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2023 की भारतीय टीम और 1992 की विश्व विजेता इमरान खान की टीम, जानें कमजोर और मजबूत पक्ष

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इमरान खान की पाकिस्तानी टीम ने 1992 में एक खराब शुरुआत के बावजूद पहली बार यह टॉप खिताब जीता था. उस समय टीम की सबसे कमजोर कड़ी उसकी बल्लेबाजी थी. लेकिन पाकिस्तानी गेंदबाजों ने फाइनल में इंग्लैंड को हराकर वर्ल्ड की की ट्रॉफी पर कब्जा किया.

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आईसीसी वर्ल्ड कप 2023 में भारतीय टीम खिताब की प्रबल दावेदार है. भारत का सबसे मजबूत पक्ष यह है कि यह टूर्नामेंट भारत की सरजमीं पर हो रहा है. भारत अपने घर में सबसे मजबूत टीम है. अब हम बात करते हैं भारत और पाकिस्तान की टीम की. पाकिस्तान और भारत का वर्ल्ड कप में पहला मुकाबला 1992 में हुआ था. यह वही साल था जब पाकिस्तान की टीम ने इमरान खान की अगुवाई में पहली बार वर्ल्ड कप की ट्रॉफी जीती थी. ऐसा नहीं था कि पाकिस्तान पहली बार 1992 में वर्ल्ड में खेल रहा था, लेकिन भारत और पाकिस्तान की वर्ल्ड कप में पहली जंग 1992 में ही हुई थी. इससे पहले वर्ल्ड कप में कभी भी भारत और पाकिस्तान की टीम नहीं भिड़ी थी. 1992 में पाकिस्तान की शुरुआत बेहद खराब रही थी लेकिन बाद में तीन मुकाबले जीतने के कारण पाक टीम ने सेमीफाइनल में पहुंचकर सबको चौंका दिया. आज हम इमरान खान की उस टीम की तुलना रोहित शर्मा के 2023 भारतीय टीम से कर रहे हैं…

2023 की भारतीय टीम का मजबूत और कमजोर पक्ष

मजबूत पक्ष : टीम के बल्लेबाजी क्रम को लेकर किसी के मन में कोई संदेह नहीं होना चाहिए. यह बल्लेबाजी क्रम 2011 की ऐतिहासिक टीम के बाद से भारत का सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजी क्रम है. रोहित शर्मा, शुभमन गिल, विराट कोहली, केएल राहुल, श्रेयस अय्यर, हार्दिक पंड्या और रवींद्र जडेजा की मौजूदगी इस टीम की बल्लेबाजी को बेहद मजबूत बनाती है. टीम के पास ईशान किशन और सूर्यकुमार यादव जैसे विकल्प भी है जो अपने दम पर मैच का पासा पलटने की क्षमता रखते हैं. इस बल्लेबाजी क्रम की अच्छी बात यह है कि ज्यादातर खिलाड़ियों ने सही समय पर लय हासिल की है और इन सबके पास परिस्थितियों के मुताबिक आक्रामक या रक्षात्मक बल्लेबाजी करने की क्षमता है. गिल ने पिछले एक साल में 1200 से ज्यादा रन बनाए हैं जबकि राहुल ने फिटनेस हासिल करने के बाद वापसी के बाद पाकिस्तान के खिलाफ शतकीय पारी खेली है.

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टीम इंडिया की कमजोरी

भारतीय टीम की स्पिन गेंदबाजी कागजों पर मजबूत दिख रही है लेकिन सपाट पिचों पर रविचंद्रन अश्विन और जडेजा की गेंदबाजी बल्लेबाजों को रोकने में कितनी सफल होगी यह देखना होगा. अक्षर पटेल के चोटिल होने के कारण भारतीय टीम को दाएं हाथ के स्पिनर का विकल्प मिला. लेकिन युजवेंद्र चहल को इस प्रारूप में लगभग एक साल तक लगातार टीम में रखने के बाद बाहर का रास्ता दिखाना यह दर्शाता है कि चयनकर्ताओं के पास विकल्प की कमी है. विकेट से अगर मदद मिली तो जडेजा कारगर गेंदबाजी करते हैं लेकिन सपाट पिचों पर उनके खिलाफ आसानी से रन बनते हैं. जडेजा टेस्ट में शानदार बल्लेबाज हैं लेकिन पिछले कुछ समय में सीमित ओवरों में तेजी से रन बनाने के मामले में जूझते दिखे हैं. यही हाल अश्विन का भी है.

1992 की पाकिस्तानी टीम का कमजोर और मजबूत पक्ष

इमरान खान की अगुवाई वाली पाकिस्तानी टीम की वर्ल्ड कप में शुरुआत बेहद खराब रही थी. पहली बार वर्ल्ड कप में पाकिस्तान को इसी साल भारत से भी हार का सामना करना पड़ा था. 1992 का वर्ल्ड कप ऑस्ट्रेलिया में खेला गया था. पाक टीम ग्रुप स्टेट में कुल 8 मुकाबले खेली. रोमांच यहां शुरू होता है. पहले मैच में पाकिस्तान को वेस्टइंडीज से 10 विकेट से करारी हार का सामना करना पड़ा. दूसरा मैच यह टीम जिम्बाब्वे से जीत गयी. तीसरे मैच में इंग्लैंड के खिलाफ पाकिस्तान की पूरी टीम 74 के स्कोर पर आउट हो गयी. लेकिन किस्मत ने साथ दिया और बारिश की वजह से यह मैच रद्द हो गया. टीम को मुफ्त में एक अंक मिल गया. पांच मैच के बाद पाकिस्तान के पास केवल एक जीत और तीन अंक थे. लेकिन इसके बाद पाकिस्तान की टीम ने कमाल का प्रदर्शन किया और अपने तीन मुकाबले लगातार जीत लिए. टीम सेमीफाइनल में पहुंच गयी. सेमीफाइनल में इमरान की टीम ने खिताब की प्रबल दावेदार न्यूजीलैंड को हराया और फाइनल में इंग्लैंड को हराकर खिताब पर कब्जा किया.

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पाकिस्तान का मजबूत पक्ष

पाकिस्तान के स्टार बैटर जावेद मियांदाद ने पूरे टूर्नामेंट में 437 रन बनाए और और सबसे ज्यादा रन बनाने वालों की सूची में दूसरे नंबर पर रहे. वहीं गेंदबाजी में देखें तो वसीम अकरम ने पूरे टूर्नामेंट में 18 विकेट चटकाए. वह टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले खिलाड़ी बने. तीसरे नंबर पर भी पाकिस्तानी गेंदबाज मुश्ताक अहमद का नाम था. उन्होंने 16 विकेट चटकाए थे और दूसरे नंबर पर काबिज इयान बोथम के बराबर विकेट हासिल की.

पाकिस्तान की कमजोर कड़ी

देखा जाए तो 1992 में पाकिस्तान की कमजोर पक्ष उसकी बल्लेबाजी थी. खराब बल्लेबाजी के कारण पाकिस्तान को अपने शुरुआती मुकाबले गंवाने पड़े थे. लेकिन गेंदबाजों ने कमाल का प्रदर्शन किया और छोटे से छोटे स्कोर का भी बचाव किया. बल्लेबाजों के खराब प्रदर्शन के कारण ही पाकिस्तान को लीग के अपने मुकाबले में इंग्लैंड के खिलाफ 74 रनों पर ऑलआउट होना पड़ा था.

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