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कार्बन कचरा नहीं फैलाएंगी लिथियम आयन बैटरी, टाटा केमिकल समेत ये 5 कंपनियां कर रहीं री-साइकल

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पर्यावरण और आर्थिक कारणों से लिथियम आयन बैटरियों की री-साइक्लिंग महत्वपूर्ण है. इलेक्ट्रिक वाहनों और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में इस्तेमाल होने वाली इन बैटरियों में लिथियम और कोबाल्ट जैसे मूल्यवान पदार्थ का प्रयोग किया जाता है.

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नई दिल्ली : भारत में वायु प्रदूषण की मात्रा को कम करने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दिया जा रहा है, लेकिन इसके साथ ही इसमें इस्तेमाल होने वाले लीथियम ऑयन बैटरी को लेकर भी चिंता जाहिर की जा रही हैं. सबसे बड़ी समस्या इसके निपटारे और री-साइक्लिंग को लेकर बनी हुई है. अभी हाल ही में आईआईटी कानपुर के छात्रों ने अपनी एक शोध रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया है कि जिस इलेक्ट्रिक वाहन को पर्यावरण संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है, वह पर्यावरण प्रदूषण को कम करने के बजाए उसमें इजाफा ही करेंगे. इसके पीछे उन्होंने रहस्योद्घाटन किया कि इलेक्ट्रिक वाहनों को चलाने के लिए ईंधन के तौर पर जिन लिथियम आयन बैटरियों का इस्तेमाल किया जा रहा है, उनसे पर्यावरण में कार्बन कचरा और कार्बन डाइ-ऑक्साइड जैसी जहरीली गैसों की मात्रा बढ़ेगी. इन छात्रों ने अपनी शोध रिपोर्ट में तर्क दिया है कि लिथियम आयन बैटरी को बिजली से चार्ज किया जाता है और भारत में अधिकांश पावर प्लांटों में बिजली का उत्पादन कोयले से किया जाता है. इससे वायुमंडल में कार्बन डाइ-ऑक्साइड गैस की मात्रा बढ़ेगी. उनकी दूसरी चिंता लिथियम आयन बैटरियों के निपटारे और इनके री-साइकलिंग को लेकर है. उन्होंने रिपोर्ट में कहा है कि अगर इन बैटरियों का सही तरीके से निपटान नहीं किया गया, तो देश में कार्बन कचरे में इजाफा होगा, जिससे पर्यावरण प्रदूषण बढ़ेगा. लेकिन, चिंता की कोई बात नहीं है. भारत में टाटा केमिकल समेत कई ऐसी कंपनियां हैं, जो लिथियम आयन बैटरी को री-साइकल करने की दिशा में काम कर रही हैं.

लिथियम आयन बैटरियों की री-साइक्लिंग क्यों है जरूरी

पर्यावरण और आर्थिक कारणों से लिथियम आयन बैटरियों की री-साइक्लिंग महत्वपूर्ण है. इलेक्ट्रिक वाहनों और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में इस्तेमाल होने वाली इन बैटरियों में लिथियम और कोबाल्ट जैसे मूल्यवान पदार्थ का प्रयोग किया जाता है. री-साइक्लिंग के द्वारा संसाधन-गहन खनन की आवश्यकता को कम कर सकते हैं और पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव को कम कर सकते हैं. इसके अलावा, लिथियम आयन बैटरी के उचित निपटान से जहरीले पदार्थों को रोका जा सकता है. लिथियम आयन बैटरियों री-साइक्लिंग न केवल पर्यावरण की सुरक्षा करती है, बल्कि संसाधनों का संरक्षण और ऊर्जा भंडारण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.

अटेरो री-साइक्लिंग

गैजेट और इलेक्ट्रिक वाहनों में इस्तेमाल की जाने वाली लिथियम आयन बैटरियां बढ़ती लोकप्रियता के साथ रीसाइक्लिंग चुनौतियों का सामना कर रही हैं. सामग्री की मांग को पूरा करने और पर्यावरणीय चिंताओं को दूर करने के लिए कुशल तरीके से इन बैटरियों को री-साइकल करना महत्वपूर्ण है. खनन पर पर्यावरणीय रूप से अस्थिर निर्भरता से आगे बढ़ने के लिए स्थायी समाधानों की जरूरत है. नोएडा की स्टार्टअप कंपनी अटेरो री-साइक्लिंग की स्थापना नितिन और रोहन गुप्ता ने की थी. इसका कॉन्सेप्ट 2007 में तैयार किया गया था. अटेरो री-साइक्लिंग का कहना है कि यह भारत की सबसे बड़ी इलेक्ट्रॉनिक परिसंपत्ति का प्रबंधन कंपनी है और इसे भारत में टॉप ईवी बैटरी री-साइक्लिंग कंपनी के रूप में स्थान दिया गया है. वे दुनिया की सबसे एडवांस्ड लिथियम आयन बैटरी री-साइक्लिंग कंपनी के रूप में जानी जाती हैं. इसके लिए इस कंपनी ने भारत की करीब 90 फीसदी ऑटोमोबाइल कंपनियों के साथ समझौता किया है. इनमें एमजी मोटर्स, हुंडई मोटर इंडिया, टाटा मोटर्स, एलजी, व्हर्लपूल और गोदरेज आदि शामिल हैं. फिलहाल, ये कंपनी सालाना करीब 3,500 टन लिथियम आयन बैटरियों को री-साइकल करती है, जिसे सालाना 6,000 टन तक बढ़ाने की दिशा में काम किया जा रहा है. इसके अलावा, तेलंगाना में एक नया संयंत्र चल रहा है, जो क्षमता को 12,000 से 13,000 टन तक बढ़ाने के लिए तैयार है.

टाटा केमिकल्स

ऊर्जा विज्ञान क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए टाटा केमिकल्स लिथियम-आयन बैटरियों से कैथोड सक्रिय सामग्रियों की व्यावसायिक पुनर्प्राप्ति शुरू करके एक महत्वपूर्ण मील के पत्थर पर पहुंच गया है. यह अपने ऊर्जा विज्ञान व्यवसाय में टिकाऊ प्रथाओं और एक चक्रीय अर्थव्यवस्था के निर्माण के प्रति कंपनी की प्रतिबद्धता पर जोर देता है. कंपनी मुंबई के पास लिथियम आयन बैटरी को री-साइक्लिंग के लिए प्लांट स्थापित किए गए हैं, जिसमें लिथियम, कोबाल्ट, निकेल और मैंगनीज जैसी मूल्यवान धातुओं को 99 फीसदी से अधिक शुद्धता के स्तर पर री-साइकिल किया गया है. इससे न केवल पर्यावरण प्रदूषण को कम किया जाता है, बल्कि पृथ्वी से कम कच्चा माल निकालकर ऊर्जा और प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण भी किया जाता है.

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री-साइकल करो

रीसायकल करो नामक स्टार्टअप ने मुंबई के पास पालघर में 17 एकड़ में भारत की सबसे बड़ी और सबसे टिकाऊ लिथियम-आयन बैटरी रीसाइक्लिंग प्लांट स्थापित किया है. कंपनी 90 फीसदी से अधिक दक्षता और 99 फीसदी से अधिक शुद्धता के साथ स्क्रैप लिथियम आयन बैटरी से धातुओं को कुशलतापूर्वक निकालती है. फिलहाल, यह प्लांट 2,500 मीट्रिक टन लिथियम आयन बैटरी और 7,500 मीट्रिक टन इलेक्ट्रॉनिक कचरे को संसाधित कर सकती है और 2025 तक इसे 50,000 मीट्रिक टन तक विस्तारित करने की योजना है. इसके अलावा, यह भारत की एकमात्र कंपनी है, जो 90 फीसदी से अधिक महत्वपूर्ण तत्वों को री-साइकल करती है.

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जिपट्रैक्स क्लीनटेक

जिपट्रैक्स की स्थापना दिसंबर 2016 में रोहन सिंह बैस और सोनिया सिंह द्वारा दिल्ली में की गई थी. इसमें अंकुर त्यागी 2018 में शामिल हुए थे. यह एक स्टार्टअप है, जो लिथियम आयन बैटरी के जीवन को बढ़ाने के लिए एआई-आधारित तकनीक का लाभ उठाने के लिए समर्पित है. कंपनी ने उपयोगी लिथियम आयन की क्षतिग्रस्त कोशिकाओं से प्रभावी ढंग से अलग करने के लिए एक एआई उपकरण विकसित किया है, जिसमें बैटरी से निकेल, कोबाल्ट और मैंगनीज जैसे मूल्यवान रसायनों को निकालने के लिए एक हाइड्रोमेटलर्जिकल प्रक्रिया का इस्तेमाल किया जाता है. दिल्ली में एक अनुसंधान एवं विकास इकाई और गाजियाबाद में एक प्रोसेसिंग इकाई के साथ, ज़िपट्रैक्स ने अनुसंधान और विकास, बैटरी के प्रोटोटाइप बनाने और लिथियम आयन बैटरी के लिए कैथोड और एनोड सामग्री की आपूर्ति पर ध्यान केंद्रित किया है.

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