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बिहार की अदालत में खुद भगवान बने फरियादी, हनुमान जी ने इंसान पर ठोका मुकदमा, जानिए क्या है पूरा मामला..

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बिहार के आरा की एक अदालत में ऐसा मामला चल रहा है, जहां फरियादी कोई इंसान नहीं, बल्कि खुद भगवान हैं. केस इंसानों पर किया गया है. एक दो नहीं बल्कि चार केसों की सुनवाई हो रही है. जानिए इन मुकदमों के बारे में, जो 1988 से चल रहे हैं.

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बिहार के आरा में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने सबको हैरानी में डाल दिया है. यूं तो कोर्ट-कचहरी के चक्कर आम से खास लोग तक लगाते रहे हैं. इंसान अदालत का दरवाजा खटखटाए, ये तो स्वाभाविक-सी बात है. लेकिन अगर किसी को कहा जाए कि भगवान खुद कोर्ट की शरण में पहुंचे हैं, तो वो हैरानी में जरूर पड़ जाएगा. आरा में ऐसा ही एक मामला है. जहां भगवान ने इंसान पर मुकदमा किया है. एक ऐसी अदालत के बारे में आप भी जानिए, जहां खुद हनुमान जी के नाम से एक या दो नहीं, बल्कि चार मुकदमे चल रहे हैं. आरा सिविल कोर्ट में खुद हनुमान जी के नाम से अलग-अलग चार इंसानों पर मुकदमा चल रहा है. तमाम मामले जमीन विवाद से जुड़े हुए हैं.

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किन लोगों के ऊपर हैं मुकदमे..

दरअसल आरा सिविल कोर्ट में बड़ी मठिया में मौजूद हनुमान जी, ठाकुर जी व अन्य देवताओं के नाम से मुकदमा दायर किया गया है. सभी मुकदमे अलग-अलग मामलों के हैं. पहला मुकदमा केस संख्या (4/23) पुष्पा देवी के नाम से है. इनपर आरोप जीमन और महंत के दावेदारी का मुकदमा है. दूसरा मुकदमा केस नंबर (11/19) है, जो नारायण शर्मा पर है. तीसरा केस (297/89) योगिंदर सिंह और चौथा मुकदमा (18/88) अयोध्या मिस्त्री उर्फ सुपन मिस्त्री पर है. इन सभी पर आरोप है कि दुकान पर इन्होंने दखल किया और किराया नहीं दिया. ये सभी मुकदमे बड़ी मठिया के तत्कालीन महंत राम किंकर दास के द्वारा कराए गए हैं. लेकिन, मुकदमा में पहली पार्टी बड़ी मठिया में मौजूद हनुमान जी और ठाकुर जी को बनाया गया है.

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जानिए कब से शुरू हुआ विवाद..

केस शुरू होने का सिलसिला वर्ष 1988 से है, जो अब तक चल रहा है. इन मामलों में अभी तक कोई फैसला सामने नहीं आया है. फैसले के बाद ही यह तय हो सकेगा कि न्याय के दरबार में जीत फरियादी बने भगवान पक्ष की हुई या फिर आरोपित इंसान की. इस मुकदमे के आरोपी नारायण शर्मा व पुष्पा देवी के पुत्र चंदन ओझा खुद हैरान हैं. वो कहते हैं कि ये बिल्कुल अजूबा है. कोई गलती करने पर भगवान के पास जाकर माफी मांगते हैं, परंतु यहां तो हमलोग ही भगवान के आरोपी बना दिए गए हैं. इसका पता ही नहीं चला. जब कोर्ट से पता चला तो देखे कि पहला पार्टी भगवान खुद हैं. बाद में सारा माजरा समझ में आया. मठिया के महंत तब राम किंकर दास थे, उन्होंने ही ये किया. बताया कि तारीख पर हमलोग हाजिर होते हैं. देखिए आगे क्या होता है.

क्या कहते हैं वकील..

इस मामले में सिविल कोर्ट के एक अधिवक्ता ने बताया कि ये मामला थोड़ा अलग है. आप हैरान जरूर होंगे लेकिन संविधान के हिसाब से ये संभव है. भगवान के नाम पर उनके सेवक या मंदिर के पुजारी किसी पर मुकदमा कर सकते हैं.

(आरा से दीनानाथ मिश्रा की रिपोर्ट)

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