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जेएसएससी ने रिजल्ट से पहले रद्द कर दी थी नियुक्ति प्रक्रिया, झारखंड हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

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जेएसएससी ने छह नियुक्ति प्रक्रिया से संबंधित विज्ञापन को रद्द कर दिया था. रद्द करने के लिए कोई ठोस कारण भी नहीं दिया गया. विशेष शाखा आरक्षी (क्लोज कैडर), उत्पाद सिपाही व काराओं में वाहन चालक भर्ती प्रतियोगिता परीक्षा की प्रक्रिया पूरी हो चुकी थी.

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रांची, राणा प्रताप : विशेष शाखा आरक्षी (क्लोज कैडर), उत्पाद सिपाही व काराओं में वाहन चालक भर्ती प्रतियोगिता परीक्षा का विज्ञापन बीच में रद्द करने के मामले में झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है. हाइकोर्ट के जस्टिस डॉ एसएन पाठक ने राज्य सरकार से पूछा है कि किन कारणों से नियुक्ति विज्ञापन को रद्द किया गया. इन विज्ञापनों से संबंधित प्रार्थियों के साथ भेदभाव क्यों किया गया. राज्य सरकार को स्पेसिफिक शपथ पत्र दायर कर विज्ञापन रद्द करने का कारण बताने का निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई के लिए अदालत ने 11 अक्तूबर की तिथि निर्धारित की है.

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इससे पूर्व प्रार्थियों की ओर से अधिवक्ता मनोज टंडन व अधिवक्ता अमृतांश वत्स ने पैरवी की. उन्होंने अदालत को बताया कि राज्य सरकार के संकल्प के आधार पर जेएसएससी ने छह नियुक्ति प्रक्रिया से संबंधित विज्ञापन को रद्द कर दिया था. रद्द करने के लिए कोई ठोस कारण भी नहीं दिया गया. विशेष शाखा आरक्षी (क्लोज कैडर), उत्पाद सिपाही व काराओं में वाहन चालक भर्ती प्रतियोगिता परीक्षा की प्रक्रिया पूरी हो चुकी थी. अभ्यर्थियों की सिर्फ नियुक्ति की अनुशंसा होनी थी. इसी तरह के मामले में पंचायत सचिव व निम्नवर्गीय लिपिक प्रतियोगिता में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद नियुक्ति प्रक्रिया पूरी कर ली गयी. अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र दे दिया गया. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सरकार ने पंचायत सचिव से संबंधित आदेश में संशोधन किया तथा नियुक्ति प्रक्रिया पूरी की, लेकिन अन्य नियुक्ति प्रक्रिया को रद्द गया, जिसमें लाखों अभ्यर्थियों का भविष्य जुड़ा हुआ है. उल्लेखनीय है कि श्यामलाल ठाकुर, अमित उरांव व अन्य की ओर से याचिका दायर की गयी है. उन्होंने विशेष शाखा आरक्षी (क्लोज कैडर), उत्पाद सिपाही व काराओं में वाहन चालक भर्ती प्रतियोगिता परीक्षा का विज्ञापन रद्द करने को चुनाैती दी है.

झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) ने झारखंड के स्थानीय निवासी अभ्यर्थियों की नियुक्ति के लिए चल रही प्रक्रिया को एक नवंबर 2021 को रद्द कर दिया था. इसमें छह विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं के विज्ञापन को निरस्त किया गया था, जिसमें लगभग 4999 पद शामिल थे. जेएसएससी ने विज्ञापन रद्द करने के लिए कार्मिक, प्रशासनिक सुधार व राजभाषा विभाग के संकल्प संख्या-821/5.2.2021 का तर्क दिया था, जिसमें कहा गया था कि जिनमें अब तक नियुक्ति पत्र निर्गत नहीं किये गये हैं, उनमें नियुक्ति की प्रक्रिया अपूर्ण मानते हुए, उन सभी विज्ञापनों को निरस्त किया जाता है.

Also Read: झारखंड हाईकोर्ट ने पूछा, जेपीएससी घोटाले के आरोपियों की अभियोजन स्वीकृति में क्यों हो रही देरी

दो माह में असिस्टेंट टाउन प्लानर का संशोधित रिजल्ट जारी करने का आदेश

झारखंड हाइकोर्ट ने जेपीएससी असिस्टेंट टाउन प्लानर प्रतियोगिता परीक्षा के मामले में एकल पीठ के आदेश को चुनाैती देनेवाली अपील व रिट याचिका पर फैसला सुनाया. जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद व जस्टिस नवनीत कुमार की खंडपीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि आवेदन की अंतिम तिथि के बाद इंस्टीट्यूट ऑफ टाउन प्लानिंग का सर्टिफिकेट जमा करनेवाले 186 अभ्यर्थियों को छोड़ कर मेरिट लिस्ट बना कर संशोधित रिजल्ट जारी किया जाये. राज्य सरकार व जेपीएससी को निर्देश दिया कि नियुक्ति प्रक्रिया दो माह में पूरी की जाये, क्योंकि राज्य में टाउन प्लानर की आवश्यकता है.

खंडपीठ ने जेपीएससी के अध्यक्ष को आदेश दिया है कि नियुक्ति प्रक्रिया पूरी करने को लेकर फ्रेश कमेटी बनायें. जो कमेटी बनेगी, उसमें कोई भी पुराने सदस्य नहीं रहेंगे. साथ ही तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि जेपीएससी ने अपने अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन किया है और यह उल्लंघन उन अभ्यर्थियों को शामिल करने के लिए किया गया, जिनके पास आवेदन की अंतिम तिथि तक पर्याप्त योग्यता नहीं थी. खंडपीठ ने आयोग के अध्यक्ष को निर्देश दिया कि उन सभी को चिह्नित करें, जिनके कारण यह गड़बड़ी हुई. राज्य सरकार को निर्देश दिया कि इस मामले पर ध्यान दें, ताकि जेपीएससी जैसी संवैधानिक संस्था का सम्मान बना रहे. खंडपीठ ने याचिकाओं को निष्पादित करते हुए कहा कि जेपीएससी द्वारा आवेदन की अंतिम तिथि 10 अगस्त 2020 के बाद अभ्यर्थियों से इंस्टीट्यूट ऑफ टाउन प्लानिंग का सर्टिफिकेट जमा लेने के लिए छूट देने का जो फैसला किया था, वह असंवैधानिक था. जेपीएससी के पास अंतिम तिथि समाप्त होने के बाद छूट देने का अधिकार नहीं था.

क्या है मामला

जेपीएससी ने अप्रैल 2020 में असिस्टेंट टाउन प्लानर के 77 पदों पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन प्रकाशित किया था. सारी प्रक्रिया पूरी करते हुए जेपीएससी ने मार्च 2021 को परिणाम जारी किया. 43 सफल अभ्यर्थियों की नियुक्ति की अनुशंसा राज्य सरकार को भेजी गयी. सफल होनेवाले अभ्यर्थियों में से 26 ऐसे अभ्यर्थी थे, जिनके पास आवेदन की अंतिम तिथि तक इंस्टीट्यूट ऑफ टाउन प्लानर (इंडिया) का सर्टिफिकेट नहीं था. 186 अभ्यर्थी वैसे थे, जिन्होंने इंस्टीट्यूट ऑफ टाउन प्लानर (इंडिया) का सर्टिफिकेट आवेदन की अंतिम तिथि के बाद जमा की थी. सर्टिफिकेट जमा करने के लिए जेपीएससी ने छूट प्रदान की थी, जिसे अभ्यर्थियों ने गलत बताते हुए झारखंड हाइकोर्ट में रिट याचिका दायर की गयी थी.

इन्होंने बहस की

अपीलकर्ता स्वप्निल म्यूरेश व अन्य की ओर से वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार, अधिवक्ता सिद्धार्थ रंजन, रिट याचिकाकर्ता कुमार चेतनलाल व अन्य की ओर से अधिवक्ता अमृतांश वत्स, अधिवक्ता शुभाशिष रसिक सोरेन ने बहस की.

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