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दुर्गावती डैम के पारापेट में दरार, नदी ले सकती है रौद्र रूप, अब तक 2500 क्यूसेक पानी किया गया डिस्चार्ज

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डैम के पानी को दुर्गावती नदी में डिस्चार्ज किया जा रहा है. डैम से हुए डिस्चार्ज पानी के कारण दुर्गावती नदी खतरे की निशान से उपर बह रही है. डैम में बढ़े पानी के लेबल के कारण पारापेट में दरारें आ गयी है. यदि इसी तरह बरसात होती रहीं, तो रात दुर्गावती नदी लोगों पर बाढ़ का कहर बरपा सकती है.

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सासाराम. रोहतास जिले में बीते चार दिनों से हो रही मूसलाधार बारिश हो रही है. अब बारिश दुर्गावती डैम के लिए आफत बन गयी है. बारिश के कारण दुर्गावती डैम में पानी का लेबल बढ़ता जा रहा है. जैसे- जैसे डैम में पानी का लेबल बढ़ रहा है, वैसे ही डैम के पानी को दुर्गावती नदी में डिस्चार्ज किया जा रहा है. डैम से हुए डिस्चार्ज पानी के कारण दुर्गावती नदी खतरे की निशान से उपर बह रही है. डैम में बढ़े पानी के लेबल के कारण पारापेट में दरारें आ गयी है. यदि इसी तरह बरसात होती रहीं, तो रात दुर्गावती नदी लोगों पर बाढ़ का कहर बरपा सकती है.

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डैम में बनी कई सिढ़ियां ध्वस्त

जलस्तर बढ़ने से डैम में बनी कई सिढ़ियां ध्वस्त हो गयी है. डैम के चैन संख्या सात और आठ के बीच के परपेट में आयी दरारे की सूचना से सिंचाई विभाग के अधिकारियों में हलचल पैदा हो गया है. नदी के तट पर बसे गांव करणपुरा, मलहर व तेलारी गांव के समीप नदी का पानी पहुंच चुका है. शायद बारिश ऐसी ही होती रही तो गांव में पानी घुसने की संभावना है. इस संबंध विभाग के कार्यपालक अभियंता ने बताया कि फिलहाल करीब तीन हजार क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है. कारण डैम के पीछे से जितना अधिक पानी आयेगा, उसे डैम के मुख्य फाटक से नदी में छोड़ा जायेगा. दुर्गावती जलाशय में लेबल के बराबर पानी है. पीछे से पानी बढ़ रहा है. उस स्थिति में पानी छोड़ा जायेगा. डैम की सुरक्षा के लिए 121 मीटर पानी स्टोर कर रखना है. फिलहाल 122.9 मिटर लेबल डैम में पानी मौजूद है.

विभाग रहता अर्लट, तो नहीं होता रेनकट

लगातर चार दिन की बारिश ने दुर्गावती जलाशय परियोजना के अधिकारियों की पोल खोल दिया है. पानी का लेबल बढ़ा. तो रेनकट होने लगा. जानकारी के मुताबिक बरसात आने से पूर्व करीब डैम के समीप रेनकट से रोकने के लिए बोरी में बालू रखने का प्रावधान है. लेकिन, बरसात गुजर गया. सिंचाई विभाग का बालू व बोरी का टेंडर का प्रक्रिया ही चल रहा है. रेनकट से बचाव के लिए जल संसाधन विभाग के अधिकारियों के द्वारा कोई व्यवस्था नहीं की गयी है. इसके कारण आज बारिश में रेनकट भी एक अलग ही समस्या बन कर आ गयी है.

प्रकृति की गोद में बसा है डैम

दुर्गावती जलाशय परियोजना रोहतास के शेरगढ़ पहाड़ी व कैमूर के राजादेव टोंगर के पास की पहाड़ी के बीच से बहने वाली दुर्गावती नदी पर बनाया गया है. इसके निर्माण का उद्देश्य कैमूर व रोहतास के 33 हजार हेक्टेयर भूमि का सिंचाई करना है. इस योजना का शिलान्याश 1976 में तत्कालीन उप प्रधानमंत्री जगजीवन राम ने किया था. 38 साल बाद पूरा हुआ डैम का निर्माण कार्य पूरा है. इसके बाद इसके निर्माण में कई प्रकार की अड़चने आयी, लेकिन 38 साल बाद वर्ष 2014 में मुख्यपमंत्री जीतन राम मांझी इस परियोजना का उद्घाटन किया गया. सूत्रों के अनुसार दुर्गावती नदी खुखुमा नाम के पहाड़ पर बांस के कुपड़ में से निकली है. इसमें से सदैव पानी बहती रहती है. यही से निकलने के बाद आगे जाकर एक नदी का रूप धारण कर लिया है.

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नदी किनारे घरों में घुसा पानी

कुदरा प्रखंड क्षेत्र में इन दिनों हो रही तेज बारिश से सभी नदियां उफान पर हैं. नदियां खतरे के निशान से पार होकर तबाही मचा रही हैं. बुधवार को दुर्गावती नदी ने कुदरा प्रखंड के आसपास के एरिया में जल तांडव मचा दिया. सड़क से लेकर गलियां तक झील में तब्दील हो गयीं. वहीं नदी के समीप वाले घरों में भी पानी प्रवेश कर गया, जिससे लोगों में अफरातफरी मच गयी है.

खेतों में तैयार गोभी की फसल बर्बाद

सबसे ज्यादा क्षति रामपुर, मेउडा, सकरी आदि गावों की सब्जी की खेती किये किसानों को हुई है. गोभी की तैयार हो रही फसल बाढ़ के पानी में डूब गयी. इससे किसानों का लाखों रुपये की सब्जी की फसल नष्ट हो गयी. इस संबंध में मेंउड़ा पैक्स अध्यक्ष छठू पासवान ने बताया कि नदी की बाढ़ के पानी से धान की फसल डूब गयी है. लेकिन, यहां के किसानों की सबसे महत्वपूर्ण खेती जैसे सब्जी में गोभी, भिंडी, बैंगन आदि जलमग्न होकर बर्बाद हो गये. लाखों रुपये की सब्जी की फसल बर्बाद होने से किसानों की कमर ही टूट गयी और किसान मायूस होकर बैठे हैं.

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