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झारखंड : फिल्टरेशन के बाद भी डैमों से मिल रहा हरा पानी, जार वाले पानी की खपत बढ़ी

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पेयजल एवं स्वच्छता विभाग द्वारा 1914 फीट मानक अनुरूप रांची शहरवासियों को पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है. वहीं दूसरी तरफ पूर्व में गोंदा डैम से जलापूर्ति के लिए जलाशय के जलस्तर 2107 फीट तक पानी लिया जाता था. वर्तमान में गाद भर जाने की वजह से 2112 फीट तक ही पानी जलापूर्ति के रूप में लिया जा सकता है.

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रांची शहरी जलापूर्ति योजना का आधार गेतलसूद (रुक्का), गोंदा (कांके) व हटिया डैम है. इसमें से गेतलसूद व गोंदा डैम में शहर के विभिन्न मोहल्लों के नदी-नालों से गंदा पानी स्वर्णरेखा, पंडरा व करमा नदी होते हुए पहुंच रहा है. इस कारण डैम का रॉ वाटर (कच्चा पानी) प्रदूषित हो गया है. पानी में ऑक्सीजन कम हो रहा है. पानी के बीओडी (बायो केमिकल ऑक्सीजन डिमांड) और सीओडी (केमिकल ऑक्सीजन डिमांड) में काफी वृद्धि हो रही है. बीओडी और सीओडी अपशिष्ट जल में कार्बनिक पदार्थों के संकेतक हैं. इस कारण जलाशय में अत्यधिक मात्रा में एल्गी व जलकुंभी का निर्माण हो रहा है. गर्मी में जलकुंभी के सड़ जाने और शहर के विभिन्न नालों से आनेवाले गंदा पानी व कचरे के कारण जलाशय में गाद भर रहा है. इससे फिल्टर किये जाने के बाद भी उपलब्ध कराये गये पेयजल में हल्का हरापन रहता है. हालांकि फिल्टर के जल गुणवत्ता मानक के अनुरूप पायी गयी है. इसके इस्तेमाल से किसी प्रकार की कोई परेशानी है.

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गाद भरने से बढ़ रही परेशानी

वर्ष 2015 से पहले गेतलसूद डैम का लेवल 1900 फीट पानी पेयजल के लिए उपयोग में आता था. मई 2015 के बाद 1910 फीट तक का पानी पेयजल के लिए उपयोग होता था. अप्रैल 2019 के बाद 1914 फीट का पानी पेयजल तक के लिए उपयोग किया जा रहा है. इसके नीचे का कच्चा जल काफी दूषित है. इसे पेयजल के लिए सफाई करना संभव नहीं है. तत्काल में पेयजल एवं स्वच्छता विभाग द्वारा 1914 फीट मानक अनुरूप रांची शहरवासियों को पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है. वहीं दूसरी तरफ पूर्व में गोंदा डैम से जलापूर्ति के लिए जलाशय के जलस्तर 2107 फीट तक पानी लिया जाता था. वर्तमान में गाद भर जाने की वजह से 2112 फीट तक के पानी को ही पीने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. इतने ही पानी की आपूर्ति की जा सकती है.

  • गेतलसूद व गोंदा डैम का रॉ वाटर प्रदूषित, पेयजल की गुणवत्ता हुई प्रभावित

  • डैम में पहुंच रहा नदी-नालों से गंदा पानी, पानी में कम हो रही ऑक्सीजन की मात्रा

आठ साल में घटी गेतलसूद डैम की जल भंडारण क्षमता

पिछले आठ साल में गेतलसूद डैम के जल भंडारण की क्षमता 14 फीट तक घट गयी है. इसका कारण विभिन्न नालों से आनेवाला गंदा पानी और कचरा है. रांची शहरी जलापूर्ति योजना का आधार गेतलसूद डैम है. यहां से राजधानी रांची की 80 प्रतिशत आबादी को पेयजल की आपूर्ति की जाती है. वर्ष 2015 से पहले गेतलसूद डैम के लेवल 1900 फीट तक का पानी पेयजल के लिए उपयोग में आता था. मई 2015 के बाद 1910 फीट तक का पानी पेयजल के लिए उपयोग होता था. अप्रैल 2019 के बाद 1914 फीट का पानी पेयजल के लिए उपयोग किया जा रहा है. इसके नीचे का कच्चा जल काफी दूषित है. इधर राजधानी रांची स्थित कांके (गोंदा) डैम प्रदूषित हो गया है. शहर के विभिन्न नालों का गंदा पानी जाने से डैम में एल्गी व जलकुंभी का निर्माण हो रहा है. गर्मी के मौसम में जलकुंभी के सड़ जाने व कचरे के कारण जलाशय में गाद भर रहा है. यही वजह है कि पहले कांके डैम से जलापूर्ति के लिए जलाशय के जलस्तर 2107 फीट तक पानी लिया था. वर्तमान में गाद भर जाने की वजह से 2112 फीट तक ही पानी जलापूर्ति के लिए लिया जा सकता है.

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डैमों को प्रदूषण मुक्त करने की पहल

पेयजल एवं स्वच्छता विभाग ने इन दोनों डैम को प्रदूषण मुक्त करने को लेकर कवायद शुरू कर दी है. डैम के पानी की गुणवत्ता में सुधार को लेकर कंपनी की तलाश को लेकर एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट निकाला गया है. कांके डैम से शहर की 10 प्रतिशत आबादी को जलापूर्ति की जाती है. कांके डैम से शहर के कांके रोड, मोरहाबादी, अपर बाजार, राजभवन, मुख्य न्यायाधीश आवास, रिनपास, सीएमपीडीआइ आदि क्षेत्रों में जलापूर्ति की जाती है. कांके डैम में मुख्यत: पंडरा नदी व करमा नदी से पानी आता है. गोंदा डैम के जलजमाव क्षेत्र में घनी बसावट की वजह से डैम का जल ग्रहण क्षेत्र पूरी तरह से प्रभावित हो रहा है. पंडरा नदी व करमा नदी अब बड़े नाले में तब्दील हो गयी है. जलाशय के इर्द-गिर्द बसे मोहल्लों के सीवरेज का पानी जलाशय के पानी को प्रदूषित कर रहा है. वहीं, कांके डैम के कैचमेंट एरिया में दर्जनों मकान का निर्माण कर लिया गया है. नगर निगम की ओर से कई बार अवैध निर्माण तोड़ने का आदेश दिया गया है.

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