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झारखंड के सरकारी अस्पतालों पर बढ़ा महिलाओं का भरोसा, 7 लाख से अधिक लोग भर्ती, 6.68 लाख की नॉर्मल डिलीवरी

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वहीं, 7,43,515 महिलाओं ने प्रसव के लिए सरकारी अस्पताल को ही चुना. खास बात यह है कि इनमें से 74,649 महिलाओं की ही सिजेरियन डिलीवरी हुई, जबकि शेष 6,68,866 महिलाओं का सामान्य प्रसव हुआ.

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राजीव पांडेय, रांची : संस्थागत प्रसव (इंस्टीट्यूशनल डिलीवरी) जच्चा-बच्चा दोनों के स्वास्थ्य और जीवन की सुरक्षा की गारंटी है. झारखंड के सरकारी अस्पताल इस पैमाने पर खरे उतर रहे हैं. यही वजह है कि गर्भवती महिलाओं का सरकारी अस्पतालों पर भरोसा बढ़ा है. स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी बीते तीन साल के आंकड़े इसकी पुष्टि करते हैं. आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2020-21 में राज्य में 7,03,288 महिलाओं का संस्थागत प्रसव हुआ है. वहीं, वर्ष 2021-22 में 6,83,943 महिलाओं ने सरकारी अस्पताल में डिलीवरी करायी. कोरोना काल में ये आंकड़ा थोड़ा कम रहा. इधर, वर्ष 2022-23 में 9,66,714 गर्भवती महिलाओं ने सरकारी अस्पतालों में पंजीकरण कराया. बाद में इनमें से 2,23,199 महिलाएं प्रसव के लिए निजी अस्पतालों में चली गयीं.

वहीं, 7,43,515 महिलाओं ने प्रसव के लिए सरकारी अस्पताल को ही चुना. खास बात यह है कि इनमें से 74,649 महिलाओं की ही सिजेरियन डिलीवरी हुई, जबकि शेष 6,68,866 महिलाओं का सामान्य प्रसव हुआ. रांची में सबसे ज्यादा 69,874 महिलाओं ने संस्थागत प्रसव को चुना है. इनमें 63,244 महिलाओं की डिलीवरी नॉर्मल हुई, जबकि 6,630 का सिजेरियन किया गया. दूसरे नंबर पर धनबाद जिला है, जहां 56,449 महिलाओं का सरकारी अस्पतालों में प्रसव हुआ. इनमें से 46,947 का सामान्य और 9,502 का सिजेरियन प्रसव हुआ. बोकारो जिला तीसरे नंबर पर है, जहां 52,048 महिलाओं ने सरकारी अस्पतालों को तरजीह दी. इनमें से 47,145 का सामान्य और 6,903 का सिजेरियन प्रसव हुआ.

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निजी अस्पतालों में खर्च : नॉर्मल डिलीवरी का 85,000 और सिजेरियन 1.10 लाख तक

निजी अस्पतालों में सामान्य प्रसव की संख्या काफी कम होती है, क्योंकि यहां डॉक्टर रिस्क नहीं लेना चाहती हैं. रांची के एक निजी अस्पताल में सामान्य डिलीवरी के लिए 80 हजार से 85 हजार, जबकि सिजेरियन डिलीवरी के लिए 1,10,000 रुपये तक चार्ज किया जाता है. हालांकि कुछ अस्पतालों में पैकेज पर प्रसव का चार्ज फिक्स है. यहां 70 से 80,000 रुपये सामान्य या सिजेरियन का खर्च आता है.

संस्थागत प्रसव का तीन वर्षों का आंकड़ा

वित्तीय वर्ष—संस्थागत प्रसव

2020-21—7,03,288

2021-22—6,83,943

2022-23—7,43,515

ग्रामीण इलाकों में पीएचसी, सीएचसी और सदर अस्पताल होने की वजह से ही सामान्य प्रसव ज्यादा होते हैं. सरकारी अस्पतालों में महिला डॉक्टर सामान्य प्रसव के लिए इंतजार करती हैं, जबकि निजी अस्पतालों में डॉक्टर रिस्क नहीं लेना चाहते हैं. यही वजह है कि लोगों का भरोसा सरकारी अस्पतालों पर बढ़ा है.

डॉ शशिबाला सिंह, रांची ऑब्सटेट्रिक गाइनेक्लोजिकल सोसाइटी

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