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जिस बीमारी के कारण का पता वेल्लोर के डॉक्टर भी नहीं लगा पाए, उसकी खोज में जुटा रांची का रिम्स अस्पताल

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जेनेटिक एंड जीनोमिक्स विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ अनूपा प्रसाद ने बताया कि बुधवार को होल एग्जोम की जांच रिपोर्ट आ जायेगी. इसके बाद एनालिसिस किया जायेगा. इसमें यह पता चलेगा कि बच्ची सहित मरीजों को कौन सी बीमारी है.

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रांची : राज्य के वैसे 20 मरीजों की जांच रिम्स का जेनेटिक एंड जीनोमिक्स विभाग (Department Of Genetics And Genomic Sciences) कर रहा है, जिसकी बीमारी के कारणों को पता डॉक्टर नहीं लगा पा रहे हैं. इसमें सीएमसी वेल्लोर गयी चार साल की बच्ची भी शामिल है. बच्ची के सैंपल की भी होल एग्जोम सीक्वेंसिंग की जांच की जा रही है. सीएमसी वेल्लोर में शिशु विभाग के डॉक्टर ने बच्ची को यह कहते हुए रिम्स रेफर किया है कि वहां होल एग्जोम सीक्वेंसिंग जांच की सुविधा है. इसके बाद बच्ची की जांच हो रही है. उम्मीद है कि बच्ची समेत सभी 20 मरीजों की बीमारी का पता बुधवार तक चल जायेगा.

जेनेटिक एंड जीनोमिक्स विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ अनूपा प्रसाद ने बताया कि बुधवार को होल एग्जोम की जांच रिपोर्ट आ जायेगी. इसके बाद एनालिसिस किया जायेगा. इसमें यह पता चलेगा कि बच्ची सहित मरीजों को कौन सी बीमारी है. बीमारी का पता चलने के बाद डॉक्टर उनका इलाज शुरू करेंगे. फिलहाल राज्य के इन सभी मरीजों का सही से इलाज नहीं हो पा रहा है. चार साल की बच्ची लगातार इंफेक्शन से पीड़ित रहती है, लेकिन उसे कौन सी बीमारी है और क्या दवा दी जाये, यह डॉक्टर तय नहीं कर पा रहे हैं. गौरतलब है कि राज्य में होल एग्जाेम सीक्वेंसिंग की जांच को शुरु करने में स्वास्थ्य सचिव अरुण कुमार सिंह ने रिम्स को टारगेट दिया था. इसके बाद यह जांच शुरू हो पायी है.

Also Read: रिम्स में मरीजों के बेड पर अब तक नहीं बिछ पायी है अलग-अलग रंग की चादर, 24 घंटे ब्लड जांच की भी सुविधा भी नहीं

रिम्स के लिए यह गौरव की बात होगी कि जेनेटिक एंड जीनोमिक्स विभाग होल जीनोम सीक्वेंसिंग कर बीमारी का पता लगायेगा. 20 मरीजों की जांच की जा रही है, जिसका रिजल्ट बुधवार तक आयेगा. इससे दुर्लभ रोगियों का इलाज समय पर शुरू हो सकेगा.

डाॅ राजीव कुमार गुप्ता, निदेशक, रिम्स

रिम्स में डायलिसिस यूनिट व 24 घंटे ब्लड की जांच आज से

रिम्स में 25 बेड की डायलिसिस यूनिट और 24 घंटे ब्लड जांच की सुविधा मंगलवार से शुरू हो रही है. डायलिसिस यूनिट पेइंग वार्ड के पहले तल्ले पर स्थापित किया गया है, जिसे नेफ्रो प्लस के सहयोग से शुरू किया जायेगा. डायलिसिस यूनिट को रिम्स का नेफ्राेलॉजी विभाग संचालित करेगा. इसकी देखरेख की जिम्मेदारी किडनी रोग विशेषज्ञ डॉ प्रज्ञा पंत को दी गयी है. यह जानकारी रिम्स निदेशक डॉ राजीव कुमार गुप्ता ने सोमवार को पत्रकार वार्ता में दी. उन्होंने बताया कि ट्रॉमा सेंटर में 24 घंटे ब्लड जांच की सुविधा शुरू की जा रही है. मरीजों की जांच रात में भी डॉक्टर कराने चाहेंगे, तो वह संभव होगा. रिपोर्ट भी समय पर मिले, इसका भी निर्देश दिया गया है. फिलहाल रात में ब्लड जांच के लिए मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ता था. सबसे ज्यादा गंभीर मरीज को इससे सहूलियत होगी.

गॉज-कॉटन की नहीं है कमी, पर्याप्त स्टाॅक

रिम्स निदेशक डॉ राजीव कुमार गुप्ता ने बताया कि अस्पताल में गॉज कॉटन का पर्याप्त स्टॉक है. यूनिट की सिस्टर इंचार्ज आवश्यकता के अनुसार स्टोर से इसको मंगाये. अगर सिस्टर द्वारा गॉज-कॉटन और बैंडेज के लिए परिजनों को पर्ची थमाया गया तो कार्रवाई की जायेगी. परिजनों से भी आग्रह है कि अगर बाहर से उपलब्ध सामान मंगाया जाता है तो इसकी सूचना प्रबंधन को दें.

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