14.1 C
Ranchi
Thursday, February 13, 2025 | 02:45 am
14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

आयुर्वेद के पिता धनवंतरि का है बिहार से गहरा कनेक्शन, जानें बांका में धनतेरस पर क्यों जुटे थे सारे भगवान

Advertisement

हवन पूजन के साथ सभी के सुस्वाथ्य की कामना की जा रही है. सनातन धर्म की मान्यताओं के अनुसार स्वास्थ्य सबसे बड़ा धन है. इसी सोच और मान्यता के साथ आज पूरा हिंदू समाज धनतेरस का पर्व मना रहा है.

Audio Book

ऑडियो सुनें

पटना. धनतेरस के साथ पंच दिवसीय दीप महोत्सव का शुभारंभ हो रहा है. धर्म शास्त्रों में धनतेरस का व्यापक महत्व है. धनतेरस के दिन ही समुद्र मंथन के बाद आयुर्वेद के पिता भगवान धनवंतरी का प्राकट्य हुआ था. इसलिए धनतेरस के रूप में भगवान धनवंतरी का प्राकट्योत्सव मनाया जाता है. आयुर्वेद का विधान भगवान धनवंतरी की ही देन है. वहीं, भौतिक जीवन में भी धनतेरस का विशेष महत्व है. राजधानी पटना समेत पूरे बिहार में आयुर्वेद के प्रणेता भगवान धनवंतरी के प्राकट्य दिवस पूरे भक्ति भाव से पूरे देश में मनाया जा रहा है. हवन पूजन के साथ सभी के सुस्वाथ्य की कामना की जा रही है. सनातन धर्म की मान्यताओं के अनुसार स्वास्थ्य सबसे बड़ा धन है. इसी सोच और मान्यता के साथ आज पूरा हिंदू समाज धनतेरस का पर्व मना रहा है.

बाजारवादी संस्कृति ने धनतेरस को स्वास्थ्य के बदले ‘धन’ से जोड़ दिया

इस पर्व के बदले रूप में प्रकाश डालते हुए पटना के प्रसिद्ध धर्माधिकारी पंडित भवनाथ झा ने कहा कि धनतेरस, जिसे आज मनमाने ढंग से बाजारवादी संस्कृति ने ‘धन’ से जोड़ दिया है, दर असल धन्वन्तरिं और समुद्र मन्थन की कथा से जुड़ा हुआ है. इसी कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन अमृत का कलश हाथों में लिए धन्वन्तरि महाराज की उत्पत्ति हुई थी. मान्यतानुसार अमृत पीने से अमरता मिलती है. अतः पुराण-साहित्य में धन्वन्तरि को आरोग्य का देवता माना गया है. वे वैद्यों/चिकित्सकों के आराध्य देवता माने गये हैं. यहाँ तक कि सुश्रुत ने अपने ग्रन्थ के प्रत्येक अध्याय में कहा है कि मैं जो कुछ लिख रहा हूँ वह धन्वन्तरि के कथन की ही व्याख्या है. इस प्रकार भारत की परम्परा ने धन्वन्तरि को वैद्यों के देवता अथवा आदि-पुरुष’ के रूप में मानती रही है.

धनवंतरि को है एक देवता के रूप में प्रतिष्ठा

उन्होंने कहा कि धन्वन्तरि की उत्पत्ति कथा विस्तार के साथ भागवत-महापुराण (8.8.32-36 तक) में वर्णित है. वहाँ उनकी स्तुति भी की गयी है, जिसमें उन्हें एक देवता के रूप में प्रतिष्ठा मिली है. कहा गया है कि अमृत से भरा हुआ घड़ा लिये हुए तथा कंगन पहने हुए वे साक्षात् भगवान् विष्णु के अंश के रूप में उत्पन्न हुए थे. धन्वन्तरि से सम्बद्ध एक रोचक कथा और पूजा-पद्धति का उल्लेख रुद्रयामल तंत्र के नाम पर लिखी गयी कर्मकाण्ड की विधि में मिलती है. यह एक पूजा पद्धति है, जिसमें धन्वन्तरि त्रयोदशी यानी धनतेरस के दिन एक कलश की पूजा कर उसके जल अथवा दूध से स्नान करने पर एक साल तक नीरोग रहने का उल्लेख हुआ है. यह रुद्रयामलोक्त ‘अमृतीकरणप्रयोग’ है. कलश के दूध अथवा जल को अमृतमय बनाकर उससे स्नान कर रोग से छुटकारा पाने की बात यहाँ वर्णित है.

अमृत-पान की घटना की भूमि है बिहार

इस पूजा की कथा के अनुसार समुद्र-मन्थन के दौरान जब अमृत कलश के साथ धन्वन्तरि महाराज प्रकट हुए तो राजा बलि उसे झपट कर अपनी राजधानी बलिग्राम की ओर भागा. कहा जाता है कि वर्तमान बलिया प्राचीन बलिग्राम था. इस प्रकार, वर्तमान बाँका जिला, मन्दार पर्वत से बलिया तक गंगा के किनारे वह भागने लगा. सारे दैत्य भी उसके साथ चल पड़े और इसी रास्ते में सेमल वृक्षों के वन शाल्मली वन में मोहिनी रूप में विष्णु ने अमृत का बरवारा किया. इस प्रकार, धन्वन्तरि, समुद्र मन्थन, देवताओं के द्वारा अमृत-पान की घटना की भूमि बिहार है. चूँकि यह घटना कार्तिक मास में घटी थी, अत: पूरे कार्तिक गंगास्नान का विशेष माहात्म्य बिहार में है. बेगूसराय जिला के सिमरिया में कार्तिक मास का प्रसिद्ध कल्पवास होता है.

यूरोपीय दस्तावेजों में मिलता है गल्ला पूजा का उल्लेख

इस प्रकार, हम देखते हैं कि कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी की तिथि आरोग्य प्रदान करने वाली है. इसे बाजारवाद ने धन से जोड़कर अपने फायदे के लिए मनमाना किया. हालाँकि 19वीं शती के यूरोपीय दस्तावेजों में गुजरात में इस दिन व्यापारियों के द्वारा ‘गल्ला’ और ‘तिजौड़ी’ की पूजा करने का उल्लेख मिलता है, लेकिन उन दिनों बिक्री बंद कर पूजा की जाती थी. आज देवता की उपासना गौण हो गई और व्यापार अधिक बढ़ गया है. वैद्य एवं आयुर्वेद की दवा बनाने वाली कम्पनियाँ इस दिन अपने आराध्य धन्वन्तरि की पूजा कर उत्सव मनाते रहे हैं.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें