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झारखंड सरकार ने निजी क्षेत्र में स्थानीय को नौकरी देने के मामले में कार्रवाई की शुरू, 1500 कंपनियों को नोटिस

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जिस भी निजी कंपनी, दुकान व अन्य प्रतिष्ठान में जहां 10 या 10 से ज्यादा लोग काम करते हैं, उनको इस कानून के दायरे में रखा गया है. कंपनियों में स्थानीय लोगों की बहाली सुनिश्चित हो,

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आनंद मोहन, रांची :

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सरकार ने राज्यभर के 15 सौ से ज्यादा निजी कंपनियों, दुकानों व प्रतिष्ठानों को नोटिस भेजा है. कई कंपनियों पर सरकार के दिशा-निर्देश का पालन नहीं करने के आरोप में केस दर्ज करने की तैयारी की जा रही है. श्रम विभाग की ओर से सितंबर 2021 में राज्य सरकार ने निजी क्षेत्रों में 75 फीसदी स्थानीय को बहाल करने संबंधी लाये गये कानून के प्रावधानों लागू कराने के लिए कार्रवाई शुरू की है. इस कानून के मुताबिक निजी क्षेत्र की कंपनियों-प्रतिष्ठानों में 40 हजार तक के वेतन पर काम कर रहे कर्मियों में 75 प्रतिशत स्थानीय होंगे.

जिस भी निजी कंपनी, दुकान व अन्य प्रतिष्ठान में जहां 10 या 10 से ज्यादा लोग काम करते हैं, उनको इस कानून के दायरे में रखा गया है. कंपनियों में स्थानीय लोगों की बहाली सुनिश्चित हो, इसके लिए विभाग की ओर से पोर्टल बनाया गया है. इस पोर्टल पर कंपनियों को अपने कर्मियों का पूरा ब्योरा देना है. कर्मियों को स्थानीय प्रमाणपत्र भी पोर्टल पर उपलब्ध कराना है.

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इधर सरकार के नये कानून से निजी कंपनियां व कामगार ऊहापोह की स्थिति में हैं. कंपनियों को मौखिक तौर पर बताया जा रहा है कि वर्ष 2016 में पूर्ववर्ती रघुवर दास सरकार द्वारा जारी स्थानीयता की परिभाषा से संबंधित अधिसूचना को ही मानें. कंपनियों ने भी अपने कर्मियों पर स्थानीय प्रमाण पत्र के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया है. अंचल कार्यालय में स्थानीय प्रमाण पत्र के लिए कामगार परेशान हैं. सरकार के नये कानून के बाद कंपनियों में काम करनेवाले कर्मियों को ही रोजगार छीनने का भय सता रहा है. कंपनियां ही कानून में स्पष्टता के अभाव में पिस रही हैं. श्रम विभाग के समाधान पोर्टल व अन्य स्रोतों से उपलब्ध आंकड़े के अनुसार अनुमानत: इस कानून के दायरे में आनेवाली कंपनियों की संख्या 25 से 30 हजार हो सकती है. ऐसे सभी कंपनियों के सामने अब एक नयी उलझन पैदा हो गयी है

अब तक 64 सौ से अधिक कंपनियों ने कराया है पोर्टल पर निबंधन :

राज्य सरकार द्वारा नये कानून बनाये जाने के बाद कई कंपनियों ने स्थानीय कामगारों के संबंध में जानकारी देनी शुरू कर दी है. अब तक 64 सौ से ज्यादा कंपनियों ने रजिस्ट्रेशन कराया है. इन कंपनियों द्वारा दी गयी जानकारी की जांच-पड़ताल विभाग द्वारा किया जा रहा है. राज्य सरकार के नये कानून के तहत राज्य की सभी कंपनियों को नियुक्ति संबंधित जानकारी समय-समय पर विभाग के पोर्टल पर देना है.

क्या है वर्ष 2016 की स्थानीय नीति

पूर्वज के नाम सर्वे खतियान में दर्ज हो. भूमिहीन के मामले में उसकी पहचान संबंधित ग्रामसभा करेगी.

झारखंड में विगत 30 वर्ष या अधिक अवधि से झारखंड में निवास करता हो

राज्य सरकार, राज्य सरकार के संस्थान, निगम आदि में कार्यरत पदाधिकारी-कर्मचारी या उनकी पत्नी, पति, संतान झारखंड में रखने का प्रतिज्ञा करता हो

केंद्र सरकार के पदाधिकारी, कर्मचारी खुद या उनकी पत्नी, पति या संतान झारखंड में निवास करने की प्रतिबद्धता रखता हो

ऐसे व्यक्ति जिसका जन्म झारखंड में हुआ हो और जिसने मैट्रिक या समकक्ष स्तर तक की पूरी शिक्षा झारखंड के मान्यता प्राप्त संस्थानों से प्राप्त की हो. झारखंड में रहने की प्रतिबद्धता व्यक्त करते हों.

हम सरकार की नीति के खिलाफ नहीं हैं. लेकिन इसके लागू करने के तौर-तरीके प्रैक्टिकल नहीं हैं. इस कानून को लागू करने के लिए प्रावधानों का सरलीकरण होना चाहिए. स्थानीयता को लेकर पूरी तरह स्थिति स्पष्ट नहीं है. छोटे-छोटे उद्योगों पर बेवजह का बोझ डाला गया है. हर तीन महीने में रिपोर्ट देने को कहा गया है. छोटे-छोटे कारोबार में लगे लोग कानूनी प्रावधान को लागू करने में असमर्थ होंगे. अकुशल मजदूर कंपनियों, प्रतिष्ठान और दुकान मेें काम करते हैं, उनको पोर्टल से जोड़ना संभव नहीं है.

अंजय पचेरीवाला, झारखंड स्मॉल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन

राज्य सरकार ने लागू किया है कानून

कंपनियों में 40 हजार तक के वेतन पर काम करनेवाले 75 प्रतिशत स्थानीय रखने की बाध्यता.

कानून में स्पष्टता नहीं कौन हैं स्थानीय

कंपनियों से कहा जा रहा 2016 में तय स्थानीय की परिभाषा को आधार माने. कंपनियों-दुकानों-प्रतिष्ठानों में काम करनेवाले कामगार परेशान, स्थानीय के चक्कर में पिस रहीं कंपनियां.

कानून में स्थानीय को लेकर क्या कहा गया है

स्थानीय उम्मीदवार से अभिप्रेत है, सरकार द्वारा समय-समय पर अधिसूचित वैसे उम्मीदवार जो झारखंड का निवासी हो और पोर्टल पर पंजीकृत हो.

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