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Exclusive: रोबिन, सुशांत और कुशाग्र ने सुनायी अपने संघर्ष की कहानी, बताया कैसे पहुंचे इस मुकाम पर

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झारखंड के ये तीनों प्रतिभावान खिलाड़ी मंगलवार को प्रभात खबर संवाद में शामिल हुए और अपने क्रिकेट करियर में इस मुकाम तक पहुंचने और एक क्रिकेटर के लिए क्या जरूरी है, पर खुल कर बातें की. पेश है उनसे बातचीत के प्रमुख अंश.

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रांची: झारखंड के स्टार क्रिकेटर अब आइपीएल में चमकते नजर आयेंगे. कुमार कुशाग्र, रॉबिन मिंज और सुशांत मिश्रा ने अपनी प्रतिभा से इस सत्र में आयोजित आइपीएल टूर्नामेंट में जगह बनायी है. कुमार कुशाग्र जहां दिल्ली कैपिटल की टीम में चुने गये हैं, वहीं सुशांत और रॉबिन मिंज गुजरात टाइटन की टीम की ओर से आइपीएल के अगले सीजन में खेलते नजर आयेंगे. राज्य के ये तीनों प्रतिभावान खिलाड़ी मंगलवार को प्रभात खबर संवाद में शामिल हुए और अपने क्रिकेट करियर में इस मुकाम तक पहुंचने और एक क्रिकेटर के लिए क्या जरूरी है, पर खुल कर बातें की. पेश है उनसे बातचीत के प्रमुख अंश.

आइपीएल तक पहुंचने का सफर कैसा रहा ?

रोबिन : आइपीएल तक पहुंचने का सफर पूरी तरह मेहनत वाला रहा. मैं और मेरे पिताजी रांची में होनेवाले मैच स्टेडियम में देखना चाहते थे, लेकिन हमारे पास पैसे नहीं थे. हमने आज तक स्टेडियम में बैठ कर मैच नहीं देखा. इसके बाद मैंने प्रण लिया कि मैं आइपीएल खेलने वाले क्रिकेटरों के साथ मैच देखूंगा ही नहीं, बल्कि खेलूंगा भी. आइपीएल का सफर यहीं से शुरू हुआ. जिसके पीछे मेरे पिता की महत्वपूर्ण भूमिका रही है.

सुशांत :

यहां तक पहुंचने में बहुत मेहनत लगी है. काफी चीजें कभी-कभी नहीं भी करनी पड़ती है. आपको अपने खेल पर फोकस करना होता है. क्योंकि किसी मुकाम तक पहुंचने के लिए पूरी तैयारी करनी पड़ती है. इसमें कई चीजें पीछे छूट जाती हैं.

कुमार कुशाग्र :

क्रिकेटर के लाइफ में बहुत स्ट्रगल है. जब क्रिकेटर को नेम और फेम मिलता है और इसके पहले जो उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है, वो बहुत लोगों को नहीं दिखता है. लेकिन जो काम हमलोग करते हैं, वो हमारे लाइफ में मायने रखता है. यही तैयारी हमें रिजल्ट प्रदान करता है.

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पारिवारिक माहौल, खेल के प्रति परिवार का सहयोग किस तरह रहा ?

कुमार कुशाग्र :

मेरे यहां तक पहुंचने में मेरे पिता की सबसे अधिक भूमिका रही. बचपन में मुझे वो एकेडमी में लेकर जाते थे. एडमिशन के लिए बोले भी थे, लेकिन वहां नहीं हुआ. क्योंकि हम बहुत छोटे थे. क्रिकेट देखते-देखते खेल से लगाव हो गया. मेरे पापा ही मुझे क्रिकेट की प्रैक्टिस करने ले जाते थे. मैंने बैटिंग प्रैक्टिस अपने पापा के साथ की है. जिसका मुझे हमेशा फायदा मिला. पापा के साथ मेरी मेरी मां और दोनों बहन का भी पूरा सपोर्ट रहा है. इसके अलावा जब आपका परफॉरमेंस बेहतर नहीं होता है, तब घर का सपोर्ट मिलता है, तो हम बूस्टअप हो जाते हैं. कहा जाता है कि तुम आगे अच्छा करोगे, तुम कर लोगे टेंशन मत लो. इसलिए अंदर से फीलिंग आती है कि पैरेंट्स ने बोल दिया है, अब तो हो जायेगा.

सुशांत :

मैंने जबसे अपना माता-पिता को कहा कि मेरा एकेडमी में एडमिशन करवा दो. तब पापा ने सपोर्ट किया और एडमिशन करवाया. हालांकि मम्मी ने शुरू में थोड़ा मना किया. लेकिन धीरे-धीरे जब स्टेट खेले, तो मम्मी को भी विश्वास हुआ कि आगे जाकर इसमें इसका फ्यूचर है. जब मम्मी पापा का सपोर्ट रहेगा तो आप काफी बूस्टअप रहते हो.

रोबिन मिंज:

मेरे यहां तक पहुंचने में मेरी मम्मी का रोल काफी अहम है. क्योकि पापा आर्मी में थे इसलिए जहां मुझे प्रैक्टिस के लिए जाना होता था मम्मी ही लेकर जाती थी. बाकी छोटी और बड़ी बहन का काफी सहयोग रहा.

अपने आदर्श क्रिकेट प्लेयर के बारे में बतायें और उनसे कितना प्रभावित हैं ?

कुशाग्र :

जब ग्रो कर रहे थे, तो एमएस धौनी का तकनीक और उनकी कीपिंग करने का अंदाज सबसे ज्यादा प्रभावित करता था. उन्होंने अपना तकनीक डेवलप किया था. अभी ईशान किशन भी हैं जो हमारे साथ रणजी क्रिकेट खेलते हैं. वो हमसे बात करते हैं. वो भी हमें प्रभावित करते हैं.

सुशांत :

मैं जब छोटा था, उस समय जहीर खान की बॉलिंग ने मुझे प्रभावित किया था. इसके बाद अगर अब की बात की जाये, तो मुझे सबसे अधिक प्रभावित जसप्रीत बुमराह ने किया है. इसके अलावा मोहम्मद शमी की बॉलिंग स्टाइल भी मुझे पसंद है.

रोबिन :

एमएस धौनी ने मुझे काफी प्रभावित किया है. मैं उनका फैन रहा हूं और उन्हें देख कर ही खेलना सीखा है.

यहां तक पहुंचने के लिए कितनी मेहनत करनी पड़ी, संघर्ष और सपने के बारे में बतायें ?

कुमार कुशाग्र :

जब भी कोई अपना क्रिकेट स्टार्ट करता है, तो उसका पहला लक्ष्य रहता है भारतीय टीम में प्रवेश करना. मुझे लग रहा है कि हम तीनों उस लाइन पर हैं. लेकिन मेरा सपना है भारतीय टीम की कप्तानी करूं और विश्व कप देश को दिलाऊं. हालांकि अभी इसके बारे में बोलना जल्दबाजी होगी, लेकिन इसके लिए ही प्रयास करता रहूंगा. इसलिए जल्दी मौका मिले, तो आगे बढ़ने का रास्ता खुल जायेगा. एक विकेटकीपर के लिए कई चुनौतियां रहती है. खराब परफॉरमेंस के समय पैरेंट्स का रोल सबसे अहम होता है. क्योंकि जब खराब समय आता है, तो हर कोई सपोर्ट नहीं करता है. लेकिन आप जब अपने से बात करते हैं, तो हमें भी लगता है कि हम तो अच्छा खेल सकते हैं.

सुशांत :

हमारा सपना है देश के लिए खेलना. मैंने तभी क्रिकेट खेलना शुरू किया, जब भारत 2011 में विश्व कप जीता. हमारे रांची के धौनी ने ही देश को विश्व कप दिलाया. इसलिए मेरा भी सपना है कि मैं देश को एक न एक विश्व कप जरूर जिताउं. स्ट्रगल सबसे साथ रहता है मेरी इंज्यूरी के समय भी कई परेशानियों का सामना करना पड़ा. जब हम छोटे होते हैं, तो एक सपना होता है, वहीं जब हम तीनों छोटे थे, तो सबका एक कॉमन ही सपना होगा कि देश के लिए खेलना है.

रोबिन मिंज :

मैं भी भारत के लिए खेलना चाहता हूं. इसके साथ ही भारत को एक विश्व कप दिलाना चाहता हूं.

किसी भी खेल में सफलता से पहले करियर का एक डर होता है, क्या आपलोगों को भी लगा था ये डर ?

कुमार कुशाग्र :

कुछ हमने इसके बारे में नहीं सोचा था, लेकिन क्रिकेट खेलने में जो मजा आता है, वो एग्रेशन मेरे लिए महत्वपूर्ण था. मैं बचपन से किसी दूसरी चीज के बारे में कुछ सोचा ही नहीं था. इसलिए मेरा फोकस केवल क्रिकेट पर ही रहा.

सुशांत मिश्रा :

जो चीज आपने सोचा है और वो करने में आपको मजा आ रहा है, इसलिए दूसरी चीज के बारे में कुछ सोचते ही नहीं है. इसलिए मैच ऐसा करा रहा हूं जिसमें मुझे मजा आ रहा है, तो मैं उस पर ही फोकस रखता हूं. पढ़ाई भी पूरी की और उसके बाद अंडर-19 खेलने के बाद रेलवे में जॉब का भी मौका मिला. इसलिए अब केवल खेलने की बात सोचता हूं.

रोबिन मिंज :

ये कभी सोचा ही नहीं कि क्रिकेट के अलावा कुछ और भी करना है. इसलिए सारा फोकस क्रिकेट पर रहा.

रोबिन आप जनजातीय समाज से आते हैं, जहां हॉकी का कहीं ज्यादा क्रेज है. क्रिकेटर बन कर अपनी पहचान बनाने के लिए कितना संघर्ष करना पड़ा ?

रोबिन मिंज :

मैं कुछ अलग करना चाहता था, इसलिए मैंने क्रिकेट चुना. मैंने देखा कि हॉकी और फुटबॉल तो सभी खेल ही रहे हैं, लेकिन कुछ अलग करने की चाहत थी. इसलिए मैंने क्रिकेट को चुना. ट्रेडिशनल खेल से अलग था और इसके लिए मेरे पिता का पूरा सहयोग मिला. इसलिए आज इस मुकाम पर हूं.

क्रिकेट कोचिंग एक क्रिकेटर के करियर के लिए कितना महत्वपूर्ण है, आप क्या सोचते हैं?

रोबिन मिंज :

क्रिकेट कोचिंग करियर को एक मुकाम देते हैं. इससे जुड़ कर हमें तकनीक की जानकारी मिलती है.

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