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EXPLAINER: बिहार ने सबसे बड़ी बहाली से पूरे देश का अपनी ओर खींचा ध्यान, 2023 कहलाएगा शिक्षक नियुक्ति का साल

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EXPLAINER: बिहार के लिए वर्ष 2023 शिक्षक बहाली का साल कहलाएग. अबतक की सबसे बड़ी शिक्षक बहाली के जरिए बिहार ने पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींचा है. इस बहाली ने युवाओं को नौकरी दी तो वहीं इस बहाली की कई अन्य चीजें भी खास हैं. जानिए..

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EXPLAINER: बिहार ने शिक्षकों की सबसे बड़ी बहाली (Bihar Teacher Recruitment 2023) के जरिए पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींचा है. इस साल 2023 को बिहार के लिए शिक्षक नियुक्ति का साल कहा जाए तो गलत नहीं होगा. पहले चरण में करीब पौने दो लाख पदों के लिए वैकेंसी निकाली गयी. इस परीक्षा के लिए आठ लाख से अधिक आवेदन आए. सरकार ने बिहार में शिक्षक बहाली (Bihar Teacher Vacancy) का तरीका बदला और बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) के द्वारा आयोजित परीक्षा के द्वारा शिक्षकों के चयन का फैसला लिया. जिसके बाद पहली बार 1 लाख 20 हजार से अधिक शिक्षकों को एकसाथ बहाल किया जा चुका है. जबकि दूसरे चरण की बहाली भी अब आ चुकी है.

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पहली बार BPSC ने शिक्षकों का किया चयन

बिहार सरकार ने 2 नवंबर 2023 को 1,20,336 नवनियुक्त शिक्षकों को नियुक्ति पत्र दिया है. प्रदेश को एकसाथ इतनी बड़ी संख्या में नए शिक्षक मिले हैं. बिहार में जब शिक्षकों के चयन का तरीका बदला गया और बीपीएससी ने शिक्षक भर्ती परीक्षा के लिए आवेदन मंगाए तो पहले फेज में 8 लाख से अधिक आवेदन मिले. इनमें बिहार के अलावे अन्य राज्यों के भी अभ्यर्थी शामिल थे. कई प्रदेशों के युवाओं ने बिहार में शिक्षक की नौकरी के लिए दिलचस्पी दिखाई. दूसरे राज्यों के 3 लाख 12 हजार 560 आवेदन आए. यानी कुल आवेदकों में करीब 39 फीसदी दूसरे राज्यों के थे.

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बिहार में शिक्षकों की सबसे बड़ी बहाली..

बिहार की शिक्षक बहाली के पहले फेज में 1 लाख 20 हजार 336 शिक्षकों को नियुक्ति पत्र मिला. इनमें 70545 प्राथमिक शिक्षक, 26089 माध्यमिक शिक्षक और 23702 उच्च माध्यमिक शिक्षक शामिल थे. आजाद भारत के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ जब एक ही विज्ञापन से इतनी बड़ी संख्या में शिक्षकों की बहाली हुई. वहीं नियुक्ति पत्र वितरण समारोह में ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने हाथों से नियुक्ति पत्र बांटे. वहीं इस साल के अंत यानी दिसंबर तक एक लाख से अधिक और शिक्षकों की बहाली सरकार करने वाली है. शिक्षक नियुक्ति के दूसरे चरण की घोषणा भी बीपीएससी ने 4 नवंबर, शनिवार को कर दी है.

दूसरे राज्यों के अभ्यर्थियों  ने भी बिहार में पायी नौकरी..

इस बहाली ने दूसरे राज्यों के युवाओं की भी उम्मीद जगायी है. दूसरे राज्यों के 3 लाख से अधिक अभ्यर्थियों ने इस परीक्षा में अप्लाई किया था. जिनमें 14 हजार यानी कुल चयन का करीब 12 प्रतिशत सफल हुए. प्राथमिक शिक्षक के पद पर अब ये बिहार के स्कूलों में अपनी सेवा देंगे. बता दें कि डोमिसाइल नीति की अनिवार्यता को समाप्त करके दूसरे राज्यों के अभ्यर्थियों का आवेदन मंगाया गया था. इनके लिए कुछ शर्तें भी रखी गयी थीं. वहीं नियुक्ति पत्र वितरण कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इन अभ्यर्थियों के चयन पर कहा कि इस परीक्षा में पूरे देश को शामिल होने का मौका मिला.

देशभर में बदली बिहार की तस्वीर..

बिहार में शिक्षक बहाली ने अन्य राज्यों का ध्यान अपनी ओर खींचा है. रोजगार की तलाश में दूसरे राज्य की ओर पलायन करने का जिस बिहार के ऊपर तमगा लगा हुआ है, उस बिहार ने नौकरी के लिए अन्य राज्यों को अपने पास बुलाया. बता दें कि बाहर के 12 फीसदी शिक्षकों में 14 राज्यों के अभ्यर्थी शामिल हैं. केरल, कर्नाटक, गुजरात, असम, पंजाब, हरियाणा, यूपी, झारखंड, मध्य प्रदेश, दिल्ली और बंगाल के लोग शिक्षक बने. यही नहीं बल्कि ओमान और कतर के भी लोग बिहार शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया में शामिल हुए. मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम से अपने संबोधन में इस बहाली से बिहार की बदलती छवि का जिक्र किया. सीएम ने कहा कि बिहार की छवि दूसरे राज्यों में और देश के बाहर बेहतर हुई है, ये उसका परिचायक है. सेना, रेलवे, बैंक और बड़ी कंपनियों की नौकरी छोड़कर लोग बिहार में शिक्षक बने हैं.

महिला शिक्षकों की उपस्थिति बढ़ी..

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार महिला सशक्तीकरण को लेकर हमेसा बड़े कदम उठाते रहे हैं. बिहार शिक्षक भर्ती में भी कुल चयनित शिक्षकों में 57 हजार 854 यानी 48 फीसदी महिला हैं. महिला अध्यापकों की औसत उम्र 20 से 24 साल है. मुख्यमंत्री के हाथों पहला नियुक्ति पत्र भी पटना की पूनम को ही दिया गया. प्राइमरी स्कूलों में महिला शिक्षकें अधिक हैं. छोटे बच्चों को पढ़ाने के लिए ये उर्जावान माने जाते हैं. 48 प्रतिशत महिला शिक्षकों को ग्रामीण क्षेत्रों में तैनात किया गया है.

ग्रामीण इलाके के स्कूलों का होगा उद्धार..

बिहार के नए नियुक्त शिक्षकों को ग्रामीण क्षेत्र के स्कूल में तैनात किया गया है. गांवों के 66 हजार से अधिक सरकारी स्कूल अब पढ़ाई के मामले में शहरों के स्कूलों से पीछे नहीं रहेंगे. इसी उम्मीद से इन शिक्षकों की नियुक्ति ग्रामीण इलाकों में की जा रही है. इन स्कूलों में करीब 60 फीसदी पद खाली थे.

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