प्रदर्शनकारी कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट गये हैं, जिस पर मंगलवार को सुनवाई हुई.

Also Read: बंगाल : कामदुनी दुष्कर्म कांड में 10 साल बाद कलकता हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला, दोषियों को फांसी की जगह उम्रकैद

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