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Success Story: नौकरी छोड़ तीन दोस्तों ने शुरू की मछली पालन, सालाना हो रही 30 लाख रुपये की आमदनी

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Success Story बिहटा में 12 एकड़ और आरा के 16 एकड़ तालाब में में इंडियन मेजर कार्प और जसर मछली का पालन शुरु किया. इससे साल के 30 लाख रुपये से ज्यादा की आमदनी कमा रहे हैं.

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जूही स्मिता, पटना

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गाजीपुर गहमर की रहने वाली आशुतोष सिंह, बिहटा के रहने वाले आशीष और मधुबनी के रहने वाले अविनाश कुमार ने लाखों के पैकेज की नौकरी छोड़ अपने खुद का स्टार्टअप शुरु करने का मन बनाया.तीनों ग्रामीण पृष्ठभूमि से तालुक रखते थे. ऐसे में जब वे वापस आये तो कैसे और कहां से शुरुआत करें इसके लिए फिल्ड सर्वे किया. किसानों से बातचीत के दौरान उन्हें पॉन्ड कल्चर यानी की मछली पालन के बारे में पता चला जिसके बाद उन्होंने मछली पालन के क्षेत्र में अपने कदम रखें. बिहटा में 12 एकड़ और आरा के 16 एकड़ तालाब में में इंडियन मेजर कार्प और जसर मछली का पालन शुरु किया. इससे साल के 30 लाख रुपये से ज्यादा की आमदनी कमा रहे हैं. हाल ही में उन्होंने एक और जगह 30 बीघा जमीन ली जिसे मछली पालने के लिए अगले साल जनवरी तक तैयार कर लेंगे. वहीं इनका टारगेट साल 2023-24 का 50 लाख रुपये की आमदनी के साथ कुछ लोगों को रोजगार से जोड़ना है.

अपने परिवार के साथ रहने और लोगों को रोजगार देने के लिए वापस लौंटे

आशुतोष सिंह बताते हैं हम तीनों दोस्त अलग-अलग जगहों पर काम करते थे. मैंने जेएनटी हैदराबाद से इलेक्ट्रानिक एंड कम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है जबकि आशीष ने जीआइसी बेलगांव से सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग और अविनाश ने एनाआइटी त्रिची से एमटेक किया है. सभी अपने गांव और घर को मिस करते थे. जिसके बाद उन्होंने नौकरी छोड़ कर कुछ ऐसा करने का सोचा जिसमें आमदनी भी हो और घर से दूर भी ना रहना पड़े.साल 2020 में तीनों ने नौकरी छोड़ी और इस क्षेत्र से जुड़ गये.

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कोरोना काल से उपलब्ध हुआ बाजार

वे आगे बताते हैं कि मछली पालन आसान नहीं था. तालाब के लिए कोई जमीन देना नहीं चाहते थे. अधिकतर किसानों का कहना था कि जमीन खराब हो जायेगी. काफी मशक्कत से लीज पर जमीन मिली. काम शुरू किया तो मछलियां मरने लगीं. इस वक्त एक्सपर्ट्स की सलाह से मछली पालन को सफलता मिली. हम सब जब तालाब बना रहे थे उस समय कोरोना की शुरुआत हुई थी. लगा सारी मेहनत बेकार हो जायेंगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ. जहां कोरोना काल में दूसरे प्रदेशों से मछलियां की आवक कम होने लगी. उस वक्त हमारे तालाब में मछलियों का उत्पादन शुरू हो चुका था. हमारी सारी मछलियां अब लोकल बाजार में बिक जाती हैं. बाजार में अभी डिमांड ज्यादा और सप्लाई कम है. ऐसे में हमारी तालाबों से निकलने वाली मछलियां बाजार में जल्दी बिक जाती है. रात ढाई से तीन बजे के बीच मछलियों को मछुआरे निकालते हैं और सुबह 4 बजे यह बाजार में होती है. इससे अभी बिहटा और आरा में कुल 20 लोगों को रोजगार मिल रहा है.

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