डॉ शाजिया जैदी, कंसल्टेंट डर्मेटोलॉजी, मेट्रो हॉस्पिटल्स, नोएडा
डॉ जयश्री नूर, कॉस्मेटोलॉजी एंड लेजर एक्सपर्ट, गुरूग्राम
सोरायसिस की समस्या सिर्फ त्वचा तक ही सीमित नहीं रहती. यह जोड़ों को भी निशाना बना सकती है और आपको सोरायसिस अर्थराइटिस का शिकार बना सकती है. वर्तमान में हमारे देश में 3-4 करोड़ लोग इस बीमारी से ग्रस्त हैं. जानें कैसे करें इससे अपना बचाव.
सोरायसिस त्वचा से संबंधित एक गंभीर बीमारी है, जिसमें त्वचा की कोशिकाओं का जीवनचक्र बदल जाता है. सोरायसिस के कारण कोशिकाएं तेजी से त्वचा की सतह पर निर्मित होने लगती हैं. त्वचा की ये अतिरिक्त कोशिकाएं मोटे, चिपचिपे शल्क और सूखे लाल खुजलीदार चकत्ते बना लेती हैं, जिसमें कभी-कभी दर्द भी होता है. इसपर सफेद म्युसियस स्केल बन जाते हैं. इसकी वजह से कुछ समय बाद हड्डियों और पैरों में भी तकलीफ शुरू हो जाती है. इसमें काफी दर्द भी होता है. यह स्थायी और एक गंभीर बीमारी है.
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दरअसल, सोरायसिस एक ऑटोइम्यून डिसऑर्डर है, जिसमें त्वचा की कोशिकाएं सामान्य स्थिति की तुलना में 10 गुना तेजी से बढ़ने लगती हैं. कोशिकाओं की ग्रोथ तेज होने के कारण ही त्वचा पर लाल चकत्ते जैसे उभार दिखने लगते हैं. यह शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकते हैं, लेकिन खासतौर पर कोहनी, घुटने और कमर के निचले हिस्से में इनका असर ज्यादा दिखता है. वहीं सिर में स्कैल्प सोरायसिस की समस्या होती है. कई मरीजों में उपचार कराने पर कुछ समय के लिए ये चकत्ते ठीक तो हो जाते हैं, लेकिन इनके दोबारा होने का खतरा बना रहता है.
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सोरायसिस क्यों होता है, इसके वास्तविक कारणों के बारे में पूरी तरह से पता नहीं है, लेकिन ऐसा माना जाता है कि यह समस्या शरीर की कोशिकाओं के साथ इम्यून तंत्र की समस्या के कारण होती है. विशेषरूप से श्वेत रक्त कणिकाओं का एक प्रकार जिसे टी लिम्फोसाइट या टी सेल कहते हैं. जिन्हें सोरायसिस होता है, उनकी टी सेल त्वचा की स्वस्थ कोशिकाओं को गलती से बाहरी तत्व समझकर अपना निशाना बनाती हैं. ध्यान देने वाली बात है कि यह कोई संक्रामक बीमारी नहीं है. हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि स्कैल्प सोरायसिस की समस्या वाले लोगों को अपनी कंघी अलग रखनी चाहिए.
इन वजहों से गंभीर हो सकता है यह
कुछ वजह न केवल सोरायसिस का कारण बन सकते हैं, बल्कि जो पहले से इस त्वचा रोग से पीड़ित हैं उनके लक्षण गंभीर हो सकते हैं. इनमें से बैक्टीरिया और वायरस का संक्रमण, त्वचा पर चोट लगना जैसे कट जाना, खरोंच आ जाना, किसी कीड़े का काट लेना या गंभीर सनबर्न, ठंडा मौसम, धूम्रपान, शराब का अत्यधिक सेवन, तनाव के कारण इम्यून तंत्र प्रभावित होता है, अत्यधिक तनाव भी सोरायसिस की आशंका को बहुत बढ़ा देता है.
क्या है स्कैल्प सोरायसिस
स्कैल्प सोरायसिस सिर में होने वाले सोरायसिस का एक प्रकार है, जिसमें डैंड्रफ की तरह ही स्किन बहुत अधिक झड़ते हैं, लेकिन इसमें बड़े गुच्छे में पपड़ी आते रहते हैं. कभी-कभी सिर में सूखी परतदार त्वचा के मोटे धब्बे दिखाई देते हैं. वहीं, कभी-कभी रक्तस्राव भी हो सकता है.
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क्या हैं इसके लक्षण : सोरायसिस के लक्षण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन अधिकतर निम्न लक्षण दिखाई देते हैं –
त्वचा पर लाल रंग के चकत्ते, जिसपर सिल्वर कलर के शल्क होते हैं.
शल्क वाले धब्बे (सामान्यतया बच्चों में दिखाई देते हैं).
रुखी, दरारों वाली त्वचा, जिससे रक्त भी बह सकता है.
मोटे व धंसे हुए नाखून और उनका कमजोर होकर टूटना.
चकत्तों में खुजली, सूजे और कड़े जोड़.
फिजिकल एक्जामिनेशन : इसमें डॉक्टर मरीज की मेडिकल हिस्ट्री के बारे में जानकारी लेता है और उसकी त्वचा व नाखूनों की जांच करता है.
स्किन बायोप्सी : सोरायसिस के अधिक गंभीर मामलों में इसके वास्तविक कारणों का पता लगाने के लिए बायोप्सी की जाती है. इसमें त्वचा का छोटा-सा नमूना लेकर सूक्ष्मदर्शी में उसकी जांच की जाती है.
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इसके उपचार का प्राथमिक उद्देश्य त्वचा की कोशिकाओं को अत्यधिक तेजी से विकसित होने से रोकना है. इसका कोई स्थायी उपचार नहीं हैं, लेकिन उपचार के द्वारा बीमारी का प्रबंधन और लक्षणों को कम करने का प्रयास किया जाता है.
लाइट थेरैपी : इस उपचार में प्राकृतिक या कृत्रिम अल्ट्रावॉयलेट किरणों का इस्तेमाल किया जाता है.
फोटोकीमोथेरैपी : इस तकनीक का इस्तेमाल सोरायसिस के अधिक गंभीर मामलों में किया जाता है. इसके कई साइड इफेक्ट्स भी होते हैं.
मेडिकेशन : जिन्हें गंभीर सरायसिस है या दूसरे प्रकार का उपचार संभव नहीं है, उन्हें डॉक्टर इंजेक्शन या दवाइयां खाने का सुझाव देता है. मरीज की स्थिति के मुताबिक, दवा दी जाती है.
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सर्दियों में भी रोज नहाएं : रोज नहाने से त्वचा से शल्कों को निकालने में सहायता मिलती है और सूजी हुई त्वचा को आराम मिलता है. गर्म पानी और अत्यधिक रसायनयुक्त साबुन का इस्तेमाल करने से बचें.
मॉइस्चराइजर का इस्तेमाल : नहाने के तुरंत बाद जब त्वचा में थोड़ी नमी रहे, तुरंत आइंटमेंट बेस्ड मॉइस्चराइजर लगाएं. सर्दियों में दिन में कई बार मॉइस्चराइजर लगाने की आवश्यकता है. मॉइस्चराइजर सोरायसिस को हील नहीं करते हैं, लेकिन यह खुजली और शल्क बनने की प्रक्रिया को कम कर सकते हैं.
सूर्य का प्रकाश : थोड़ा समय सूर्य के प्रकाश में भी बिताएं, लेकिन अधिक देर न रहें. धूप में बाहर निकलने से पहले जहां सोरायसिस के चकत्ते नहीं हैं, उस पर सनस्क्रीन लगा सकते हैं.
बातचीत : शमीम खान
Also Read: गर्भावस्था के दौरान कौन सा फल खाएं इसे लेकर हैं कंफ्यूज ? चेक करें ये लिस्टDisclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.