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India Export: एक महीने में भारत का एग्रीकल्चर एक्सपोर्ट करीब 10 लाख टन घटा, जानें क्यों पड़ रहा असर

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India Export: बासमती चावल एवं अन्य कृषि उत्पादों का निर्यात इस साल सितंबर में घटकर 17.93 लाख टन रह गया जो उसके एक महीने पहले 27.94 लाख टन था.

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India Export: देश में बढ़ती खाद्य महंगाई को नियंत्रित करने की सरकार की कोशिशों का असर, अब भारत के निर्यात पर देखने को मिलने लगा है. भारत का एग्रीकल्चर एक्सपोर्ट सितंबर के महीने में करीब 10 लाख टन कम गया. बताया जा रहा है कि बासमती चावल एवं अन्य कृषि उत्पादों का निर्यात इस साल सितंबर में घटकर 17.93 लाख टन रह गया जो उसके एक महीने पहले 27.94 लाख टन था. कृषि निर्यात प्रोत्साहन निकाय एपीडा के मुताबिक, चावल की विभिन्न किस्मों पर प्रतिबंध, घरेलू आपूर्ति को बढ़ावा देने और खाद्य मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाने के लिए बासमती चावल पर न्यूनतम निर्यात मूल्य लगाने से कुछ कृषि वस्तुओं के निर्यात पर असर पड़ा है. अप्रैल और मई में कृषि उत्पादों का निर्यात लगभग 33 लाख टन रहा था. लेकिन टूटे हुए चावल और गैर-बासमती सफेद चावल जैसी चावल की विभिन्न किस्मों के निर्यात पर बंदिशें लगने से कृषि वस्तुओं का निर्यात सितंबर में घटकर करीब 18 लाख टन पर आ गया. कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीईडीए) के आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2023-24 के अगस्त महीने में कृषि वस्तुओं का निर्यात 27.94 लाख टन था. मूल्य के लिहाज से कृषि वस्तुओं का निर्यात सितंबर के दौरान घटकर 14,153 करोड़ रुपये रह गया, जो अगस्त में 18,128 करोड़ रुपये था.

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पहली छहमाही में 172.27 लाख टन हुआ एक्सपोर्ट

इस बीच एपीडा के आंकड़ों से पता चलता है कि सितंबर में गैर-बासमती चावल का निर्यात 4.25 लाख टन, बासमती चावल का 1.21 लाख टन, ताजा प्याज का 1.51 लाख टन और भैंस के मांस का 1,21,427 टन निर्यात हुआ. चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में कृषि वस्तुओं का कुल निर्यात 172.27 लाख टन रहा. इस बीच, केंद्र सरकार ने प्याज की बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने के लिए इसके निर्यात पर 31 मार्च तक के लिए रोक लगा दिया है. विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि प्याज के निर्यात की नीति को 31 मार्च, 2024 तक मुक्त से प्रतिबंधित श्रेणी में डाल दिया गया है.

क्यों निर्यात रोक रही है सरकार

रिजर्व बैंक के द्वारा मौद्रिक समीक्षा निति की बैठक के बाद कहा गया कि पिछले कुछ महीनों में खाद्य महंगाई के नीचे आने से बैंक खुश नहीं. इसे मेनटेन रखना होगा. इस बीच, केंद्र सरकार के द्वारा चुनावी मौसम में महंगाई को मुद्दा बनने से रोकने की हर कोशिश की जा रही है. घरेलू मांग में आपूर्ति बढ़ाने के लिए निर्यात पर रोक लगाया है. इस बीच केंद्र चीनी की बढ़ती कीमतों को कम करने के लिए भी बड़ा कदम उठाया है. सरकार ने चीनी मिलों और भट्टियों को 2023-24 के लिए इथेनॉल उत्पादन के लिए गन्ने के रस या सिरप का उपयोग करने से रोक दिया है. हालांकि, खाद्य मंत्रालय ने सभी चीनी मिलों और डिस्टिलरियों के प्रबंध निदेशकों (एमडी) और मुख्य कार्यपालक अधिकारियों (सीईओ) को लिखे पत्र में स्पष्ट किया है कि बी-हेवी शीरे से तेल विपणन कंपनियों को एथनॉल की आपूर्ति जारी रहेगी. खाद्य मंत्रालय ने पत्र में कहा कि चीनी (नियंत्रण) आदेश 1966 के खंड 4 और 5 के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए सभी चीनी मिलों और डिस्टिलरीज को निर्देश दिया जाता है कि वे तत्काल प्रभाव से ईएसवाई (एथनॉल आपूर्ति वर्ष) 2023-24 में एथनॉल के लिए गन्ने के रस/चीनी के रस का उपयोग न करें.

आटे के कीमत भी होगी कम

केंद्र सरकार के द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, खाद्य पदार्थों की कीमतें कम होने से मुद्रास्फीति घटकर चार महीने के निचले स्तर पर 5 प्रतिशत से कम हो गयी है. हालांकि, बढ़ते आटा की कीमतों को देखते हुए सरकार से उम्मीद की जा रही है कि वह भारतीय खाद्य निगम को मौजूदा 3 लाख टन के मुकाबले हर हफ्ते 4 लाख टन गेहूं बेचने की अनुमति देगा. इससे पहले, केंद्र ने बाहर से आने वाले शिपमेंट पर अंकुश लगाने के लिए प्याज के लिए 800 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य (MEP) तय किया था और घरेलू बाजार में मिठास की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए चीनी के निर्यात पर भी गंभीर प्रतिबंध लगा दिया था. टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार, एमईपी लागू होने के बावजूद प्रति माह 1 लाख टन से अधिक प्याज का निर्यात हुआ है.

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