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बसपा सुप्रीमो मायावती ने बिहार सरकार के कराए जातीय जनगणना के आंकड़े पर कहा कि कुछ पार्टियां इससे असहज जरूर हैं, लेकिन बीएसपी के लिए ओबीसी के संवैधानिक हक के लम्बे संघर्ष की यह पहली सीढ़ी है. देश की राजनीति उपेक्षित ‘बहुजन समाज’ के पक्ष में इस कारण नई करवट ले रही है. इसका नतीजा है कि एससी-एसटी आरक्षण को निष्क्रिय व निष्प्रभावी बनाने और घोर ओबीसी व मण्डल विरोधी जातिवादी एवं साम्प्रदायिक दल भी अपने भविष्य के प्रति चिंतित नजर आने लगे हैं.
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मायावती ने कहा कि वैसे तो यूपी सरकार को अब अपनी नीयत व नीति में जन भावना व जन अपेक्षा के अनुसार सुधार करके जातीय जनगणना-सर्वे अविलंब शुरू करा देना चाहिए, लेकिन इसका सही समाधान तभी होगा, जब केन्द्र सरकार राष्ट्रीय स्तर पर जातीय जनगणना कराकर उन्हें उनका वाजिब हक देना सुनिश्चित करेगी.
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आम आदमी पार्टी के सांसद और उत्तर प्रदेश प्रभारी संजय सिंह ने कहा कि मोदी जी और भाजपा दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों से नफरत, भेदभाव छूआछूत की भावना रखती है. इसीलिए जातीय जनगणना का विरोध करती है.
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संजय सिंह ने कहा कि मोदी जी को पूरे देश में जातीय जनगणना कराना ही होगा वरना किसान आंदोलन से बड़ा आंदोलन होगा. पूरे देश में जातीय जनगणना एक अहम मुद्दा है, जातीय जनगणना होनी चाहिए. जब तक आपको पता ही नहीं चलेगा कि किस जाति की कितनी संख्या है. तब तक सरकार की तमाम स्कीमों एवं आरक्षण में सभी जातियों के साथ न्याय करना संभव नहीं है.
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समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि जातिगत जनगणना 85-15 के संघर्ष का नहीं बल्कि सहयोग का नया रास्ता खोलेगी और जो लोग प्रभुत्वकामी नहीं हैं बल्कि सबके हक के हिमायती हैं, वो इसका समर्थन भी करते हैं और स्वागत भी. जो सच में अधिकार दिलवाना चाहते हैं वो जातिगत जनगणना करवाते हैं. भाजपा सरकार राजनीति छोड़े और देशव्यापी जातिगत जनगणना करवाए.
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अखिलेश यादव ने कहा कि जब लोगों को ये मालूम पड़ता है कि वो गिनती में कितने हैं, तब उनके बीच एक आत्मविश्वास भी जागता है और सामाजिक नाइंसाफी के खिलाफ एक सामाजिक चेतना भी, जिससे उनकी एकता बढ़ती है और वो एकजुट होकर अपनी तरक्की के रास्ते में आने वाली बाधाओं को भी दूर करते हैं, नये रास्ते बनाते हैं और सत्ताओं और समाज के परम्परागत ताकतवर लोगों द्वारा किए जा रहे अन्याय का खात्मा भी करते हैं.
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भाजपा के सहयोगी दल सुभासपा के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि बिहार में 36 प्रतिशत अति पिछड़ी जातियों का आंकड़ा आया है. सामाजिक न्याय की दिखाई देने वाले लालू प्रसाद यादव, नीतीश कुमार दोनों लोगों ने 36 प्रतिशत के साथ भेदभाव किया. 36 प्रतिशत आबादी के साथ किसी जाति को इन लोगों ने सामाजिक न्याय के दायरे में लाकर के मंत्री की कुर्सी तक नहीं पहुंचाया. राजभर, भर, राजवंशी, पाल, प्रजापति जैसी छोटी जातियों का आंकड़ा प्रतिशत में भी नहीं आया है.
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ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि जो जातियां राजनीति में है उनकी गिनती तो ठीक हो गई, जो राजनीति में नहीं है उनके आंकड़े एक जगह बैठकर पूछकर लिख दिए गए. उनके साथ अन्याय हुआ है. वहीं महासचिव अरुण राजभर ने कहा कि जातीय सर्वेक्षण डाटा जारी करने के लिए बिहार सरकार को बधाई देते हुए कहा कि केवल सर्वेक्षण डाटा प्रस्तुत करने से कोई बड़ा परिणाम नहीं निकलेगा. राजद और जदयू को यह भी डाटा जारी करना चाहिए कि उनकी सरकार ने विभिन्न पिछड़ी जातियों को कितना राजनीतिक प्रतिनिधित्व दिया है.
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भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और राज्यसभा सांसद लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने जातीय जनगणना के मामले में बिहार की नीतीश सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने सरकारी आंकड़े झूठे बताए और कहा कि ये आंकड़े अविश्वसनीय हैं. लक्ष्मीकांत वाजपेई ने जाट आरक्षण बहाली पर भी बयान दिया है. उन्होंने कहा कि कि आरक्षण आर्थिक, सामाजिक रूप से पिछड़ों के लिए है. पश्चिमी यूपी का जाट आर्थिक रूप से मजबूत और समृद्ध है.
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अपना दल (एस) की राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा कि जाति जनगणना व पिछड़ों की समस्याओं के निदान के लिए ओबीसी मंत्रालय का गठन होना चाहिए. हमारी पार्टी अपना दल एस शुरू से जाति जनगणना की पक्षधर रही है और निरंतर इस मुद्दे को मजबूती से उठाती रही है. जाति जनगणना समय की मांग है. इसी के बाद हम सही नीतियां बना सकेंगे. अनुप्रिया पटेल ने कहा कि हमारी पार्टी न्यायपालिका, सामजिक विविधिता की पक्षधर रही है.