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उदाकिशुनगंज को है 14 वर्षों से इथनॉल प्लांट का इंतजार, जानें मधेपुरा में कितनी है इस उद्योग की संभावनाएं

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पिछले 14 वर्षों से मधेपुरा जिले के लोग प्लांट लगाने का इंतजार कर रहे हैं. पिछले 14 वर्षों से बिहार में नीतीश कुमार की सरकार है. इसके बावजूद इस दिशा में कोई कदम अब तक नहीं उठाये गये हैं. जिले के लोगों की उम्मीद टूटती जा रही है.

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कौनैन बशीर, उदाकिशुनगंज. उदाकिशुनगंज अनुमंडल में इथेनॉल प्लांट लगाये जाने की मांग पुरानी है. पिछले 14 वर्षों से मधेपुरा जिले के लोग प्लांट लगाने का इंतजार कर रहे हैं. पिछले 14 वर्षों से बिहार में नीतीश कुमार की सरकार है. इसके बावजूद इस दिशा में कोई कदम अब तक नहीं उठाये गये हैं. जिले के लोगों की उम्मीद टूटती जा रही है. ऐसे में लोगों ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर अनुमंडल में इथेनॉल प्लांट लगाये जाने के वायदे को याद दिलाया है. पत्र में उल्लेखित है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने पहले शासनकाल के दौरान 2006 में ही इसकी कवायद शुरू की थी. कोसी के उदाकिशुनगंज अनुमंडल क्षेत्र में चीनी मिल लगाने की योजना थी. गन्ने की खोइया के राख से बिजली उत्पादन करने की योजना थी. गन्ने से इथेनॉल बनाने की अनुमति सरकार ने पहले से दे रखी है. केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी ने भी 10 दिसंबर 2022 को पटना-आरा के बीच कोईलवर के समानांतर पुल के उद्घाटन समारोह में इस बात का जिक्र किया था कि कोसी क्षेत्र में भी इथेनॉल से कारोबार की संभावनाएं हैं. इस सब के बावजूद इस जिले के लोगों का इंतजार खत्म नहीं हो रहा है.

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14 साल पहले इथनॉल को लेकर काम हुआ था शुरू

उदाकिशुनगंज में चीनी मिल लगाने की बात थी. मिल लगाने को लेकर 30 जुलाई 2006 को राज्य सरकार के तत्कालीन गन्ना मंत्री नीतीश मिश्रा, उस समय के कैबिनेट मंत्री नरेंद्र नारायण यादव, तत्कालीन विधायक रेणू कुशवाहा उत्तर प्रदेश के धामपुर चीनी मिल के मालिक विजय गोयल को लेकर उदाकिशुनगंज पहुंचे. जहां अधिकारी, उद्यमी और जनप्रतिनिधियों ने अनुमंडल क्षेत्र के 20 किलोमीटर के दायरे में भ्रमण किया. फिर इस बात की चर्चा हुई कि इलाके में मिल लगाने की जरूरत हैं. उद्यमी ने मिल लगाने को उपयुक्त जगह बताया. उद्यमी विजय गोयल ने कहा था कि गन्ने के सिट्ठी के राख से इथनॉल द्वारा बिजली का उत्पादन करेंगे. बिजली सरकार के हाथ बेचने की योजना थी.

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इथेनॉल की फैक्ट्री खुलने से बढ़ेगी गन्ने की मांग

बिहार में खासकर उत्तर बिहार इलाके में बड़े पैमाने पर गन्ने का उत्पादन होता है और कुछ चीनी मिल भी हैं, लेकिन जितनी चीनी मिल की जरूरत है उतनी चीनी मिल बिहार में नहीं चल रही है. अब बंद पड़ी चीनी मिल की जमीन का उपयोग बिहार सरकार इथेनॉल की फैक्ट्री लगाने में करेगी. इथेनॉल फैक्ट्री खुलने से बड़े पैमाने पर गन्ने की मांग बढ़ेगी, जिससे गन्ना किसानों को भी फायदा मिलने की उम्मीद है. साथ ही गन्ने और मक्के से इथेनॉल का उत्पादन भी खूब होने की उम्मीद बिहार सरकार को है. बिहार में इथेनॉल उत्पादन प्रोत्साहन नीति पर मुहर लगाते समय यह भी फैसला लिया गया कि इथेनॉल उत्पादन या उद्योग लगाने पर सरकार की तरफ से सब्सिडी भी दी जायेगी. उल्लेखनीय है कि बिहार में पहले देश के कुल चीनी उत्पादन का 28 फीसदी उत्पादन होता था.

गन्ना किसानों के जीवन में आ सकता मिठास

राज्य में इथनॉल को बढ़ावा देने की कवायद से गन्ना किसानों के जीवन में फिर से मिठास भरने की संभावनाएं है. अब तक किसानों कि जिंदगी फींकी पड़ी हुई है. वजह कि बहुतायत खेती होने के बावजूद अनुमंडल क्षेत्र में चीनी मिल नहीं लग पाया है, जबकि 16 साल पहले मिल लगने की कवायद शुरू हुई थी. मिल लगाने को लेकर तीन सौ एकड़ जमीन की जरूरत थी, जिसमें बिहारीगंज के गमैल और उदाकिशुनगंज के मधुबन मौजा में दो सौ 80 एकड़ जमीन अधिग्रहित कर लिया गया. बाद में कुछ लोगों ने निजी स्वार्थ वश मामले को हाईकोर्ट में लटका दिया.

कहते हैं किसान

किसानों का साफ कहना है कि फैक्ट्री के लगने से बहुतायत किसानों को फायदा होता. प्लांट लगने से हजारों युवाओं को काम मिलता. उदाकिशुनगंज अनुमंडल क्षेत्र में लगभग 15 हजार हेक्टेयर जमीन पर गन्ने की खेती होती है. इसके अलावा कोसी में बांस से इथनॉल उत्पादन की असीम संभावनाएं हैं. उदाकिशुनगंज अनुमंडल क्षेत्र के किसान नईम उद्दीन, वकील मेहता, जवाहर शर्मा, मनोहर, गोपी दास ,बीरबल दास, शंकर दास राजोदास, टिरु मेहता, घोलट मेहता आदि ने कहा कि मिल लग जाय और इथनाॅल की फैक्ट्री खुले तो विकास के बेहतर द्वार खुलेंगे. हजारों बेकार हाथों को काम मिलेगा.

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