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नवंबर में तेजी से बदलता है मौसम, बढ़ जाता है इन बीमारियों का खतरा, जानें क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स

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नवंबर में मौसम तेजी से बदलता है. ऐसे में अभी ठंड बढ़ने के आसार हैं. यूं तो ठंड सेहत से भरा मौसम है. बावजूद इसके ठंड के मौसम में हार्ट, बीपी, अस्थमा और सांस की समस्या से पीड़ित मरीजों को सावधानी बरतनी चाहिए. ठंड के मौसम में हम खुद को कैसे बचाकर रखें, इसपर पढ़िए आज की रिपोर्ट.

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ठंड के मौसम को सेहत से भरा मना जाता है, क्योंकि इस वक्त मिलने वाली साग-सब्जी और फलों में प्रचूर मात्रा में पोषक तत्व मिलते हैं. ठंड में पाचन क्रिया भी बेहतर होती है, इसलिए हम जो भी खाते हैं उसका पाचन आसानी से होता है. बावजूद इसके ठंड के मौसम में हार्ट, बीपी, अस्थमा और सांस की समस्या से पीड़ित मरीजों को सावधानी बरतनी चाहिए. रिम्स के छाती रोग विशेषज्ञ डॉ ब्रजेश मिश्रा ने बताया कि नवंबर का महीना शुरू होते ही मौसम में तेजी से बदलाव होने लगता है. तापमान गिरने और उसके हिसाब से अपने को नहीं ढालने की वजह से लोग मौसमी बीमारी की चपेट में आने लगते हैं. अस्थमा और सांस की समस्या वाले मरीज बढ़ जाते हैं. ऐसे में सरकारी और निजी अस्पतालों के ओपीडी में ऐसे मरीज ज्यादा पहुंच रहे हैं. ज्यादा समस्या नहीं होने पर मरीज को दवा देकर घर भेज दिया जा रहा है, लेकिन जिनको ऑक्सीजन देने की जरूरत पड़ रही है, उनको अस्पताल में भर्ती करना पड़ रहा है.

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रिम्स में 15-20 फीसदी बढ़े मरीज

राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स के मेडिसिन ओपीडी और सेंट्रल इमरजेंसी में मरीज अचानक बढ़ गये हैं. सामान्य दिनों की तुलना में 15 से 20 फीसदी मरीज इस समय बढ़े हैं. मेडिसिन ओपीडी में डॉक्टर प्रतिदिन मौसमी बीमारी से पीड़ित 45-50 मरीजों को परामर्श दे रहे हैं. साथ ही सेंट्रल इमरजेंसी में गंभीर अवस्था में चार- पांच मरीजों का इलाज किया जा रहा है. इसमें दो-तीन मरीजों को क्रिटिकल केयर में भर्ती करना पड़ रहा है.

टीबी, चेस्ट और हार्ट के ओपीडी में बढ़ी भीड़

ठंड के मौसम में अस्थमा, सीओपीडी, ब्रोंकाइटिस की परेशानी से जूझ रहे मरीजों की संख्या रिम्स के टीबी एंड चेस्ट विभाग के ओपीडी में बढ़ गयी है. प्रतिदिन ओपीडी में 25-30 मरीजों को परामर्श दिया जा रहा है. इसमें 55-60 वर्ष की उम्र वाले और बुजुर्ग अधिक हैं. वहीं, रिम्स के क्रिटिकल केयर विंग में पहले से सांस की समस्या वाले पीड़ित मरीजों से बेड भरा हुआ है. इसमें बुजुर्गों की संख्या अधिक है.

इसका रखें विशेष ध्यान

  • ठंड में प्रदूषण से खुद को बचाकर रखें.

  • खाने में नमक का सेवन कम करें.

  • धूम्रपान और शराब का सेवन बंद कर दें.

  • ताजा और गर्म खाना ही खायें.

  • धूप में कम से कम आधा घंटा जरूर बैठें.

  • रोजाना व्यायाम और योग करें.

  • तड़के सुबह मॉर्निंग वॉक पर नहीं जायें.

  • साग-सब्जी और फल का भरपूर इस्तेमाल करें.

ठंड के मौसम में प्रदूषण बन रही है बड़ी वजह

ठंड के मौसम में वायु की गुणवत्ता ज्यादा खराब हो जाती है. प्रदूषण की वजह से सांस संबंधी परेशानी से लोग जूझने लगते हैं. ठंड की शुरुआत में ही सांस संबंधी समस्या वाले रोगियों को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है. खुद को प्रदूषण से बचाना चाहिए. ऐसे मरीजों को बिना वजह बाहर नहीं निकलना चाहिए और मास्क लगाकर रखना चाहिए.

एक्सपर्ट की सलाह

  • हार्ट के मरीज को बचाना बेहद जरूरी : डॉ प्रशांत

रिम्स में कार्डियोलाॅजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डाॅ प्रशांत कुमार ने बताया कि ठंड के मौसम में हार्ट समस्या बढ़ जाती है. इससे बचने के लिए ब्लड प्रेशर की नियमित मॉनिटरिंग जरूरी है. छाती में दर्द, चक्कर आने, सांस लेने में परेशानी, बाएं हाथ में दर्द या अचानक तेज पसीना की शिकायत हो, तो शीघ्र डाॅक्टर से मिलना चाहिए.

  • बीपी और डायबिटीज के मरीज रहें सावधान: डॉ विद्यापति

रिम्स में मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ विद्यापति ने बताया कि ठंड के मौसम में ब्लड प्रेशर अचानक बढ़ने और घटने लगता है. ऐसे में बीपी के मरीजों को नियमित अपनी मॉनिटरिंग करनी चाहिए. डायबिटीज के मरीज को भी ठंड में खतरा बढ़ जाता है. अचानक शुगर का स्तर बढ़ने से हार्ट को क्षति पहुंचने की आशंका रहती है.

  • गंभीर बीमारी से पीड़ित मरीज रखें अपना ख्याल : डॉ प्रदीप भट्टाचार्या

रिम्स में क्रिटिकल केयर विभाग के अध्यक्ष डॉ प्रदीप भट्टाचार्या ने बताया कि ठंड के मौसम में अचानक आइसीयू में मरीजों की संख्या बढ़ जाती है. इसमें गंभीर बीमारी से पीड़ित मरीज और बुजुर्ग शामिल होते हैं. इसलिए ठंड शुरू होते ही खुद का ख्याल रखना चाहिए. सर्द हवाओं से बचायें, क्योंकि नाक और मुंह से ठंड हवाएं शरीर में पहुंचती हैं. यहीं बीमार बनाती हैं.

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