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बिहार: ‘कुर्सी पर बैठे लोग नक्सली, अफसरों के मुंह पर थूकें..’ पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह का विवादित बयान

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बिहार के पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने विवादित बयान दिया है. कैमूर में किसान महापंचायत में संबोधित करते हुए प्रदेश के अफसरों के ऊपर कई हमले किए. इस दौरान उन्होंने कई विवादित बातें भी बोलीं. पूर्व कृषि मंत्री ने अफसरों को नक्सली और भ्रष्ट बताया.

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Sudhakar Singh News: बिहार सरकार के पूर्व कृषि मंत्री सह राजद के बिहार प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के पुत्र सुधाकर सिंह एकबार फिर से अपने बयान की वजह से सुर्खियों में हैं. सुधाकर सिंह ने एक विवादित बयान दिया है और इसे लेकर घिर गए हैं. उन्होंने विकास कार्य में अवरोधों पर नाराजगी जताते हुए एक कार्यक्रम में बोलने के दौरान प्रशासनिक पदाधिकारियों को निशाने पर लिया. अधिकारियों के भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबने का आरोप लगाते हुए पूर्व मंत्री ने एक के बाद एक करके कई विवादित टिप्पणी कर दी. उन्होंने कहा कि कुर्सी पर बैठे लोग नक्सली हैं. लाठी और गोली का भय दिखाकर लोगों की आवाज को बंद कर देते हैं.यही नहीं बल्कि भ्रष्ट अधिकारियों को जूते का माला पहनाने की अपील भी लोगों से कर दी. किसानों को एकत्रित होकर दिल्ली के तर्ज पर आंदोलन करने की सलाह उन्होंने दे दी.

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कुर्सी पर बैठे अधिकारी हैं नक्सली..

बिहार सरकार के पूर्व मंत्री सुधाकर सिंह ने कैमूर में एक कार्यक्रम के दौरान कई विवादित बयान दिए. उन्होंने कहा कि बिहार के विकास में विरोधी यहां के अधिकारी हैं यहां के अधिकारी किसानों का हक लूटने का काम कर रहे हैं भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबे ये अधिकारी बिहार का विकास नहीं चाहते हैं. यहां गांव या जंगल में नक्सली नहीं है बल्कि कुर्सी पर बैठे लोग नक्सली हैं. जो जनता की बात नहीं सुनते हैं जनता उनसे बात करना चाहती है तो लाठी और गोली का भय दिखाकर लोगों की आवाज को बंद कर देते हैं. यह हमारे लिए गंभीर चिंता का विषय है. उक्त बातें पूर्व कृषि मंत्री एवं रामगढ़ से राजद के विधायक सुधाकर सिंह ने रविवार को भभुआ के लिच्छवी भवन में कही. इस दौरान उन्होंने एक बार फिर अपनी ही सरकार पर हमला बोला और कहां की किसने की समस्या का समाधान कोई भी राजनीतिक दल करने वाला नहीं है इसके लिए किसानों को एकत्रित होकर दिल्ली के तर्ज पर आंदोलन करना होगा.

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पटना के अधिकारियों तक जाता है घूस का हिस्सा- सुधाकर सिंह का बयान

पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने एक बार फिर अधिकारियों को लेकर विवादित बयान दिये हैं. उन्होंने किसान महापंचायत में संबोधित करते हुए कहा कि किसानों के उपज को लूटा जा रहा है सरकार के तरफ से न्यूनतम समर्थन मूल्य 2000 रूपये निर्धारित किया जाता है लेकिन किसानों के 70 प्रतिशत धान दलाल 1200 रूपये प्रति क्विंटल के दर से खरीद कर पंजाब और हरियाणा में बेचने का काम करते हैं. इससे पंजाब और हरियाणा के किसानों का हक जहां मारा जाता है. वहीं बिहार के किसानों का भी उपज एवं हक़ लूटने का काम किया जाता है और जो 30 प्रतिशत उपज को यहां सरकार द्वारा खरीदा जाता है उसमें भ्रष्टाचार इस कदर है कि सिर्फ कैमूर जिले मैं धान की खरीदारी में भ्रष्टाचार करके 100 करोड़ रूपया घूस यहां के अधिकारी कमाते हैं. उसका कुछ हिस्सा पटना के अधिकारियों को मुंह बंद करने के लिए देते हैं और उस घुस के पैसे से अधिकारी महंगी-महंगी गाड़ियां और जमीन खरीदने का काम करते हैं. ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ हम किसानों को एकत्रित होकर विरोध करना होगा. ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ गांधीवादी तरीके से हम विरोध करने का काम करें.

भ्रष्ट अधिकारियों को जूते का माला पहनाएं- सुधाकर सिंह

सुधाकर सिंह ने किसानों को सलाह दी कि भ्रष्ट अधिकारियों को किस मिलकर जूते का माला पहनाएं और उनके मुंह पर थूकने का काम करें जब वह घर से बाहर बाजार में निकले तो उन्हें ठेंगा दिखाने का काम करें. जब वह गांधीवादी तरीके से इन अधिकारियों का विरोध करेंगे तो वह यहां से ट्रांसफर करा कर जाने को मजबूर हो जाएंगे तब जाकर इस भ्रष्टाचार पर रोक लग सकेगा. क्योंकि इन भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कोई सुनने वाला नहीं है जो कैमूर का प्रशासन कभी राज्य के लिए नजीर हुआ करता था वह आज भ्रष्टाचारियों के लिए एशगाह बन गया है.

कोई राजनीतिक दल किसानों की समस्या का नहीं करेगा समाधान

सुधाकर सिंह ने एक बार फिर अपनी ही सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि कोई भी राजनीतिक दल किसानों की समस्या का समाधान करने वाली नहीं है. मैं जब कृषि मंत्री बना था तो मैं जब किसानों की आवाज सुनने की कोशिश की तो कोई सुनने वाला नहीं था. मुझे किसने की आवाज को सुनने के लिए इस्तीफा देना पड़ा ताकि सरकार में बैठे लोगों को किसने की आवाज सुनाई पड़े. लेकिन इसके बाद भी कोई असर नहीं हुआ. अगर मेरी मांग गलत रहती और सरकार में बैठे लोग ताकतवर एवं मजबूत होते तो मुझे बर्खास्त कर देते. लेकिन उन्हें पता था कि मेरे द्वारा जो मांग किया जा रहा है वह जायज है इसीलिए उन्होंने मुझे बर्खास्त नहीं किया. अगर आज मैं भी सरकार में रहता और मंत्री रहता तो आप लोगों पर लाठी चलवा रहा होता. मेरा भी नाम उन्हीं लोगों में दर्ज होता. लेकिन मैंने घुटना नहीं टेका और किसानों की समस्या को दूर करने के लिए उनके साथ आंदोलन में उतर गया. उन्होंने बगैर नाम रख अपनी पार्टी पर भी हमला बोला उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कोई सुनने वाला नहीं है जिस पर भरोसा करके हमने किसानों की आवाज बुलंद की वही आज हमारी आवाज को सुनने को तैयार नहीं . स्थिति का आलम यह है कि इन भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कोई सुनने वाला नहीं है.

एक साल किसान अपने अनाज की उपज 50 प्रतिशत कर दें कम

सुधाकर सिंह ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि आज किसान अगर एक साल अपने अनाज की उपज 50 प्रतिशत कम कर दें तो दिल्ली मुंबई जैसे महानगरों में बैठे लोगों को अनाज की कीमत पता चल जायेगी. एक बार केवल टमाटर की कीमत बढ़ती है तो सरकार हिलने लगती है अगर किसान अपने अनाज की उपज एक साल 50 प्रतिशत कम कर दे तो मेरा दावा है कि देश की सरकार एक साल में 20 बार गिरेगी और 20 बार बनेगी, लेकिन किसान पूरे देश को पेट भरने का काम कर रहा है लेकिन उनके पेट की बाबत कोई सुनने वाला नहीं है. उन्होंने कहा कि किसानों के अधिग्रहित किए जा रहे जमीन का जब तक उचित मुआवजा नहीं मिलता है तब तक हमारा यहां आंदोलन जारी रहेगा. रविवार को लिच्छवी भवन में किसान महा पंचायत का आयोजन किया गया था जिसमें वाराणसी रांची कोलकाता एक्सप्रेसवे में जिन किसानों की जमीन जा रही है उनके साथ-साथ मंडी कानून के समर्थन में किसान महा पंचायत का आयोजन किया गया था.

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