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‘कनाडा के 41 राजनयिकों को छूट हटाने की धमकी के बाद भारत से वापस बुलाया’, कनाडाई विदेश मंत्री का बड़ा बयान

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भारत ने पिछले महीने कनाडा से देश में अपने राजनयिक कर्मियों की संख्या कम करने को कहा था और तर्क दिया था कि राजनयिकों की संख्या और रैंक में आपस में समानता होनी चाहिए. कनाडा में सेवारत भारतीय राजनयिकों की संख्या की तुलना में भारत में कनाडाई राजनयिकों की संख्या अधिक है.

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India Canada Row: एक सिख अलगाववादी नेता की हत्या को लेकर भारत और कनाडा के बीच पैदा हुए विवाद के बीच कनाडाई विदेश मंत्री मेलानी जोली ने कहा है कि उनके देश के 41 राजनयिकों को मिली छूट वापस लेने की भारत की धमकी के बाद उन राजनयिकों एवं उनके परिवारों को वापस बुला लिया गया है. कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने पिछले महीने आरोप लगाया था कि 45 वर्षीय खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की ब्रिटिश कोलंबिया में 18 जून को हुई हत्या में भारतीय एजेंट की संलिप्तता की ‘‘संभावना’’ है. भारत ने निज्जर को 2020 में आतंकवादियों की सूची में शामिल किया था. भारत ने इन आरोपों को लेकर नाराजगी जताई थी और इन्हें बेतुका और निहित स्वार्थ से प्रेरित बताकर खारिज कर दिया था.

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जोली ने बृहस्पस्तिवार को कहा कि मैं इस बात की पुष्टि कर सकती हूं कि भारत ने 20 अक्टूबर यानी कल तक दिल्ली में सेवारत 21 कनाडाई राजनयिकों को छोड़कर सभी अन्य राजनयिकों एवं उनके परिवारों की राजनयिक छूट एकतरफा तरीके से हटाने की अपनी योजना की औपचारिक रूप से जानकारी दी है. कनाडा चंडीगढ़, मुंबई और बेंगलुरु में वाणिज्य दूतावासों में सभी व्यक्तिगत सेवाओं को रोक देगा और अब भारत में सभी कनाडाई लोगों को नयी दिल्ली स्थित उच्चायोग में आने को कहेगा.

नयी दिल्ली स्थित कनाडाई दूतावास ने जोली के बयान के कुछ घंटों बाद अपने यात्रा परामर्श को अद्यतन किया और अपने नागरिकों से बेंगलुरु, चंडीगढ़ और मुंबई के आसपास उच्च स्तर की सावधानी बरतने का आग्रह किया. जोली ने कहा कि राजनयिक समानता के उनके अनुचित अनुरोध के तहत भारत केवल 21 राजनयिकों और उनके परिवारों को अपनी राजनयिक स्थिति बनाए रखने की अनुमति देगा, जिससे अन्य लोगों की सुरक्षा मनमाने ढंग से छीन लिए जाने का खतरा होगा और उनके प्रतिशोध का शिकार होने या उन्हें गिरफ्तार किए जाने का खतरा होगा.

उन्होंने ओटावा में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा इसका अर्थ है कि 41 कनाडाई राजनयिकों और उनके 42 आश्रितों को मिली छूट किसी मनमानी तारीख को हटा लिए जाने का खतरा था और इससे उनकी व्यक्तिगत सुरक्षा खतरे में पड़ जाती. जोली ने कहा कि कनाडाई लोगों और हमारे राजनयिकों की सुरक्षा हमेशा मेरी सबसे पहली चिंता है. भारतीय कदमों के कारण हमारे राजनयिकों पर पड़ने वाले प्रभाव के मद्देनजर हमने भारत से उनकी सुरक्षित वापसी का प्रबंध किया है. इसका अर्थ है कि हमारे राजनयिक और उनके परिवार अब (भारत से) रवाना हो गए हैं.

भारत ने पिछले महीने कनाडा से देश में अपने राजनयिक कर्मियों की संख्या कम करने को कहा था और तर्क दिया था कि राजनयिकों की संख्या और रैंक में आपस में समानता होनी चाहिए. कनाडा में सेवारत भारतीय राजनयिकों की संख्या की तुलना में भारत में कनाडाई राजनयिकों की संख्या अधिक है. उन्होंने कहा, ‘‘कूटनीति का एक बुनियादी सिद्धांत है और यह दोतरफा रास्ता है. यह तभी काम करता है जब हर देश नियमों का पालन करे. जोली ने कहा कि राजनयिक विशेषाधिकारों और छूट को एकतरफा तरीके से हटाया जाना अंतरराष्ट्रीय कानून के विपरीत है और राजनयिक संबंधों पर जिनेवा संधि का स्पष्ट उल्लंघन है. ऐसा करने की धमकी देना अनुचित और तनाव बढ़ाने वाला है. यदि हम राजनयिक छूट के नियम तोड़ने की अनुमति देते हैं, तो कहीं भी, कोई भी राजनयिक सुरक्षित नहीं रहेगा. उन्होंने कहा कि इसलिए हम जवाबी कार्रवाई नहीं करेंगे.

जोली ने कहा, ‘‘मैं स्पष्ट कहना चाहती हूं कि कनाडा सभी देशों पर लागू होने वाले अंतरराष्ट्रीय कानून की रक्षा करता रहेगा और भारत के साथ संपर्क जारी रखेगा. हमें जमीनी स्तर पर राजनयिकों की अब पहले से भी अधिक आवश्यकता है और हमें एक दूसरे से बात करने की जरूरत है. जोली ने कनाडा के आव्रजन, शरणार्थी और नागरिकता मंत्री मार्क मिलर के साथ ‘‘भारत के साथ स्थिति’’ संबंधी घटनाक्रम की घोषणा की. मार्क ने कहा कि कनाडा के राजनयिकों की संख्या को एक तिहाई तक कम करने की घोषणा से भारत में कनाडाई दूतावास की सेवाएं प्रभावित होंगी.

अधिकारियों ने बृहस्पतिवार शाम को संवाददाताओं से कहा कि भारत में जो राजनयिक बचे हैं उन्हें मुख्य कर्मचारी माना जाता है और वे वर्तमान चुनौतीपूर्ण राजनयिक स्थिति के साथ-साथ व्यापार और व्यावसायिक फाइलों पर ध्यान केंद्रित करेंगे.

नयी दिल्ली स्थित कनाडाई दूतावास ने अपने यात्रा परामर्श में कहा कि बेंगलुरु चंडीगढ़ एवं मुंबई और उसके आसपास उच्च स्तर की सावधानी बरतें. इन शहरों या आसपास के क्षेत्रों में दूतावास संबंधी व्यक्तिगत सेवाएं अस्थायी रूप से अनुपलब्ध हैं. परामर्श में कहा गया है कि यदि किसी को दूतावास संबंधी सेवाओं की आवश्यकता है, तो उसे नयी दिल्ली स्थित कनाडा के उच्चायोग से संपर्क करना होगा. मिलर ने कहा कि 2022 में कनाडा में स्थायी निवासियों, अस्थायी विदेशी कर्मचारियों और अंतरराष्ट्रीय छात्रों की संख्या के मामले में भारत शीर्ष देश था और इसलिए संघीय सरकार मौजूदा कदम से पड़ने वाले प्रभावों को समझती है.

इससे पहले, भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कनाडा से उसके राजनयिकों की संख्या कम करने को कहा था. उन्होंने कहा था कि उनकी संख्या कनाडा में सेवारत भारतीय राजनयिकों की संख्या से अधिक है. इससे पहले कनाडा ने अपने देश में सेवारत एक भारतीय राजनयिक को निष्कासित कर दिया था, जिसके बाद भारत ने भी एक वरिष्ठ कनाडाई राजनयिक को निष्कासित करने का कदम उठाया था.

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