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मां दुर्गा के छठे स्वरूप का नाम कैसे पड़ा ‘कात्यायनी’, जानिए इसके पीछे की कहानी

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नवरात्रि के दौरान, मां कात्यायनी की पूजा की जाती है और उसे भक्तिपूर्ण भावना के साथ किया जाता है. मां कात्यायनी की कृपा और आशीर्वाद से भक्त अपने जीवन में सुख और समृद्धि प्राप्त करते हैं.

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मां कात्यायनी को मां दुर्गा के छठे स्वरूप के रूप में पूजा जाता है. इस स्वरूप का वर्णन पुराणों में मिलता है, और इसे नवरात्रि के दौरान पूजा जाता है. मां कात्यायनी का वाहन सिंह होता है और उनके हाथों में तलवार और कमल फूल होते हैं. मां कात्यायनी की पूजा का मुख्य उद्देश्य भगवान शिव के पति बनने की इच्छा रखने वाले महर्षि कात्यायन के साथ होता है. मां कात्यायनी का ध्यान करने से भक्त को साक्षात् मां पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है और उनकी कृपा से वे अपने जीवन संगातक को पा सकते हैं. नवरात्रि के दौरान, मां कात्यायनी की पूजा की जाती है और उसे भक्तिपूर्ण भावना के साथ किया जाता है. मां कात्यायनी की कृपा और आशीर्वाद से भक्त अपने जीवन में सुख, समृद्धि, और समृद्धि प्राप्त करते हैं.

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कैसे पड़ा मां कात्यायनी का नाम

कहा जाता है कि प्राचीन काल में एक प्रसिद्ध महर्षि थे, जिनका नाम कात्यायन था. उन्होंने भगवती जगदम्बा को पुत्री के रूप में पाने के लिए उनकी कठिन तपस्या की थी. कई हजार वर्ष कठिन तपस्या के बाद महर्षि कात्यायन के यहां देवी जगदम्बा ने पुत्री रूप में जन्म लिया और कात्यायनी कहलायीं. ये बहुत ही गुणवंती थीं.

कात्यायनी को बेहद प्रिय है शहद

मां कात्यायनी को शहद बहुत ही ​प्रिय है, इसलिए आज पूजा के समय मां कात्यायनी को शहद का भोग अवश्य लगाना चाहिए. कहा जाता है कि मां कात्यायनी ने देवताओं के कष्ट हरने के लिए महिषासुर से युद्ध की थी. युद्ध के दौरान जब मां कात्यायनी थक गईं थीं तो उन्होंने शहद के साथ पान खाया था, इसे खाने के बाद उनकी थकान दूर हो गई थी. इसलिए शहद काफी प्रिय है. पूजन में शहदयुक्त पान अर्पित किया जाता है. इसके साथ ही शहद से बनी चीजों का भी भोग लगाया जाता है.

शहद के अलावा ये चीजें भी है प्रिय

मां कात्यायनी को लाल रंग अतिप्रिय है. इस वजह से पूजा में आप मां कात्यायनी को लाल रंग के गुलाब का फूल अर्पित करें. इससे मां कात्यायनी आप पर प्रसन्न होंगी. उनकी कृपा आप पर रहेगी.

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