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कहां स्थित है चिंतामण गणेश मंदिर
उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर से करीब 6 किलोमीटर दूर ग्राम जवास्या में भगवान गणेश का प्राचीनतम मंदिर स्थित है. इसे चिंतामण गणेश के नाम से जाना जाता है.
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भगवान राम ने की थी स्थापना
धार्मिक मान्यतानुसार इस गणेश मंदिर में भगवान चिंतामण गणेश की स्थापना भगवान राम ने वनवास के दौरान थी. वहीं इच्छामन और सिद्धिविनायक गणेश की स्थापना लक्ष्मण जी और सीता माता ने की थी. ऐसा मान्यता है कि जो भक्त चैत्र माह के बुधवार के दिन चिंतामण गणेश मंदिर में दर्शन पूजन करता है. भगवान गणेश उसकी सभी मनोकामना पूरी कर देते हैं. साथ ही उसे सभी प्रकार के चिंता से मुक्त कर देते हैं.
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क्या है मान्याता
ऐसी मान्यता है कि चिंतामण गणेश चिंता से मुक्ति प्रदान करते हैं, जबकि इच्छामन अपने भक्तों की कामनाएं पूर्ण करते हैं. गणेश का सिद्धिविनायक स्वरूप सिद्धि प्रदान करता है. इस अद्भुत मंदिर की मूर्तियां स्वयंभू हैं. गर्भगृह में प्रवेश करने से पहले जैसे ही आप ऊपर नजर उठाएंगे तो चिंतामण गणेश का एक श्लोक भी लिखा हुआ दिखाई देता है…
कल्याणानां निधये विधये संकल्पस्य कर्मजातस्य.
निधिपतये गणपतये चिन्तामण्ये नमस्कुर्म:.
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चिंतामण मंदिर की पौराणिक कथा
चिंतामण मंदिर की पौराणिक कथा भक्तों के लिए बेहद ही खास है. इस पवित्र मंदिर को लेकर दो मान्यताएं हैं. पहली- कहा जाता है कि इस पवित्र मंदिर के निर्माण के लिए गणेश भगवान स्वयं पृथ्वी पर आए थे. बताया जाता है कि इस अद्भुत मंदिर की मूर्तियां स्वयंभू हैं. मंदिर में स्थित चिंतामण गणेश भक्तों को चिंता से मुक्ति, जबकि इच्छामन गणेश भक्तों के इच्छा की पूर्ति और सिद्धिविनायक स्वरूप सिद्धि प्रदान करते हैं.
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चिंतामण गणेश मंदिर परमारकालीन है, जो कि 9वीं से 13वीं शताब्दी का माना जाता है. इस मंदिर के शिखर पर सिंह विराजमान है. वर्तमान मंदिर का जीर्णोद्धार अहिल्याबाई होलकर के शासनकाल में हुआ. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार चिंतामण गणेश सीता द्वारा स्थापित षट् विनायकों में से एक हैं.
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मनाकामना के लिए उल्टा स्वास्तिक
मान्यता है कि मंदिर के पीछे उल्टा स्वास्तिक बनाने से हर मनोकामना पूर्ण होती है. जिनकी कामना पूर्ण होती है वे दोबारा मंदिर आते हैं और फिर दर्शन कर सीधा स्वास्तिक बनाते हैं. बहुत से लोग मंदिर पर रक्षासूत्र बांधने भी आते हैं.