14.1 C
Ranchi
Thursday, February 13, 2025 | 02:41 am
14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

Navratri 8th Day: आज महाअष्टमी पर ऐसे करें महा गौरी की पूजा, पारिवरिक कलह से मिलेगी मुक्ति

Advertisement

Navratri 8th Day: दुर्गा अष्टमी के दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है. इनकी चार भुजाएं हैं. दाहिनी ओर का ऊपर वाला हाथ अभय मुद्रा में रहता है तो वहीं नीचे वाले हाथ में मां त्रिशूल धारण करती हैं.

Audio Book

ऑडियो सुनें

Navratri 8th Day: हिन्दू धर्म में नवरात्रि का काफी महत्व होता है. इस साल नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है और आज नवरात्रि का आठवां दिन है. मां दुर्गा के आठवें स्वरूप को महागौरी कहा जाता है. दुर्गा अष्टमी के दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है. इनकी चार भुजाएं हैं. दाहिनी ओर का ऊपर वाला हाथ अभय मुद्रा में रहता है तो वहीं नीचे वाले हाथ में मां त्रिशूल धारण करती हैं. बाईं ओर के ऊपर वाले हाथ में डमरु रहता है तो नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में रहता है. महागौरी का पूजन करने से समस्त पापों का क्षय हो जाता है एवं इसके साथ ही चेहरे की कांति बढ़ती है व शत्रु समाप्त होते हैं. मां महागौरी सफ़ेद वस्त्र धारण करती है और इनका सभी आभूषण भी श्वेत होता है. इनका वाहन वृषभ अर्थात् बैल को माना गया है. ऐसे आइए जानते है ज्योतिषाचार्य वेद प्रकाश शास्त्री से मां महागौरी की पूजा करने की विधि और संबंधित जानकारी…

ऐसा है माता का स्वरूप

नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की विधि-विधान से पूजा- अर्चना की जाती है. सांसारिक रूप में इनका स्वरूप बहुत ही उज्ज्वल कोमल, श्वेत वर्ण और श्वेत वस्त्रधारी है. देवी महागौरी को गायन- संगीत प्रिय है और वह सफेद वृषभ यानी बैल पर सवार होती हैं. मां का दाहिना हाथ अभयमुद्रा लिए हुए हैं और नीचे वाले हाथ में शक्ति का प्रतीक त्रिशूल लिए हुई हैं. वहीं बायें वाले हाथ में शिव का प्रतीक डमरू और नीचे वाला हाथ से भक्तों को अभय दे रही है. मां के हाथ में डमरू होने के कारण इनको शिवा भी कहा जाता है. मां का यह स्वरूप बेहद शांत और दृष्टिगत है. मान्यता के अनुसार, अपनी कठिन तपस्या से मां ने गौर वर्ण प्राप्त किया था. तभी से इन्हें उज्जवला स्वरूपा महागौरी, धन ऐश्वर्य प्रदायिनी, चैतन्यमयी त्रैलोक्य पूज्य मंगला, शारीरिक मानसिक और सांसारिक ताप का हरण करने वाली माता महागौरी का नाम दिया गया.

भोग और प्रसाद

नवरात्रि के अष्टमी तिथि के दिन मां महागौरी को नारियल या नारियल से बनी चीजों का भोग लगाया जाता है. भोग लगाने के बाद नारियल को ब्राह्मण को दे दें और प्रसाद स्वरूप भक्तों में बांट दें. जो जातक आज के दिन कन्या पूजन करते हैं, वह हलवा-पूड़ी, सब्जी और काले चने का प्रसाद माता को लगाते हैं और फिर कन्या पूजन करते हैं. कुछ लोग नवमी के दिन भी कन्या पूजन करते हैं लेकिन अष्टमी के दिन कन्या पूजन करना श्रेष्ठ माना गया है. बता दें कि इसमें कन्याओं की संख्या 9 हो तो अति उत्तम माना जाता है. कन्याओं की उम्र 2 वर्ष से ज्यादा व 10 वर्ष तक होनी चाहिए. भक्तों को माता की पूजा करते समय गुलाबी रंग के वस्त्र पहनने चाहिए. क्योंकि गुलाबी रंग प्रेम का प्रतीक माना जाता है. इससे परिवार के सदस्यों के बीच आपसी प्रेम बना रहता है और यह रंग परिवार को प्रेम के धागों में गूंथ कर रखता है.

Also Read: Dussehra 2023 Date: कब है विजयदशमी, दशहरा के दिन इस उपाय से चमक जाएगी किस्मत, जानें तिथि और शुभ मुहूर्त
मां महागौरी की पूजा से जागृत होता है सोमचक्र

‘देवी भागवत पुराण के अनुसार, मां के 9 रूपों और 10 महाविद्या सभी आदिशक्ति के अंश और स्वरूप हैं. लेकिन महादेव के साथ उनकी अर्द्धांगिनी के रूप में महागौरी हमेशा विराजमान रहती हैं. मां दुर्गा के इस स्वरूप की पूजा करने से सोमचक्र जागृत होता है और इनकी कृपा से हर असंभव कार्य पूर्ण हो जाते हैं. ज्यादातर घरों में इस दिन कन्या पूजन किया जाता है और कुछ लोग नवमी के दिन पूजा-अर्चना करने के बाद कन्या पूजन करते हैं.

तपस्या से मां ने किया था गौर वर्ण प्राप्त

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां महागौरी ने अपनी तपस्या से गौर वर्ण प्राप्त किया था. उत्पत्ति के समय यह आठ वर्ष की थी. इसलिए इन्हें नवरात्रि के आठवें दिन पूजा जाता है. अपने भक्तों के लिए यह अन्नपूर्णा स्वरूप हैं. यह धन- वैभव और सुख-शांति की अधिष्ठात्री देवी भी मानी जाती हैं. इस दिन दुर्गा सप्तशती के मध्यम चरित्र का पाठ करना विशेष फलदायी माना जाता है. जो लोग नवरात्रि के नौ दिन व्रत नहीं रख पाते हैं, वह पड़वा और अष्टमी के दिन व्रत रखते है और नवमी के आठवें दिन का व्रत करने से भी पूरे नौ दिन का फल की प्राप्ति होती है.

Also Read: Papankusha Ekadashi 2023: कब है पापांकुशा एकादशी, जानें सही तिथि, शुभ महूर्त-पूजा विधि और महत्व
पूजा का महत्व

मान्यता के अनुसार, नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा करने से सभी पाप धुल जाते है. जिससे मन और शरीर हर तरह से शुद्ध हो जाता है. देवी महागौरी भक्तों को सदमार्ग की ओर ले जाती है. इनकी पूजा से अपवित्र व अनैतिक विचार भी नष्ट हो जाते हैं. देवी दुर्गा के इस सौम्य रूप की पूजा करने से मन की पवित्रता बढ़ती है. जिससे सकारात्मक ऊर्जा भी बढ़ने लगती है. देवी महागौरी की पूजा करने से मन को एकाग्र करने में मदद मिलती है. इनकी उपासना से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. घर में चल रहे सभी प्रकार की समस्या समाप्त हो जाती है. कहा जाता है कि नवरात्रि में मां महागौरी की पूजन करने से पूर्व में किये गए सभी प्रकार के पाप कर्मों से मनुष्य को मुक्ति मिलती है. संतान प्राप्ति की मनोकामना पूर्ण होती है.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें