16.1 C
Ranchi
Thursday, February 6, 2025 | 11:16 pm
16.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

झारखंड: धुमकुड़िया-2023 में साहित्यकार जोबा मुर्मू ने महादेव टोप्पो को बताया आदिवासी साहित्य का जनक

Advertisement

बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ मंजरी राज उरांव और नीतू साक्षी टोप्पो के बाद शुभम अहाके ने संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकार और उसकी वर्तमान स्थिति पर बातचीत करते हुए संविधान में आदिवासियों के लिए किए गए प्रावधानों तथा उसके जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन पर गंभीर सवाल किए.

Audio Book

ऑडियो सुनें

रांची: साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित साहित्यकार जोबा मुर्मू ने आदिवासी साहित्य का भारतीय परिप्रेक्ष्य विषय पर कहा कि वर्तमान आदिवासी साहित्य में आदिवासी संदर्भ, आदिवासी लेखक, उनके कार्य, उनका दर्शन धीरे-धीरे जगह बना रहा है. उन्होंने प्रख्यात आदिवासी साहित्यकार महादेव टोप्पो को आदिवासी साहित्य का जनक बताया. वे आदिवासियों की वार्षिक गोष्ठी धुमकुड़िया-2023 के दो दिवसीय कार्यक्रम को ऑनलाइन संबोधित कर रहे थे. इस वार्षिक गोष्ठी के पहले दिन विभिन्न विश्वविद्यालयों के प्राध्यापक, सहायक प्राध्यापक, युवा शोद्यार्थी व समाजसेवी शामिल हुए. इसमें आदिवासी समाज की वर्तमान दशा-दिशा पर विचार विमर्श किया गया. इस बौद्धिक परिचर्चा में रुद्र मांझी ने सरना धर्म और गौतम बुद्ध के बीच संबंध बताया. इस पर श्रोताओं द्वारा तर्कों के माध्यम से इसका खंडन किया गया. ज्ञांति कुमारी ने बुनियादी चीजों की कमी से आदिवासी महिलाओं के स्वास्थ पर प्रतिकूल प्रभाव पर अपनी बात रखी. माहवारी, विस्थापन, आदिवासी समाज में महिलाओं के स्थान पर बातचीत की.

- Advertisement -

संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकार और उसकी वर्तमान स्थिति पर विमर्श

बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय में प्रोफेसर डॉ मंजरी राज उरांव और नीतू साक्षी टोप्पो के बाद शुभम अहाके ने संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकार और उसकी वर्तमान स्थिति पर बातचीत करते हुए संविधान में आदिवासियों के लिए किए गए प्रावधानों तथा उसके जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन पर गंभीर सवाल किए. अंतिम वक्ता के रूप में स्वाति असुर ने असुर आदिवासी समाज कल, आज और कल विषय पर बातचीत करते हुए असुर आदिवासियों की सृजन, संस्कृति, परंपरा, राजनीतिक व्यवस्था, आर्थिक व्यवस्था, सांस्कृतिक व्यवस्था और भविष्य में इसकी राह अर्थात अनंत काल तक मां प्रकृति के संरक्षण में रहने की बात कही. इस कार्यक्रम की अध्यक्षता आईआईटी जोधपुर के प्रोफेसर डॉ गणेश मांझी ने की और संचालन प्रवीण उरांव और अरविंद भगत ने किया. कार्यक्रम का समापन में कविता पाठ के साथ हुआ. नीतू साक्षी टोप्पो, अरविंद भगत और डॉ गणेश मांझी के अपनी कविता पढ़ी. इसके बाद प्रसिद्ध आदिवासी साहित्यकार ने सुंदर टिप्पणी देते हुए धुमकुड़िया को बौद्धिक आंदोलन के रूप में परिभाषित किया. कार्यक्रम का समापन प्रवीण उरांव ने धन्यवाद ज्ञापन से किया गया.

Also Read: झारखंड में जल्द बनेगी साहित्य अकादमी, किताब उत्सव के आखिरी दिन बोलीं झामुमो से राज्यसभा सांसद महुआ माजी

हर गांव में धुमकुड़िया निर्माण पर जोर

राजी पड़हा सरना प्रार्थना सभा के अध्यक्ष संजय कुजूर ने हर गांव में धुमकुड़िया निर्माण और सांस्कृतिक अभ्यास के साथ-साथ पुस्तकालय की स्थापना पर जोर दिया. अधिवक्ता निशी कच्छप, राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय रांची के प्रोफेसर रामचंद्र उरांव द्वारा विधिक जागरूकता पर बात की गयी. आदिवासी समाज में शिक्षा का महत्व पर स्कॉलर राजनीति विज्ञान के अरविंद भगत द्वारा वक्तव्य दिया गया. धुमकुड़िया का उद्देश्य एवं महत्व पर जोर देते हुए इसके संरक्षण का आह्वान किया गया. करियर काउंसलिंग के माध्यम से आदिवासी बच्चों को विभिन्न शैक्षणिक विकल्पों, अवसरों के बारे में जानकारी उपलब्ध करायी गयी. दो पेपर प्रस्तुत किया गया. युवा शिक्षक देवराम भगत और स्कॉलर प्रवीण उरांव जिनके विषय हैं-वैश्वीकरण एवं आदिवासी समाज, आवासीय विद्यालय में आदिवासी बच्चों के अधिगम परिणाम के प्रभावी कारकों विषयों पर बात रखी गयी. सांस्कृतिक कार्यक्रम में क्षेत्रीय भाषा के महत्व पर नाटक के माध्यम से प्रस्तुति दी गयी. इसके साथ ही कडसा नृत्य, सांस्कृतिक नृत्य डिबडीह, हिंदपीढ़ी और ओरमांझी टीम द्वारा प्रस्तुत किया गया.

Also Read: झारखंड: बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल का औचक निरीक्षण, वार्डों व भोजन की गुणवत्ता की जांच, 200 कैदियों का बयान दर्ज

कार्यक्रम के आयोजन में इनकी रही अहम भूमिका

धुमकुड़िया-2023 का आयोजन सरना प्रार्थना सभा रांची महानगर, सरना यूथ वेलफेयर ग्रुप और एसटी एम्प्लोयी वेलफेयर एसोसिएशन (सेवा) ने किया और इस कार्यक्रम को सफल बनाने में पंकज भगत, कृष्णा धर्मेस लकड़ा, ब्रजकिशोर बेदिया, कुणाल उरांव, प्रतीत कच्छप, संजीत कुजूर ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. सोमवार को कार्यक्रम का संचालन संगीता तिग्गा, निरन उरांव, प्रतिमा तिग्गा, श्वेता उरांव, स्नेहा उरांव, रौनक उरांव, अरुण उरांव, दीपिका खलखो व वर्षा उरांव ने किया.

Also Read: झारखंड: धनबाद जेल में पांच घंटे चली छापेमारी, कैदी वार्डों की जांच, डीसी ने जेल मैनुअल के पालन का दिया निर्देश

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें