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बिहार के सभी कर्मियों को अब बढ़े वेतन के साथ मिलेगा प्रमोशन, मुख्य सचिव ने विभागों को दिया निर्देश

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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में राज्य सरकार ने बिहार के राज्यकर्मियों को प्रमोशन, नियमित वेतनमान व अन्य सुविधा देने की पॉलिसी पर फैसला लिया. इस फैसले के बाद राज्य के मुख्य सचिव आमिर सुबहानी नेसभी विभागों को प्रमोशन देने का निर्देश दिया.

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बिहार सरकार की नौकरियों में प्रमोशन को लेकर कैबिनेट के निर्णय के बाद मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने शुक्रवार को उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की. बैठक में इस बिंदु पर विस्तार से चर्चा की गयी. उन्होंने बताया कि सभी विभागों को प्रोन्नति देने का निर्देश दे दिया गया है. विभाग इस दिशा में अब पहल करेंगे. राज्य में सरकारी कर्मचारियों व अधिकारियों का प्रमोशन वर्ष 2016 से नहीं हो रहा था. मुख्य सचिव के आदेश के बाद अब सभी विभागों में प्रोन्नति की प्रक्रिया आरंभ हो जायेगी. जहां पर प्रोन्नति के पद रिक्त हैं उनपर नियमित अधिकारियों की तैनाती की जायेगी.

प्रमोशन देने में रोस्टर के बिंदु का पालन नहीं

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में शुक्रवार को आयोजित कैबिनेट की बैठक में राज्य सरकार की सेवाओं में प्रोन्नति के पदों पर योग्य कर्मियों को नियमित वेतनमान व सुविधा देने की सहमति दी गयी. प्रोन्नति में आरक्षण को लेकर तैयार रोस्टर के बिंदु को भी सरकार ने शिथिल कर दिया है. अब प्रमोशन देने में रोस्टर के बिंदु का पालन नहीं किया जायेगा. वरीयता के आधार पर प्रोन्नति दी जायेगी. राज्य सरकार के तहत काम करने वाले करीब चार लाख से अधिक कर्मचारी हैं जिनमें प्रोन्नति के योग्य पदाधिकारियों को इसका लाभ मिलेगा.

2016 से लंबित है प्रमोशन का मामला

कैबिनेट विभाग के अपर मुख्य सचिव डा एस सिद्धार्थ ने बताया कि प्रोन्नति में आरक्षण का मामला वर्ष 2016 से लंबित है. प्रोन्नति देने को लेकर इसके कारण राज्य सरकार की सेवाओं में उच्चतर पदों पर नियमित प्रोन्नति नहीं दी जा रही है. अब किसी भी पदाधिकारी को कार्यकारी व्यवस्था के तहत प्रभार नहीं दिया जायेगा. जिस स्तर पर पदाधिकारी की नियुक्ति की जायेगी, उसे उस स्तर का नियमित वेतनमान और सभी सुविधाएं दी जायेंगी.

एससी व एसटी वर्ग के 17 प्रतिशत पदों पर नहीं होगी प्रोन्नति

अपर मुख्य सचिव ने बताया कि प्रोन्नति का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. ऐसी स्थिति में राज्य सरकार ने यह फैसला लिया है कि प्रोन्नति देते समय सबसे पहले 16 प्रतिशत अनुसूचित जाति के पदों और एक प्रतिशत अनुसूचित जनजाति के पदों को कुल पदों में से हटाकर फ्रीज कर दिया जायेगा. इन पदों 17 प्रतिशत पदों पर राज्य सरकार कोई प्रोन्नति नहीं देगी.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर एससी व एसटी कोटे की 17 प्रतिशत पदों को भरा जायेगा

डा सिद्धार्थ ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद अनुसूचित जाति की 16 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति की एक प्रतिशत सीटों को प्रोन्नति से भरा जायेगा. फैसला आने के बाद प्रोन्नति को लेकर फिर से पूरी एक्सरसाइज (प्रकिया) की जायेगी. साथ ही उस समय प्रोन्नति में रोस्टर के बिंदुओं का भी पालन किया जायेगा.

83 प्रतिशत पदों पर वरीयता के आधार पर दी जायेगी प्रोन्नति

प्रोन्नति के समय एससी व एसटी कोटे की आरक्षित 17 प्रतिशत सीटों को हटाने के बाद शेष 83 प्रतिशत पदों पर वरीयता के आधार पर प्रोन्नति दी जायेगी. वरीयता के आधार पर हर स्तर चाहे जिला स्तर हो, प्रमंडल स्तर हो या राज्य स्तर के पदों पर प्रोन्नति दी जायेगी. इसमें हर संवर्ग के कर्मचारियों को हर स्तर पर वरीयता के आधार पर प्रोन्नति दी जायेगी. इसमें इंजीनियर, बासा संवर्ग के उप सचिव, संयुक्त सचिव, चिकित्सक, प्रोफेसर, प्रशाखा पदाधिकारी, सिपाही, दारोगा, इंस्पेक्टर, क्षेत्रीय निदेशक, उप निदेशक, संयुक्त निदेशक, निदेशक प्रमुख, अभियंता प्रमुख के पद पर काम करने पर उनको उस स्तर का नियमित वेतन मिलेगा.

83 प्रतिशत पदों में भी हर स्तर पर एससी व एसटी का प्रतिनिधित्व भी होगा निर्धारित

उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने वरीयता के आधार पर 83 प्रतिशत प्रोन्नति वाले पदों को भरेगी. पर इसमें हर लेबल पर अनुसूचित जाति के 16 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति के एक प्रतिशत पदों पर उनके प्रतिनिधित्व का निर्धारण किया जायेगा. प्रोन्नति के समय यह देखा जायेगा कि वरीयता के आधार पर एससी वर्ग का 16 प्रतिशत और एसटी वर्ग को एक प्रतिशत का प्रतिनिधित्व मिला है अथवा नहीं. यह संभावना है कि वरीयता में अनुसूचित जाति को 16 प्रतिशत और अनुसचित जनजाति को एक प्रतिशत प्रतिनिधित्व नहीं मिला हो. ऐसी स्थिति में एससी व एसटी कोटि के उस लेबल के पदों को खाली रखा जायेगा. इस पर बाद में सरकार निर्णय लेगी.

सुप्रीम कोर्ट का अन्यथा फैसला आने पर नहीं वसूली जायेगी राशि

अपर मुख्य सचिव ने बताया कि प्रोन्नति के बाद सरकार हर स्तर पर उच्च स्तर का नियमित वेतनमान और सुविधाएं सरकारी कर्मचारियों को देगी. उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामले में अगर कोई विपरीत फैसला आता है तो ऐसी स्थिति में वरीय स्तर पर नियमित रूप से काम करनेवाले अधिकारी अपने पहले वाले पद पर चले जायेंगे. इस बीच राज्य सरकार द्वारा उनको दिया गया उच्च स्तर के वेतनमान की राशि की वसूली नहीं करेगी. उच्चतर स्तर पर काम करनेवाले पदाधिकारियों से किसी प्रकार से राशि की का जुर्माना नहीं लिया जायेगा.

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यह होगा लाभ

सरकार के इस फैसले से राज्यकर्मियों को जहां उपरी पदों पर प्रोमोशन मिल सकेगा. वहीं प्रमोशन मिलने से निचले पदों पर रिक्तियां भी हो सकेगी. करीब सात साल से अधिक समय से राज्यकर्मियों के प्रोन्नति पर ब्रेक लगी थी. इसके चलते उपरी पदों पर अतिरिक्त प्रभार में कार्य हो रहा था. इससे उपरी पदों पर पूर्व में नियुक्त अधिकारी व कर्मियों के रिटायर हो जाने पर पद खाली रह जा रहा था. इन पदों पर अपने ही वेतनमान में अतिरिक्त प्रभार से काम चलाया जा रहा था. अब सरकार के फैसले के बाद सभी कर्मियों एवं अधिकारियों को प्रोन्नति मिल पायेगी. उनके उपरी पदों पर जाने के बाद निचली पदों की रिक्तियां जारी हो सकेगी और नयी भर्ती प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा सकेगा.

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