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पश्चिम ओडिशा के चार जिलों में आफत बना स्क्रब टाइफस, 10 दिनों में आठ मौतें

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समूचे जिले में लोगों में स्क्रब टाइफस को लेकर आतंक और डर का माहौल है. लोग अपने खेत और बाग-बगीचे में जाने से डर रहे हैं. स्क्रब टाइफस का बेहतरीन इलाज उपलब्ध है. यह स्क्रब टाइफस नामक एक कीट के काटने से होता है. यह कीट दलदल, सड़ी हुई लकड़ी और बलुई मिट्टी में वंश विस्तार करता है.

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पश्चिम ओडिशा के बरगढ़, संबलपुर, झारसुगुड़ा और सुंदरगढ़ जिला में स्क्रब टाइफस का संक्रमण तेजी से फैल रहा है. स्क्रब टाइफस कीट के काटने से पिछले 10 दिनों में आठ लोगों की मौत हो चुकी है. जिसमें बरगढ़ जिले में पांच, संबलपुर में दो और सुंदरगढ़ जिले में एक लोग शामिल हैं. बरगढ़ जिले से 305 नमूने जांच के लिए भेजे गये थे जिसने चार पॉजिटिव मिले हैं. उनका इलाज चल रहा है. मृतकों में से अताबीरा ब्लॉक से एक, सौहेला ब्लॉक से दो, बरपाली ब्लॉक से एक और भेड़ेन ब्लॉक से एक लोग शामिल है. समूचे जिले में लोगों में स्क्रब टाइफस को लेकर आतंक और डर का माहौल है. लोग अपने खेत और बाग-बगीचे में जाने से डर रहे हैं.

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लोगों को जागरूक कर रहा है स्वास्थ्य विभाग

बरगढ़ जिला के मुख्य जिला चिकित्सा अधिकारी डॉ जितेंद्र मोहन बेबार्ता ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा लोगों को जागरुक किया जा रहा है. डॉ बेबार्ता ने बताया कि डरने की आवश्यकता नहीं है. स्क्रब टाइफस का बेहतरीन इलाज उपलब्ध है. यह स्क्रब टाइफस नामक एक कीट के काटने से होता है. यह कीट दलदल, सड़ी हुई लकड़ी और बलुई मिट्टी में वंश विस्तार करता है. स्क्रब टाइफस कीट के काटने से मरीज को चार से पांच दिन तक बुखार रहता है. शरीर कमजोर हो जाता है. समय पर इस बीमारी का इलाज नहीं कराने से पर जान भी जा सकती है. सही समय पर इस बीमारी की पहचान और इलाज करने से मरीज पूर्ण रूप से ठीक हो जाता है.

क्या है स्क्रब टाइफस

स्क्रब टाइफस एक संक्रामक रोग है, जो ओरिएंटिया त्सुत्सुगामुशी नामक बैक्टीरिया से फैलता है. ये घुन जैसा छोटा दिखता है. ये ज्यादातर घास, झाड़ियों, चूहों, खरगोशों और गिलहरियों जैसे जानवरों के शरीर पर पाया जाता है. इसके संपर्क में आने पर या इसके काटने पर लोग इससे संक्रमित होते हैं.

संक्रमण के ये लक्षण दिखे, तो तुरंत जांच करायें

  • कीट के काटने से शरीर पर फफोलेनुमा काली पपड़ी का निशान पड़ जाता है और कुछ ही समय में वह घाव बन जाता है.

  • स्क्रब टाइफस के लक्षणों में मरीज को तेज बुखार, सिर दर्द, मांसपेशियों में अकड़न और शरीर में टूटन बनी रहती है.

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कीट ऐसे फैलाता है संक्रमण

बारिश के कारण गंदगी रहने से स्क्रब टाइफस कीट पनपते हैं. ये कीट आमतौर पर झाड़ीदार और नमी वाले इलाकों में पाये जाते हैं. बरसात के दौरान घास, झाड़ियों और गंदगी वाले क्षेत्र में मवेशियों से कीट चिपक जाता है और मवेशियों के संपर्क में आकर घरों पर लोगों को काट लेता है. मवेशी और जानवरों वाले घरों में कीट का खतरा अधिक रहता है.

झारसुगुड़ा जिला अस्पताल में बनाया गया है स्पेशल वार्ड

संबलपुर जिले के बुर्ला स्थित नर्सिंग होम में स्क्रब टाइफस से आक्रांत दो मरीजों की मौत हो गयी है. बुर्ला मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में मंगलवार तक स्क्रब टाइफस के 34 मरीज चिन्हित किये गये हैं. असिस्टेंट प्रोफेसर शंकर रामचंदानी ने कहा है कि दो लोग पॉजिटिव पाये जाने से अबतक कुल 36 लोगों का इलाज चल रहा है. वहीं, सुंदरगढ़ जिला में जनवरी महीने से लेकर अब तक 132 लोग स्क्रब टाइफस से आक्रांत हुए हैं जिसने से एक की मौत होने की सूचना जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ कान्हुचरण नायक ने दी है. डॉ नायक ने कहा है कि मृत व्यक्ति के स्क्रब ट्राइफस कीटाणु के अलावा अन्य कई बीमारी थी. झारसुगुड़ा जिला से स्क्रब टाईफस आक्रांत दो मरीज बाहर इलाज करा कर लौटे हैं. झारसुगुड़ा शहर के छोर पर हंसामुरा कंटापाली और मालीडीही गांव के दो लोगों को स्क्रब टाइफस कीट ने काटा था और उनमें से एक मालीडिही गांव के अमिताभ साहू(40) ने बुर्ला के नर्सिंग होम में और अन्य मरीज कंटापाली गांव के बिसाखा साहू(55) ने पड़ोसी छतीसगढ़ रायगढ़ के मिशन अस्पताल में इलाज कराकर घर लौट आये हैं.

संक्रमण के बाद कम होने लगते हैं प्लेटलेट्स

स्क्रब टाइफस संक्रमित मरीज का प्लेटलेट्स कम होने लगता है. सांस की परेशानी, पीलिया, उल्टी, जी मिचलाना, जोड़ों में दर्द और तेज बुखार आता है. शरीर पर काले चकत्ते और फफोले भी पड़ जाते हैं. इसका असर लीवर, किडनी और ब्रेन पर भी पड़ता है.

स्क्रब टाइफस का कोई भी मरीज जिले में अब तक पॉजिटिव नहीं पाया गया है. इलाज के लिए सारी प्रस्तुति कर ली गयी है. जिला अस्पताल में इलाज के लिए एक स्पेशल वार्ड बनाया गया है.दवा भी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है.

-डॉ एमएम पंडा, सीडीएमओ, झारसुगुड़ा

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