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बिहार में जेल से बाहर आये अपराधियों पर नजर रखेगी पुलिस, क्राइमेक सॉफ्टवेयर से स्थानीय लोगों को मिल जाएगा अलर्ट

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बिहार पुलिस अब तकनीक के आधार पर अपराधियों की ट्रैकिंग करेगी. इसके लिए बिहार पुलिस नए सॉफ्टवेयर पर काम कर रही है. इससे जेल से अपराधियों के छूटते ही इसकी सूचना स्थानीय थानों को मिल जाएगी बल्कि स्थानीय लोगों को भी सूचित किया जायेगा. दूसरे राज्यों को अलर्ट भेजा जा सकेगा.

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पटना. बिहार में जेल के अंदर ही नहीं अब जेल से बाहर आये अपराधियों पर पुलिस की नजर रहेगी. बिहार पुलिस अब तकनीक के आधार पर अपराधियों की ट्रैकिंग करेगी. इसके लिए बिहार पुलिस नए सॉफ्टवेयर पर काम कर रही है. इससे जेल से अपराधियों के छूटते ही इसकी सूचना स्थानीय थानों को मिल जाएगी बल्कि स्थानीय लोगों को भी सूचित किया जायेगा. इतना ही नहीं अंतरराज्यीय अपराधियों के विषय में भी दूसरे राज्यों को अलर्ट भेजा जा सकेगा. पुलिस मुख्यालय के एडीजी जितेंद्र सिंह गंगवार ने बताया कि बिहार पुलिस क्राइमेक (क्रिमिनल मल्टी एजेंसी सेंटर) सॉफ्टवेयर पर काम कर रही है. इससे कई राज्यों की पुलिस और उससे जुड़ी एजेंसियां जुड़ी रहती हैं. इस सॉफ्टवेयर की मदद से आसानी से अपराधियों के बारे में जानकारी एक-दूसरे राज्यों से शेयर की जा सकेगी. इससे अंतरराज्यीय अपराधियों पर नजर रखना और गिरफ्तार करना आसान होगा.

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क्रिमिनल मल्टी एजेंसी सेंटर सॉफ्टवेयर पर काम

पुलिस मुख्यालय के एडीजी जितेंद्र सिंह गंगवार ने बताया कि इस साफ्टवेयर की मदद से आसानी से अपराधियों के बारे में जानकारी एक-दूसरे राज्यों से शेयर की जा सकेगी. इससे अंतरराज्यीय अपराधियों पर नजर रखना और गिरफ्तार करना आसान होगा. इसके अलावा थानों में क्राइम डिटेक्शन सॉफ्टवेयर भी उपलब्ध कराया जा रहा है. इससे अपराध एवं अपराधियों की प्रवृत्ति की पहचान कर उनके खिलाफ कारगर कार्रवाई की जा सकेगी. बिहार पुलिस के थानों को को क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिग नेटवर्क सिस्टम (सीसीटीएनएस) से भी जोड़ा गया है. इससे भी अपराध से जुड़े कांडों के साथ अपराधियों की ट्रैकिंग आसान हो गई है.

सीसीटीएनएस से भी मिल रही मदद

बिहार में अब तक सीसीटीएनएस के माध्यम से पुलिस थानों के साथ कोर्ट, अभियोजन, जेल और फारेंसिक जैसे सभी हितधारक एक नेटवर्क से जुड़ गये हैं. इनके बीच आंकड़ों और सूचनाओं का आदान-प्रदान आसान हो गया है. पुलिस जैसे ही कोई प्राथमिकी डिजिटल अपलोड करती है, इसकी सूचना कोर्ट समेत अन्य जगहों पर चली जाती है. वहीं अगर कोई कैदी जेल से छूटता है, तो इसकी सूचना भी स्थानीय थानों को मिल जाती है. इस साफ्टवेयर से अभी 1033 में 964 थाने जुड़े हैं, बाकी थानों को जोड़ने की कार्रवाई की जा रही है.

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बिहार में तकनीक के सहारे पुलिसिंग पर जोर

बिहार में लगातार बढ़ रहे अपराध को रोकने के लिए राज्य की पुलिस लगातार प्रयासरत है. इसके लिए प्रशासन लगातार द्वारा कई कदम उठाए जा रहे हैं. इसके लिए बिहार में पहली बार बेहतर पुलिसिंग, केस के एनालिसिस व क्राइम के हॉटस्पॉट चिन्हित करने व केस के मॉनिटरिंग के लिए सॉफ्टवेयर एप्प बनाया गया है. उसका नाम लोकस रखा गया है. भारतीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी संस्थान भागलपुर व भागलपुर पुलिस के बीच डेढ़ महीने इसको लेकर पहले एमओयू साइन हुआ था. जिसके बाद नवनिर्मित सॉफ्टवेयर एप्प भागलपुर पुलिस को सौंपा दिया गया है.

लोकस एप्प के माध्यम से स्मार्ट हुई पुलिस

एनआईटी पटना व ट्रिपल आईटी भागलपुर के डायरेक्टर प्रोफेसर पीके जैन ने पिछले दिनों एसएसपी आनंद कुमार को ये एप्प सौंपा है. ट्रिपल आईटी के वर्चुअल हॉल में कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस दौरान लोकस सॉफ्टवेयर एप्प को डिजाइन करने वाले छात्र प्रेम , प्रतीक ने व एएसपी अपराजित लोहान ने एप्प का डेमो दिया. इस सॉफ्टवेयर एप्प के माध्यम से किसी भी थाने के अंतर्गत होने वाले किसी भी तरह के अपराध के बारे में जानकारी मिलेगी. ऐसे में क्राइम होने के तुरंत बाद थानाध्यक्ष मौके पर पहुंचेंगे. लोकस एप्प पर पुलिस द्वारा क्राइम डाटा को अपलोड किया जाएगा.

ऑनलाइन मॉनिटरिंग से आसान हुई पुलिसिंग

इससे डीएसपी, एसएसपी व डीआईजी तक सभी मामलों को ऑनलाइन मॉनिटरिंग कर पाएंगे, इसके साथ ही क्राइम के हॉटस्पॉट को चिन्हित कर मौके पर सीसीटीवी की निगरानी व पुलिस प्रशासन निगहबानी रखेगी. एसएसपी आनंद कुमार ने बताया कि क्राइम होने के बाद उसके लोकेशन को तुरंत ट्रेस किया जाएगा केस की मॉनिटरिंग की जाएगी. आने वाले दिनों में इंटीग्रेटेड कंट्रोल एंड कमांड सेंटर और इस एप्प के डिजाइन से भागलपुर में क्राइम का ग्राफ घटेगा.

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