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Cyber Crime को लेकर सेबी गंभीर, स्टॉक एक्सचेंज के लिए जारी की गाइडलाइन, तत्काल प्रभाव से होगा लागू,जानें डिटेल

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Sebi Guideline on Cyber Crime: साइबर सुरक्षा को लेकर भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने सख्त गाइडलाइन जारी कर दी है. सेबी ने स्टॉक एक्सचेंजों और अन्य मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर इंस्टीट्यूशन (MII) के लिए मौजूदा साइबर सुरक्षा और साइबर लचीलापन ढांचे को मजबूत करने का तत्काल निर्देश दिया है.

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Sebi Guideline on Cyber Crime: हाल के दिनों में साइबर क्राइम के मामलों में काफी ज्यादा इजाफा हुआ है. पुलिस और सरकार की कोशिशों के बाद भी ठग किसी न किसी तरह लोगों को अपना शिकार बना हीं ले रहे हैं. बताया जा रहा है कि अब साइबर सुरक्षा को लेकर भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने सख्त गाइडलाइन जारी कर दी है. सेबी ने स्टॉक एक्सचेंजों और अन्य मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर इंस्टीट्यूशन (MII) के लिए मौजूदा साइबर सुरक्षा और साइबर लचीलापन ढांचे को मजबूत करने का तत्काल निर्देश दिया है. सेबी ने अपने नए गाइडलाइन में कहा कि कार्यों को पूरा करने के लिए मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर इंस्टीट्यूशन की परस्पर संबद्धता और अन्योन्याश्रितता को ध्यान में रखते हुए, किसी भी मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर इंस्टीट्यूशन का साइबर जोखिम अब एमआईआई के स्वामित्व वाले या नियंत्रित सिस्टम, नेटवर्क और परिसंपत्तियों तक सीमित नहीं है.

साइबर सुरक्षा पर क्या सेबी की गाइडलाइन

सेबी ने अपने साइबर सुरक्षा से जुड़े गाइडलाइन में कहा कि सभी स्टॉक एक्सचेंजों को एमआईआई को डेटा का ऑफलाइन, एन्क्रिप्टेड बैकअप बनाए रखना होगा. इसके साथ ही, गोपनीयता, अखंडता और उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए कम से कम हर तिमाही में इन बैकअप का नियमित रूप से परीक्षण करना होगा. गाइडलाइन में प्राथमिक डेटा सेंटर (PDC) और डिजास्टर रिकवरी साइट (DRS) दोनों से अपना संचालन शुरू करना संभव नहीं होने की स्थिति में सिस्टम के पुनर्निर्माण करके एक अतिरिक्त हार्डवेयर को बनाए रखने की संभावना का पता लगाना होगा. साथ ही, संस्थानों पर रैंसमवेयर हमलों से निपटने के लिए तैयारी करनी होगी. जमीनी स्तर पर मौजूद सुरक्षा नियंत्रणों की एफिशिएंसी की जांच करने के लिए नियमित अभ्यास करना होगा.

क्या है एमआईआई?

मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर इंस्टीट्यूशन (Market Infrastructure Institution) एक वित्तीय प्रतिष्ठान होता है जो विभिन्न वित्तीय सेवाएं और योजनाएं प्रदान करने का कार्य करता है जो कि वित्तीय बाजारों के सुचारु और संरचित विकास की समर्थन करने के लिए आवश्यक होता है. ये संस्थान अक्सर वित्तीय बाजारों की कुशलता, पारिस्थितिकी, और प्रबंधन में मदद करते हैं. मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर इंस्टीट्यूशन विभिन्न प्रकार की सेवाएं प्रदान करते हैं, ये सेवाएं वित्तीय लेन-देन की साफ-सफाई और परिष्कृत समय पर लेन-देन की सुनिश्चिति के लिए मदद करती हैं. इसमें विभिन्न प्रकार के वित्तीय उपकरण और सूचना प्रणालियाँ शामिल होती हैं जो कि वित्तीय उपकरण के खरीद-बेच की प्रक्रिया को सुगम और प्रभावी बनाने में मदद करते हैं. इन सेवाओं के तहत वित्तीय बाजारों की पारिस्थितिकी और पारदर्शिता के लिए नियम और विनियमन का पालन किया जाता है. मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर इंस्टीट्यूशन डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग और सेटलमेंट सेवाएं प्रदान करके विभिन्न प्रकार के डेरिवेटिव्स उत्पन्नों के व्यापार की प्रक्रिया में मदद करते हैं.

गैर-लाभकारी संगठनों के लिए धन जुटाने के नियमों को सुगम करने पर विचार कर रहा है सेबी

पूंजी बाजार नियामक सेबी ने गैर-लाभकारी संगठनों (एनपीओ) के लिए वित्त जुटाने की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए मंगलवार को सोशल स्टॉक एक्सचेंजों के नियामकीय ढांचे में लचीलापन लाने का प्रस्ताव रखा. भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने अपने एक परामर्श पत्र में एनपीओ के लिए न्यूनतम निर्गम आकार के साथ आवेदन आकार की सीमा को कम करने का सुझाव भी दिया है. इसके अलावा सेबी ने सोशल स्टॉक एक्सचेंजों (एसएसई) पर पंजीकरण के लिए जरूरी कुछ शर्तों में बदलाव करने की बात भी कही है. एनपीओ के खिलाफ आयकर का कोई नोटिस या जांच लंबित न होने की व्यवस्था खत्म करने और सोशल ऑडिटर की जगह ‘सामाजिक प्रभाव मूल्यांकनकर्ता’ शब्दावली का इस्तेमाल करने का सुझाव दिया गया है. धन जुटाने के लिए एक गैर-लाभकारी संगठन (एनपीओ) का एसएसई के साथ पंजीकृत होना जरूरी है। फिलहाल दोनों एक्सचेंज के साथ इस खंड में 31 एनपीओ ने अपना पंजीकरण कराया हुआ है.

नियामक ने दिया बड़ा सुझाव

नियामक ने ‘जीरो कूपन जीरो प्रिंसिपल’ (जेडसीजेडपी) बॉन्ड जारी करने वाले एनपीओ के लिए न्यूनतम निर्गम की सीमा को एक करोड़ रुपये से घटाकर 50 लाख रुपये करने का सुझाव दिया है. इसके साथ ही जेडसीजेडपी के सार्वजनिक निर्गम में न्यूनतम आवेदन की सीमा को भी दो लाख रुपये से घटाकर 10,000 रुपये करने का प्रस्ताव रखा गया है. सोशल स्टॉक एक्सचेंज की संकल्पना वित्त वर्ष 2019-20 के बजट में पहली बार पेश की गई थी. एसएसई के लिए नियामकीय ढांचा वर्ष 2022 में सेबी ने तय किया था. सेबी ने अपने परामर्श पत्र पर 19 सितंबर तक सार्वजनिक टिप्पणियां आमंत्रित की हैं.

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