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बीरभूम, मुकेश तिवारी : आज गुरुवार को कौशिकी अमावस्या के मद्देनजर बीरभूम के तारापीठ में मां तारा की विशेष पूजा शुरू हो गई है. इसी तिथि नक्षत्र में साधक बामा खेपा को तंत्र साधना में सफलता प्राप्त हुई थी. कौशिकी अमावस्या के अवसर पर तारापीठ में भक्तों का तांता लगा हुआ है. तारापीठ में साधकों से लेकर भक्तों, पर्यटकों से लेकर गृहस्थों तक की भीड़ उमड़ पड़ी है.
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सुबह से ही मां तारा की पूजा चल रही है. आज सुबह मंगल आरती के साथ तारा मां की विशेष पूजा शुरू हुई. तंत्र साधकों का मानना है की कौशिकी अमावस्या की रात्रि को तारा रात्रि भी कहा जाता है. तारापीठ मंदिर में आज पूरे दिन पूजा-अर्चना चलेगा . इस खास दिन पर दूर-दूर से भक्त मां तारा की पूजा करने के लिए दर्शन पाने के लिए मंदिर में जुटते हैं.
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श्मशान घाट पर साधु-संत और तंत्र साधना करने वाले अघौड़ी भी आये है. पूरे मंदिर परिसर में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई. मंदिर कमेटी द्वारा निजी करीब डेढ़ सौ सुरक्षा बल लगाया है. इसके अलावे पुलिस प्रशासन की ओर से एक हजार पुलिस जवान और 17 सौ नागरिक स्वयंसेवक तैनात किए गए हैं.
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मंदिर सूत्रों के अनुसार कौशिकी अमावस्या तिथि के अनुसार सुबह साढ़े चार बजे पड़ रही है. स्वाभाविक रूप से सुबह करीब तीन बजे पवित्र स्नान के बाद तारा पीठ का गर्भगृह आम जनता के लिए खोल दिया गया. कौशिकी अमावस्या के मौके पर श्रद्धालु आज देर रात तक मां तारा की पूजा-अर्चना कर सकते हैं. दोपहर 12 बजे मां तारा को भोग लगाने के लिए मंदिर कुछ देर के लिए बंद कर दिया जाएगा.
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मां तारा को पांच प्रकार के तले हुए भोजन, पांच प्रकार की करी, फल, मिठाई, बलि के बकरे का मांस अर्पित किया जाएगा. दिनभर पूजा-अर्चना चलती रहेगी. इस दिन मां की शिला प्रतिमा को स्नान कराकर राजवेश धारण कराया जायेगा .दोपहर बाद शाम को मां तारा का कौशिकी स्वरूप में शृंगार किया जाएगा.
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मां तारा को भक्तों द्वारा दिए गए सोने के आभूषण पहनाई जायेगी. कौशिकी अमावस्या के अवसर पर सिद्धपीठ बीरभूम के तारापीठ मंदिर में लाखों श्रद्धालु उमड़ते हैं. कहा जाता है कि साधक बामाखेपा ने इसी तिथि पर तपस्या की थी.