21.1 C
Ranchi
Friday, February 7, 2025 | 12:07 pm
21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

खतरे से भरी सड़कें

Advertisement

दुर्घटनाओं को अकस्मात होने वाली ऐसी बात माना जाता है जिस पर इंसानों का वश नहीं. लेकिन, आंकड़ों से साबित हो जाता है कि यह सोच गलत है.

Audio Book

ऑडियो सुनें

भारत में सड़क दुर्घटनाओं को लेकर सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की ताजा रिपोर्ट स्थिति की भयावहता को प्रकट करती है. देश में हर घंटे 53 दुर्घटनाएं होती हैं और 19 लोगों की मौत होती है. यहां हर दिन 1,264 दुर्घटनाएं होती हैं और 462 लोगों की जान जाती है. पिछले वर्ष देश में 4,61,312 दुर्घटनाएं हुईं और 1,68, 491 लोगों की मौत हुई. लेकिन, ऐसे आंकड़े पहली बार नहीं आये हैं. वर्ष 2021 में 1,55,622 लोग दुर्घटनाओं में मारे गये थे. वर्ष 2017 में 1,47, 913 लोगों की मौत हुई थी. यानी हाल के समय में हर साल लगभग डेढ़ लाख लोग सड़क दुर्घटना में मारे जा रहे हैं.

- Advertisement -

सड़क दुर्घटनाएं और उसमें लोगों की मौत के सिलसिले पर रोक लगाने के लिए प्रयासों में और गंभीरता लाये जाने की जरूरत है. मिसाल के तौर पर, तीन साल पहले सारी दुनिया के साथ भारत ने भी कोरोना महामारी का दौर देखा. और तब उसके खिलाफ सरकार से लेकर समाज तक ने एक जंग सी छेड़ी और कोरोना को हराया. हालांकि, कोरोना ने पिछले तीन सालों में लगभग सवा पांच लाख लोगों को असमय छीन लिया. लेकिन, इन्हीं तीन सालों में सड़क दुर्घटनाओं में लगभग साढ़े चार लाख लोग मारे गये. और इनमें महामारी के समय के वे साल भी शामिल हैं जब सड़कों पर वाहनों की संख्या सीमित थी. मगर, दुर्घटनाओं को लेकर देश में महामारी जैसा डर या चिंता नहीं दिखती. इसकी एक बड़ी वजह शायद यह है कि दुर्घटनाओं को अकस्मात होने वाली ऐसी बात माना जाता है, जिस पर इंसानों का वश नहीं.

लेकिन, आंकड़ों से साबित हो जाता है कि यह सोच गलत है. वर्ष 2022 में सबसे ज्यादा (71.2 प्रतिशत) लोग ओवरस्पीडिंग के कारण हुई दुर्घटनाओं में मारे गये. इसके बाद सबसे ज्यादा लोगों की मौत रॉन्ग साइड पर वाहन चलाने से हुई. स्पीड और सड़क पर सही साइड में वाहन चलाना- ये दोनों ही कारण ऐसे हैं जो इंसानों के ही हाथ में है. रिपोर्ट यह भी बताती है कि सबसे ज्यादा दुर्घटनाएं (43.9 प्रतिशत) और मौतें (39.4 प्रतिशत) सामान्य सड़कों पर होती है, यानी जो राजमार्ग नहीं हैं. साथ ही, लगातार दूसरे साल यह बात सामने आयी है कि सबसे ज्यादा दुर्घटनाएं और मौतें (44.5 प्रतिशत) दोपहिया वाहनों की हुई हैं. इनके बाद दुर्घटनाओं में जान गंवानेवाले सबसे ज्यादा (19.5 प्रतिशत) लोग सड़कों पर मौजूद आम नागरिक थे. दुर्घटनाओं की संख्या में कमी लाने के लिए पूरे देश को कमर कसने की जरूरत है. सरकार की सख्ती और आम लोगों की समझदारी से ही इस पर काबू पाया जा सकता है.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें