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झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र में स्पीकर के व्यवहार से नाराज बाबूलाल मरांडी ने कह डाली ये बात

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बाबूलाल मरांडी ने कहा कि स्थानीयता व नियोजन नीति जैसे अहम विषय पर सदन में चर्चा हुई. मैं भी इस विषय पर कुछ कहना चाहता था. मैंने तीन बार हाथ उठाया, लेकिन स्पीकर ने नजरअंदाज कर दिया. इससे मैं आहत हूं.

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झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र के चौथे दिन 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति विधेयक को बिना किसी बदलाव के फिर से पारित कराए जाने के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने विधानसभा अध्यक्ष के व्यवहार पर नाराजगी जताई. उन्होंने कहा कि विधेयक पर राज्यपाल की आपत्ति के बाद भी बिना किसी संशोधन के इसे पारित कर दिया गया. उन्होंने कहा कि स्थानीयता एवं नियोजन नीति पर हेमंत सोरेन सरकार की मंशा साफ नहीं है. स्पीकर पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए बाबूलाल मरांडी ने कहा कि सदन में जब भी कोई वरिष्ठ विधायक या मंत्री अपना हाथ उठाता है, तो स्पीकर उन्हें बोलने का मौका देते हैं. आज मैंने कई दफा अपना हाथ उठाया और अपनी बात रखनी चाही, लेकिन स्पीकर ने मुझे बोलने का मौका नहीं दिया. बाबूलाल मरांडी ने कहा कि स्पीकर के इस व्यवहार से वह आहत महसूस कर रहे हैं. कहा कि यह पहला मौका नहीं है, जब मुझे सदन में इस कदर नजरअंदाज किया गया हो, लेकिन आज मेरे साथ जैसा व्यवहार हुआ, उसने मुझे काफी परेशान किया है. बाबूलाल मरांडी ने इसे दुर्भावना से प्रेरित व्यवहार करार दिया. कहा कि स्पीकर के इस व्यवहार से मैं अपमानित महसूस कर रहा हूं. उन्होंने कहा कि अध्यक्ष का यह व्यवहार अलोकतांत्रिक एवं राजनीति से प्रेरित है. साथ ही कहा कि ऐसा नहीं है कि आज विधानसभा में किसी को बोलने का मौका नहीं मिला. सिर्फ मुझे ही नहीं बोलने दिया गया. मैंने बार-बार हाथ उठाया, लेकिन मुझे बोलने का मौका नहीं मिला. हालांकि, अध्यक्ष ने अन्य लोगों को बोलने का मौका दिया. इसलिए मैंने सदन से बाहर आने का फैसला किया.

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कैबिनेट से निर्णय लेकर नियुक्ति प्रक्रिया पूरी करे सरकार : बाबूलाल मरांडी

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवं झारखंड के प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने विधानसभा अध्यक्ष के निर्णय पर मीडिया के सामने कड़ा विरोध दर्ज कराया. कहा कि स्थानीय और नियोजन नीति पर राज्य सरकार द्वारा सदन में पेश बिल के संबंध में मुझे दो शब्द भी बोलने नहीं दिया गया, यह सदन के एक वरिष्ठ सदस्य का अपमान है. उन्होंने कहा कि मैं केंद्र में मंत्री रहा हूं. सांसद भी रहा हूं. लोकसभा और राज्यसभा में यदि कोई वरिष्ठ सदस्य बोलने केलिए हाथ उठाता है, तो उसे बोलने का अवसर जरूर दिया जाता है. स्थानीयता व नियोजन नीति जैसे अहम बिल पर सदन में चर्चा हो रही थी और मैं उस पर अपनी बात रखना चाहता था. इसके लिए मैंने तीन बार हाथ उठाया, लेकिन स्पीकर ने मुझे पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया. बोलने का अवसर नहीं दिया.

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विधायक के नाते मैं भी हूं बोलने का हकदार : बाबूलाल मरांडी

बाबूलाल मरांडी ने अपनी पीड़ा जाहिर करते हुए कहा कि सदन के नेता और नेता प्रतिपक्ष दोनों के बोलने के बाद अगर स्पीकर ने किसी और सदस्य को बोलने का मौका नहीं दिया होता, तो मुझे इतनी तकलीफ नहीं होती. लेकिन, विधानसभा अध्यक्ष ने सिर्फ मेरे साथ अपमानजनक व्यवहार किया. उन्होंने कहा कि मैं इसलिए भी दुखी और पीड़ित महसूस कर रहा हूं कि विधानसभा अध्यक्ष भले मुझे भाजपा का नहीं मानें, लेकिन एक विधायक के नाते मैं राज्य के महत्वपूर्ण विषय पर अपनी राय देने का हकदार हूं. आखिर क्षेत्र की जनता ने मुझे इसीलिए तो चुना है. उन्होंने कहा कि राज्यपाल ने जिन विधेयकों को सुझावों के साथ लौटाया था, उसी स्थानीय और नियोजन नीति बिल को सदन में फिर से हू-ब-हू पारित करके हेमंत सरकार राजनीति कर रही है. इन दोनों विधेयकों पर सरकार की मंशा साफ नहीं है.

अर्जुन मुंडा की सरकार गिराकर सीएम बने थे हेमंत सोरेन

झारखंड के प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने कहा कि भाजपा राज्य की जनभावना का सम्मान करती है. अलग झारखंड राज्य का निर्माण इसका सबसे बड़ा उदाहरण है. उन्होंने कहा कि वर्ष 2004 से 2014 तक (10 वर्ष) केंद्र में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) की सरकार रही. झारखंड में अधिकांश समय राष्ट्रपति शासन रहा. कई सरकारों में हेमंत सोरेन उपमुख्यमंत्री रहे. स्थानीय नीति के मुद्दे पर ही उन्होंने अर्जुन मुंडा की सरकार को गिराकर मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली. लेकिन, कभी भी नियोजन नीति को लेकर कोई पहल नहीं की. उन्होंने कहा कि नियोजन और स्थानीयता तय करना राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में है. उनकी सरकार ने कैबिनेट में निर्णय लेकर नियुक्तियां कीं थीं. अर्जुन मुंडा की सरकार ने भी नियुक्तियां की और फिर रघुवर दास की सरकार ने वर्ष 2016 में नीति बनाकर नियुक्तियां कीं.

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युवाओं को नौकरी देना है, तो उसे नीतियों में न उलझाएं

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि राज्य गठन से लेकर वर्ष 2019 तक भाजपा के नेतृत्व में एनडीए सरकार ने ही नियुक्तियां कीं. हेमंत सरकार ने तो नियमावली के नाम पर केवल युवाओं को धोखा दिया है. हेमंत सोरेन के सरकार में हुई नियुक्तियां नाम मात्र की हैं. जो नियुक्तियां हुई भी हैं, उसकी प्रक्रिया रघुवर दास की सरकार में शुरू की गई थी. उन्होंने कहा कि हेमंत सरकार यदि युवाओं को नौकरी देने का इरादा रखती है, तो उसे नीति में उलझाने से बचना चाहिए.

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