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गिरिडीह : विश्वजीत और सुबोध को जीवनदान मिलने पर परिजनों ने की पूजा, उत्तराखंड सरकार ने दिया एक-एक लाख का चेक

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सुरंग से बाहर निकलने के बाद विश्वजीत ने अपनी पत्नी चमेली देवी व सुबोध ने अपनी मां चन्द्रिका व पिता बुधन महतो से बात किया. उनके निकलने पर दोनों के परिवारों में खुशी की लहर दौड़ गयी.

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उतराखंड के उत्तरकाशी की सुरंग में फंसे बिरनी प्रखंड के सिमराढाब निवासी बुधन महतो का इकलौता पुत्र सुबोध वर्मा व केशोडीह निवासी हेमलाल महतो का पुत्र विश्वजीत वर्मा 17 वें दिन मंगलवार की रात बाहर निकला. सुरंग से बाहर निकलने के बाद विश्वजीत ने अपनी पत्नी चमेली देवी व सुबोध ने अपनी मां चन्द्रिका व पिता बुधन महतो से बात किया. उनके निकलने पर दोनों के परिवारों में खुशी की लहर दौड़ गयी. विश्वजीत के बच्चे भी काफी खुश दिये. मंगलवार की रात बच्चों ने दिवाली में खरीदकर लाये पटाखे छोड़े. घटना में सकुशल होने के बाद विश्वजीत की पत्नी चमेली देवी, पिता हेमलाल महतो, पुत्र ऋषि कुमार के साथ बुधवार को अपने घर से 500 मीटर दूर सरकारी मंडप जाकर पूजा अर्चना की. इसके बाद वापस घर लौट कर घर के अंदर विराजमान सिरा पिंडा पूर्वजों की पूजा की और ईश्वर से प्रार्थना की. चमेली ने बताया कि पति समेत 41 मजदूर के बाहर सकुशल निकलने से काफी खुश हूं. सभी का लाज ईश्वर ने रख लिया. कहा कि पति आने के बाद सभी लोग एक साथ खुशियां मनायेंगे और एक साथ बैठकर पकवान बनाकर खायेंगे. बच्चे भी कह रहे हैं कि पिता घर लौटेंगे तो खुशियां को मनायेंगे.

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सुबोध अपने माता-पिता का इलकौला पुत्र

वहीं सुबोध की मां चंद्रिका व पिता बुधन महतो इकलौता पुत्र को सकुशल सुरंग से बाहर निकलने के बाद अपने घर में तीन दिवसीय दुर्गा सप्तसती पाठ करवा रही है. पुत्र की वापसी पर दोनों काफी खुश हैं. 16 दिनों तक दोनों काफी चिंतित थे. उन्हें समझ में नहीं आ रहा था कि क्या होगा. रेस्कयू ऑपरेशन शुरू होने के बाद दिन में जो आस बंधती थी, वह रात होते-होते टूट जाती थी. मंगलवार की शाम उसके निकले पर दोनों ने राहत की सांस ली. दोनों के परिवार वालों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व उत्तराखंड सरकार व रेस्क्यू टीम में लगे लोगों को बधाई दी. केंद्र सरकार व राज्य सरकार से मांग की कि राज्य व जिला के अंदर नौकरी देने की व्यवस्था करे, ताकि फिर से पुत्र व पति को दूसरे राज्य नहीं जाना पड़े.

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