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इन दिग्गजों से मिली झारखंड में हॉकी को पहचान, आज कई खिलाड़ियों के लिए हैं प्रेरणा

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हॉकी में झारखंड को इस मुकाम तक पहुंचाने में कई दिग्गजों नें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. इनमें जयपाल सिंह मुंडा, माइकल किंडो, सिल्वानुस डुंगडुंग, मनोहर टोपनो, सुमराय टेटे, असुंता लकड़ा जैसे दिग्गज खिलाड़ी शामिल हैं. आज कई हॉकी खिलाड़ियों के लिए ये प्रेरणादायी हैं.

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एशियन हॉकी गेम शुक्रवार से शुरू हो चुका है. इसकी मेजबानी झारखंड कर रहा है. हॉकी में झारखंड को इस मुकाम तक पहुंचाने में कई खिलाड़ियों का बहुमूल्य योगदान रहा है. इनमें जयपाल सिंह मुंडा, माइकल किंडो, सिल्वानुस डुंगडुंग, मनोहर टोपनो, सुमराय टेटे, असुंता लकड़ा जैसे दिग्गज खिलाड़ी शामिल हैं. आज इन्हीं को आदर्श मानकर कई जूनियर हाॅकी खिलाड़ी जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं. इनका सपना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाना है. पढ़ें पूजा सिंह की रिपोर्ट-

जयपाल सिंह मुंडा

झारखंड के पहले हॉकी ओलिंपियन रहे हैं. उनकी कप्तानी में भारत ने 1928 में एम्सटर्डम ओलिंपिक में पहला स्वर्ण पदक हासिल किया. इस ओलिंपिक में जयपाल सिंह मुंडा के नेतृत्व में भारतीय टीम ने 17 मैचों में 16 में जीत दर्ज की.

माइकल किंडो

1972 म्यूनिख ओलिंपिक में झारखंड के माइकल किंडो ने हॉकी टीम का प्रतिनिधित्व किया था. इस वर्ष टीम ने कांस्य पदक जीता था.

सिल्वानुस डुंगडुंग

1980 मास्को ओलिंपिक में भारत ने आाखिरी गोल्ड मेडल जीता था. इस टीम में झारखंड के ध्यानचंद अवार्ड प्राप्त करनेवाले सिल्वानुस डुंगडुंग शामिल थे. उन्होंने फाइनल में आखिरी गोलकर स्पेन पर चार-तीन से जीत दिलायी थी.

मनोहर टोपनो

झारखंड के चौथे हॉकी ओलिंपियन हैं मनोहर टोपनो. इन्होंने 1984 में लॉस एंजिलिस ओलिंपिक में टीम का प्रतिनिधित्व किया था.

सुमराय टेटे

सुमराय टेटे भारतीय महिला हॉकी टीम की सदस्य रह चुकी हैं. उन्हें 2002 में ध्यानचंद अवार्ड से सम्मान मिल चुका है.

असुंता लकड़ा

वर्ष 2000 से 2014 तक असुंता लकड़ा भारतीय हॉकी टीम की सदस्य रही हैं. टीम की कप्तानी रहीं. भारत के लिए खेलते हुए कई मेडल और ट्रॉफी टीम को दिलायी हैं. वह चयनकर्ता, कोच, खेल प्रशासक सभी क्षेत्र में हॉकी के लिए काम कर चुकी हैं.

सलीमा टेटे की तरह अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी बनना है हमारा लक्ष्य

चौथी कक्षा में थी, तब से हॉकी का अभ्यास कर रही हूं. सब जूनियर, जूनियर और अब नेशनल खेलने का अवसर मिला है. अपने खेल में आर्थिक परेशानी को कभी नहीं आने दी. मुझे सलीमा टेटे की तरह ही अंतरराष्ट्रीय हॉकी प्लेयर बनना है. उनसे प्रेरित होकर स्किल बढ़ा रही हूं. उनकी रनिंग स्किल को अच्छी तरह से फॉलो करती हूं. झारखंड में हॉकी गेम हो रहा है, यह गर्व की बात है. -रजनी केरकेट्टा, सिमडेगा

घुटने का ऑपरेशन नहीं होने से नेशनल गेम से रह गयी वंचित

2016 से हॉकी से जुड़ी हूं. सब जूनियर, जूनियर और सीनियर खेलने के बाद घुटने में दिक्कत होने लगी. डॉक्टर ने कहा कि ऑपरेशन कराना होगा. लेकिन आर्थिक परेशानी थी. घुटने का बेहतर इलाज नहीं होने के कारण नेशनल खेलने से वंचित रह गयी. मैं जब से हॉकी के बारे में जान रही हूं, तब से निक्की प्रधान और सलीमा टेटे को फॉलो करती आ रही हूं. गर्व की बात है कि इन्हें अपने राज्य में एशियन गेम्स में खेलते देख पाऊंगी. -फूलमनी भेंगरा, खूंटी

खेल की तकनीक को जानने का बेहतर मौका

2016 से हॉकी खेल रही हूं. सब जूनियर, जूनियर और सीनियर खेलने का अवसर मिल चुका है. सलीमा टेटे और संगीता कुमारी को फॉलो करती हूं. सलीमा टेटे का बॉल के साथ तेज भागना और संगीता कुमारी का डोजिंग बेहतर है. झारखंड में पहली बार एशियन गेम्स हो रहा है. इसे सामने से देखने का अवसर मिलेगा. यह हमारे लिए गर्व की बात है. खेल की तकनीक को जानने और समझने का अवसर मिलेगा. -निक्की कुल्लू

मेरा सपना निक्की प्रधान की तरह खेलना है

2016 से हॉकी सेंटर में ट्रेनिंग की शुरुआत की. इससे पहले गांव में स्कूल की तरफ से खेलती थी. मेरा सपना निक्की प्रधान की तरह खेलना है. गेंद को टेकल करने की उनकी स्पीड काफी अच्छी है. उनका खेल देखकर काफी कुछ सीखने को मिलता है. सब जूनियर के बाद जूनियर नेशनल टूर्नामेंट खेलने गोवा जा रही हूं. इसलिए एशियन गेम्स में उनका प्रदर्शन देखने का अवसर नहीं मिल पायेगा. आशा है कि भारतीय टीम अच्छा प्रदर्शन करेगी. -एडलिन बागे, गोविंदपुर

संगीता का खेल देख बेहतर करने की प्रेरणा मिली

आठ साल की उम्र से हॉकी खेल रही हूं. जब सेंटर आयी, तो यहां संगीता कुमारी को हॉकी खेल में पहचान बनाते देखा. उनका खेल देखकर लगा कि वह हॉकी में अच्छा कर सकती हैं, तो मैं भी कर सकती हूं. इसके बाद इनके खेल को पूरी तरह फॉलो करने लगी. स्किल और भागने का तरीका मुझे काफी अच्छा लगता है. विदेशी हॉकी प्लेयर के टेक्निक को जानने और समझने का अच्छा अवसर है. -पिंकी कुमारी, सिमडेगा

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